राहुल गांधी के नॉन बुलेट प्रूफ वाहनों के वीडियो की सत्यता की जांच करा रही सीआरपीएफ
राहुल ने ट्वीट कर कहा हमारे जवानों को नॉन बुलेट प्रूफ ट्रकों में शहीद होने भेजा जा रहा है और प्रधानमंत्री के लिए 8400 करोड़ के जहाज! क्या यह न्याय है? उन्होंने एक वीडियो भी पोस्ट किया जिसमें सैनिकों को बातचीत करते सुना जा सकता है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने शनिवार को कहा कि वह कांग्रेस नेता राहुल द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किए गए वीडियो की सत्यता की जांच कर रहा है। इस वीडियो में कुछ जवान आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें ऑपरेशनल ड्यूटी पर बिना बुलेट प्रूफ वाहनों में भेजा जाता है।
अर्धसैनिक बल ने कहा, हमारे पास जरूरत के मुताबिक पर्याप्त रक्षात्मक वाहन
सीआरपीएफ के प्रवक्ता उप महानिरीक्षक एम. दिनाकरन ने एक बयान में कहा कि अर्धसैनिक बल के पास विभिन्न परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त रक्षात्मक वाहन हैं। इस वीडियो की सत्यता की जांच की जा रही है। सवा तीन लाख जवानों वाला सीआरपीएफ देश का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है। इसे विभिन्न राज्यों में नक्सल विरोधी अभियान में तैनात किया जाता है।
राहुल गांधी ने जवानों के लिए बुलेट प्रूफ वाहनों का अभाव और प्रधानमंत्री के लिए हजारों करोड़ रुपये के विमानों को मुद्दा बनाकर सरकार पर हमला किया है। राहुल ने शनिवार को हिंदी में ट्वीट कर कहा, 'हमारे जवानों को नॉन बुलेट प्रूफ ट्रकों में शहीद होने भेजा जा रहा है और प्रधानमंत्री के लिए 8,400 करोड़ के जहाज! क्या यह न्याय है?' इसी ट्वीट के साथ उन्होंने वह वीडियो पोस्ट किया, जिसमें सैनिक उन्हें नॉन बुलेट प्रूफ वाहनों में ले जाए जाने पर आपत्ति जता रहे हैं।
दिलचस्प यह है कि राहुल ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधने के लिए जिन वीवीआइपी विमानों की खरीद का जिक्र किया है उसकी प्रक्रिया कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने शुरू की थी। ये विमान सिर्फ प्रधानमंत्री के लिए ही नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति भी इसका उपयोग करेंगे।
खुद घिर गए गए थे राहुल गांधी
पीएम मोदी को घेरने के चक्कर में अक्सर खुद ही सवालों के घेरे में आने वाले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ऐसी ही कोशिश करके घिर गए थे। नरेंद्र मोदी ने हाल में विंड टरबाइन के जरिये पेयजल और ऑक्सीजन भी बनाने का सुझाव दिया था, जिसका राहुल गांधी ने माखौल उड़ाया था। इसके बाद न सिर्फ भाजपा ने बल्कि वैज्ञानिकों की संस्था काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्टि्रयल रिसर्च (सीएसआइआर) ने भी राहुल गांधी के ज्ञान पर संदेह जताया था।
सीएसआइआर ने दिया था जवाब
सीएसआइआर ने ट्वीट कर कहा था, 'वातावरण से पानी बनाने का तरीका सुव्यवस्थित है और पेयजल उपलब्ध कराने के लिए हवा से पानी निकालने का काम जारी है। सीएसआइआर ने मैत्री एक्वाटेक के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं और संयुक्त पेटेंट हासिल किया है। रेलवे स्टेशनों पर मेघदूत एडब्लूजी लगे हैं।' सीएसआइआर ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री कार्यालय, नरेंद्र मोदी और सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार को भी टैग किया है। मालूम हो कि मेघदूत एडब्लूजी के जरिये हवा में मौजूद नमी को सोखकर पेयजल बनाया जाता है। सीएसआइआर ने हवा से पानी निकालने का तरीका समझाते हुए एक ग्राफिक्स भी साझा किया।
राहुल ने कहा था
दरअसल, राहुल ने ट्वीट कर कहा था, 'असली खतरा यह नहीं है कि हमारे प्रधानमंत्री समझते नहीं है। सच तो यह है कि उनके आसपास के किसी शख्स में यह कहने की हिम्मत नहीं है।' इसके साथ उन्होंने प्रधानमंत्री का एक विंड एनर्जी कंपनी के सीईओ के साथ बातचीत का वीडियो भी पोस्ट किया था। इसमें प्रधानमंत्री को यह सुझाव देते हुए सुना जा सकता है कि विंड टरबाइन का इस्तेमाल सिर्फ ऊर्जा का उत्पादन करने के लिए ही नहीं बल्कि सघन वायु से ऑक्सीजन और स्वच्छ पेयजल उत्पादित करने के लिए भी किया जाए।
राहुल की अज्ञानता पर सवाल
राहुल का ट्वीट आते ही केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा नेताओं ने धड़ाधड़ ट्वीट कर राहुल की अज्ञानता को लेकर उन्हें घेरना शुरू कर दिया। उन्होंने सुबूत के तौर पर ऐसी रिपोर्टे भी साझा कीं जिनके मुताबिक हवा से पानी निकालना मुमकिन है।