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Pulwama Terror Attack: जैश पर पाकिस्‍तान की कार्रवाई नजर का धोखा, पहले भी कर चुका है ऐसे ड्रामे

यह एक ऐसा पैंतरा है जिसे पाकिस्‍तान इससे पहले भी इस्‍तेमाल कर चुका है। कश्‍मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्‍तान एक बार फिर ये पैंतरा इस्‍तेमाल किया है।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 08:54 AM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 09:25 AM (IST)
Pulwama Terror Attack: जैश पर पाकिस्‍तान की कार्रवाई नजर का धोखा, पहले भी कर चुका है ऐसे ड्रामे
Pulwama Terror Attack: जैश पर पाकिस्‍तान की कार्रवाई नजर का धोखा, पहले भी कर चुका है ऐसे ड्रामे

नई दिल्‍ली, जेएनएन। पाकिस्‍तान सरकार की आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्‍मद पर अंतरराष्‍ट्रीय दबाव के बाद की गई कार्रवाई को अगर सिर्फ 'नजर का धोखा' कहें, तो गलत नहीं होगा। यह एक ऐसा पैंतरा है, जिसे पाकिस्‍तान इससे पहले भी इस्‍तेमाल कर चुका है। कश्‍मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्‍तान एक बार फिर ये पैंतरा इस्‍तेमाल किया है। बढ़ते वैश्विक दबाव के समक्ष घुटने टेकते हुए पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार को आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के मुख्यालय का प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मुहम्मद ने ही ली थी।

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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद चौतरफा घिरे पाकिस्तान ने एक बार फिर आतंकी संगठनों पर दिखावे की कार्रवाई की है। गुरुवार को पाकिस्तान सरकार ने ग्लोबल आतंकी हाफिज़ सईद के संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर बैन लगा दिया। इस एक्शन को पुलवामा के बाद बने दबाव में की गई कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है, हालांकि इस फैसले में जैश-ए-मोहम्मद संगठन का नाम भी नहीं लिया गया है जो कि पुलवामा आतंकी हमले का असली गुनाहगार है।

26/11 के बाद भी पाकिस्‍तान ने की ऐसी ड्रामेबाजी

याद दिला दें कि पाकिस्‍तान की ओर से 2008 में मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमलों के बाद भी पाकिस्‍तान ने कुछ ऐसी ही ड्रामेबाजी की थी। पाकिस्‍तान ने 26/11 आतंकी हमलों के बाद लश्‍कर-ए-तयैबा पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे। लेकिन ये सिर्फ दिखावा ही साबित हुआ था। हाफिज सईद खुलेआम पाकिस्‍तान में नजर आ रहा था। इससे पहले आतंरिक मंत्रालय ने दोनों संगठनों को निगरानी सूची में रखा हुआ था। जमात-उद-दावा को लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य संगठन माना जाता है। जून, 2014 में अमेरिका ने इसे विदेशी आतंकी संगठन घोषिषत कर दिया था। मुंबई आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने भी आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तयैबा पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन इसके बाद आतंकी हाफिज सईद ने चैरिटी ऑर्गनाइजेशन के नाम पर जेयूडी यानी जमात-उत-दावा की स्थापना आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए की थी।

दुनिया को दिखाने के लिए लश्‍कर सरगना को किया था नजरबंद

आपको बता दें कि जेयूडी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा (एलईटी) का मुखौटा संगठन है। अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अपनी गतिविधियों को जारी रखने के लिए लश्कर ने इस संगठन का गठन किया था। लश्कर के आतंकियों ने ही 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हमला किया था, जिसमें कई विदेशियों समेत 166 लोग मारे गए थे। अमेरिका ने जून, 2014 में उसे विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया था। अमेरिका ने 2012 में ही एलईटी सरगना हाफिज सईद को वैश्विक आतंकी घोषित किया था। साथ ही उस पर एक करोड़ डॉलर (70 करोड़ रुपये) का इनाम भी घोषित किया था। दिसंबर, 2008 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत सईद को आतंकियों की सूची में डाला गया था। दुनिया को दिखाने के लिए पाकिस्तान ने उसे घर में नजरबंद किया था।

पाकिस्‍तान इस डर से करता है आतंकियों पर कार्रवाई

पाकिस्तान मामलों के जानकार और वहां आधारित आतंकी संगठनों की गतिविधियों पर निगाह रखने वाले विशेषज्ञों के अनुसार पाक की यह कार्रवाई वैश्विक संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स( एफएटीएफ) की संभावित कार्रवाई से बचने की कवायद का हिस्सा जान पड़ती है। दक्षिण एशिया मामलों की विशेषज्ञ और पाकिस्तान के आतंकी ढांचे पर एक किताब लिख चुकीं फ्रांसेस्का मैरीनो के अनुसार हाफिज सईद के संगठनों पर पाबंदी जिस तरह एफएटीएफ की पेरिस में होने जा रही बैठक के पहले लगाई है उससे यह साफ है कि यह दुनिया को गुमराह करने की कार्रवाई है। उनके अनुसार वह मार्च 2010 में उसके घर जा चुकी हैं और वहां उन्होंने देखा था कि हाफिज सईद आइएसआइ और पाकिस्तानी सेना की पहरेदारी में ‘नजरबंद’ था। उनके अनुसार हाफिज सईद के संगठनों पर पाकिस्तान की पाबंदी एक मजाक है।पाकिस्तान के सीनेटर और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता फरतुल्ला बाबर ने हाफिज सईद के संगठनों पर पाबंदी को लेकर हैरानी जताते हुए कहा कि क्या किसी को याद है कि इस तरह की पाबंदी कितनी बार लगाई जा चुकी है? सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार पाकिस्तान अपने यहां के आतंकी ढांचे पर लगाम लगाने को लेकर गंभीर नहीं, इसका पता इससे भी चल रहा है कि मसूद अजहर के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई।

बहावलपुर में है जैश का मुख्यालय

पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने बताया कि पंजाब सरकार ने बहावलपुर में जैश-ए-मुहम्मद के मुख्यालय का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है। इस परिसर में मदरेस्सतुल साबिर और जामा-ए-मस्जिद सुभानल्लाह स्थित हैं और इसके कामकाज के प्रबंधन के लिए प्रशासक भी नियुक्त कर दिया है। बहावलपुर लाहौर से 400 किमी दूर स्थित है। जैश-ए-मुहम्मद के इस मुख्यालय परिसर में स्थित इस्लामिक मदरसे में 70 शिक्षक हैं और वहां करीब 600 छात्र इस्लाम की तालीम हासिल कर रहे हैं। पाकिस्तान के आतंरिक मंत्रालय की ओर से जारी बयान में भी कहा गया है कि जैश के खिलाफ कार्रवाई प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक ही की गई है।

गौरतलब है कि पाकिस्‍तान का असली चेहरा इससे भी दिखाई देता है कि दुनिया के सामने खुद को आतंक ग्रसित देश दिखाने के लिए आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने वाले पाकिस्‍तान ने भारत के खिलाफ साजिश रचना भी शुरू कर दिया है। गुरुवार को ही पाकिस्तान सुरक्षा समिति की बैठक में प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी सेना को खुली छूट दी है कि वह भारत पर कार्रवाई करे, जिसके बाद से ही सेना प्रमुख कमर बाजवा की अगुवाई में पाकिस्तानी सेना ने बॉर्डर पर गतिविधियां कर दी हैं।


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