राफेल लड़ाकू विमानों की दूसरी खेप की खरीद पर बात हो सकती है शुरू
भारत में इस युद्धक विमान की दूसरी खेप बेचने की बात भी शुरू हो सकती है।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। भारत को अपने युद्धक विमानों के लिए एक बड़े बाजार के तौर पर देख रही फ्रांस की सरकार यहां राफेल विवाद के राजनीतिक रंग लेने से खासी परेशान थी। लेकिन अब जबकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है तब न सिर्फ फ्रांस की सरकार राहत की सांस लेगी बल्कि भारत में इस युद्धक विमान की दूसरी खेप बेचने की बात भी शुरु हो सकती है।
शनिवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ द्विपक्षीय आधिकारिक वार्ता करेंगे और उसके बाद उनकी पीएम नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात होगी। भारत और फ्रांस के उच्च पदस्थ राजनयिक सूत्रों ने दैनिक जागरण को बताया है कि द्विपक्षीय वार्ता में रणनीतिक रिश्तों को प्रगाढ़ बनाना प्राथमिक एजेंडे में शामिल है। द्रिया दरअसल, भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक रिश्तों की घोषणा के 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर ही यहां आए हैं।
भारत में उनकी होने वाली आधिकारिक वार्ता में हथियारों की खरीद का मामला भी प्राथमिकता के तौर पर उठेगा। इसमें राफेल विमानों की अगली खेप खरीदने के मसले पर भी बात हो सकती है। वैसे इस बारे में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण अक्टूबर, 2018 में जब फ्रांस के दौरे पर गई थी तब भी वहां उनकी बात हुई थी।
शुक्रवार को एक सवाल के जवाब में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी ऐसे ही एक सवाल के जवाब में कहा कि जरूरत के अनुसार भारत अपनी सामरिक क्षमता बढ़ाने के लिए फैसले लेता रहेगा।
भारत में फ्रांस के राजदूत एलेक्जेंद्रा जिगलर ने दैनिक जागरण को एक साक्षात्कार में हाल ही में कहा था कि राफेल को लेकर चलाया जा रहा विवाद आधारहीन तथ्यों पर आधारित है। सनद रहे कि यूपीए के शासनकाल में वर्ष 2012 में दासो से 126 राफेल खरीदने का फैसला किया था। लेकिन बाद में जब एनडीए सरकार ने 36 राफेल विमान खरीदने का समझौता किया है। लेकिन दासो कंपनी हमेशा से यह कहती रही है कि वह भारत में और ज्यादा राफेल विमान बेचने को तैयार है।
माना जाता है कि भारत में राफेल के बड़े सौदे की उम्मीद में ही दासो इसकी कुल लागत का आधा हिस्सा भारत में ही निवेशित करने के शर्त को लेकर तैयार हुई है। यह शर्त 36 विमानों के मौजूदा डील के साथ भी लागू है। रक्षा मंत्रालय की आतंरिक रिपोर्ट में भी भारतीय वायु सेना के लिए राफेल विमान को दूसरे प्रतिद्वंदियों के मुकाबले ज्यादा सक्षम माना गया है।
लेकिन राजनीतिक विवाद शुरु होने की वजह से राफेल के दूसरे खेप की खरीद को लेकर संशय जताया जा रहा था। असलियत में जिस तरह से विपक्षी दलों ने राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है उसकी आंच भारत व फ्रांस के बीच दूसरे सैन्य सहयोग पर भी पड़ने की आशंका जताई जाने लगी थी।