पुणे कोर्ट ने एलगार परिषद केस एनआइए कोर्ट को सौंपा, नवलखा, तेलबुंबडे को नहीं मिली अग्रिम जमानत
एलगार परिषद मामले की सुनवाई कर रही पुणे की अदालत ने केस को अब मुंबई स्थित एनआइए की विशेष अदालत के हवाले कर दिया है। वहीं नवलखा तेलबुंबडे को अग्रिम जमानत नहीं मिली है।
पुणे, पीटीआइ। एलगार परिषद मामले की सुनवाई करने वाली पुणे की अदालत ने इसे मुंबई में एनआइए विशेष कोर्ट को स्थानांतरित कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसआर नावांडेर ने शुक्रवार को इस संबंध में आदेश पारित किया। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार का भीमा-कोरेगांव मामले को केंद्र को स्थानांतरित करने का फैसला संवैधानिक रूप से गलत है। राकांपा अध्यक्ष ने कहा कि इसका कारण यह है कि अपराध की जांच राज्य के अधिकार क्षेत्र में आती है।
न्यायाधीश के आदेश जारी करने से पहले अभियोजन ने अर्जी सौंपकर कहा कि उसे मामला स्थानांतरित किए जाने की मांग करने वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की अर्जी पर कोई आपत्ति नहीं है। विशेष कोर्ट में स्थानांतरण की मांग करते हुए एनआइए ने 30 जनवरी को पुणे कोर्ट में अर्जी दायर की थी। मामले के सभी आरोपितों को अब 28 फरवरी को मुंबई में एनआइए की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा। केंद्र ने पिछले महीने मामले की जांच एनआइए को सौंप दी थी। महाराष्ट्र की शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार ने केंद्र के इस कदम की आलोचना की थी।
यह मामला पुणे के शनिवारवाड़ा में 31 दिसंबर 2017 को आयोजित एलगार परिषद सम्मेलन में भड़काऊ भाषण दिए जाने से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि इस कारण इसके अगले ही दिन जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास ¨हसा भड़क उठी। पुणे पुलिस का दावा है कि इस सम्मेलन को नक्सलियों का समर्थन हासिल था। जांच के दौरान पुलिस ने सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, सोमा सेन, अरुण फरेरा, वरनन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और वरवर राव को नक्सलियों के साथ संपर्क रखने के आरोप में गिरफ्तार किया। एनआइए ने एलगार परिषद मामले में जिन 11 लोगों को नामजद किया है उनमें से नौ लोग अभी जेल में बंद हैं।
नवलखा, तेलबुंबडे को नहीं मिली अग्रिम जमानत
इधर, बॉम्बे हाई कोर्ट ने गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। जस्टिस पीडी नाईक ने नक्सलियों से जुड़े होने के मामले में गिरफ्तारी से पहले जमानत देने की मांग करने वाली याचिका नामंजूर कर दी। कोर्ट ने हालांकि दोनों को गिरफ्तारी से बचने के लिए दिए गए अंतरिम संरक्षण की अवधि चार सप्ताह के लिए बढ़ा दी ताकि वे सुप्रीम कोर्ट जा सकें।