सरकारी वकील बोले- अर्बन नक्सलियों का रिश्ता बड़े माओवादियों से
अदालत को बताया कि छापों के दौरान जब्त किए गए पत्रों से साबित होता है कि इनके संबंध सर्वोच्च माओवादी नेताओं से थे।
पुणे [प्रेट्र]। यलगार परिषद मामले में वामपंथी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के सिलसिले में अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि छापों के दौरान जब्त किए गए पत्रों से साबित होता है कि इनके संबंध सर्वोच्च माओवादी नेताओं से थे।
इस साल जून और अगस्त में गिरफ्तार किए गए अर्बन नक्सल सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, वरनोन गोंजाल्विस, अरुण फरेरिया और सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका पर सुनवाई फिलहाल जिला जज केडी वदाने की अदालत में चल रही है।
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील उज्ज्वला पवार ने अदालत को बताया कि देश की संप्रभुता को खतरे में डालने के लिए एक बड़े स्तर पर साजिश चल रही थी। इन सबके उस साजिश में शामिल होने के प्रमाण मौजूद हैं। उन्होंने इन आरोपितों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जब्त किए गए इन पत्रों से प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) संगठन ने देश के विभिन्न हिस्सों में दलित भावनाओं को भड़काने के लिए अनवरत प्रदर्शनों के आयोजन की साजिश रची थी।
माओवादियों और उनके समर्थकों का मानना था कि इन प्रदर्शनों को धीरे-धीरे कानून व्यवस्था को तोड़ने का हथियार बनाया जाएगा। और इससे राजनीतिक समीकरण बदलेंगे। पवार ने कुछ पत्र पढ़कर सुनाए जिसमें कुख्यात ईनामी माओवादियों का जिक्र था।
एक पत्र में कामरेड जी का जिक्र था जिसकी पहचान कामरेड गणपति के रूप में हुई है। वह भाकपा (माओवादी) का महासचिव और एक करोड़ रुपये का ईनामी है। एक अन्य पत्र में कामरेड एम यानी कामरेड दीपक उर्फ मिलिंद तेलतुंबाड़े का जिक्र है जिसके सिर पर 40 लाख रुपये का ईनाम है। पुलिस को तेलतुंबाड़े का फोटो भी रोना विल्सन के लैपटॉप पर मिला है। सरकारी वकील शनिवार को भी अपनी जिरह जारी रखेंगी।