Parliament Question Hour: संसद में प्रश्नकाल खत्म करने के प्रस्ताव पर लगी मुहर, राजनाथ ने कहा- देंगे सारे सवालों का जवाब
राजनाथ ने कहा कि मौखिक प्रश्नों का जवाब नहीं होगा लिखित सवालों का जवाब सदस्यों को मिलेगा। इसके बाद स्पीकर ने सरकार के प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित करा दिया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना काल में हो रहे संसद के मानसून सत्र में प्रश्नकाल के साथ सांसदों के निजी विधेयक की व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है। विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद लोकसभा ने प्रश्नकाल को पूरे सत्र के दौरान खत्म करने के सरकार के प्रस्ताव को पारित कर दिया।
लोकतंत्र और संसदीय व्यवस्था को कमजोर करने का विपक्ष ने लगाया आरोप
इस फैसले पर गंभीर सवाल उठाते हुए विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है। वहीं सरकार ने सफाई देते हुए कहा कि वह अपनी जवाबदेही से भाग नहीं रही और सदन में विपक्ष के उठाए सभी सवालों का जवाब देगी।
संसदीय कार्य मंत्री ने कोरोना के चलते सवालों का जवाब देने में कठिनाईयों का दिया हवाला
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने लोकसभा में जैसे ही इससे संबंधित प्रस्ताव पेश किया वैसे ही कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी समेत विपक्ष के नेताओं ने इस पर गंभीर एतराज जताया। जोशी ने कोरोना की चुनौती को देखते हुए सवालों का जवाब देने के लिए अधिकारियों का जमावड़ा करने की कठिनाईयों का हवाला दिया।
अधीर रंजन ने कहा- जब कोविड काल में संसद सत्र हो सकता है तो प्रश्नकाल क्यों नहीं
जोशी के तर्क को खारिज करते हुए अधीर रंजन ने कहा कि जब कोविड काल में संसद का सत्र हो सकता है तो प्रश्नकाल को खत्म करने का औचित्य समझ से परे है। उन्होंने कहा कि संसदीय व्यवस्था में प्रश्नकाल लोकतंत्र की आत्मा है और इसे गोल्डेन आवर कहा जाता है। सरकार की जवाबदेही से जुड़े सवाल उठाए जाते हैं और सरकार साफ तौर पर लोकतंत्र की आवाज दबाना चाहती है।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी प्रश्नकाल खत्म करने को गलत ठहराया
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी नियमों का हवाला देते हुए प्रश्नकाल खत्म करने को गलत ठहराया। एआइएमआइएम के नेता असदउद्दीन ओवैसी ने विरोध करते कहा कि विधायिका के दायरे में सरकार अतिक्रमण कर रही है जो शर्मनाक है। ओवैसी ने प्रस्ताव पर सदन में मतदान कराने की भी मांग की मगर स्पीकर ओम बिरला ने मांग खारिज कर दी।
टीसी नेता कल्याण बनर्जी ने कहा- प्रश्नकाल संसदीय प्रक्रिया के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है
तृणमूल कांग्रेस नेता कल्याण बनर्जी ने कहा कि प्रश्नकाल संसदीय प्रक्रिया के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है। ऐसे में प्रश्नकाल को खत्म करने का मतलब है कि संसद की बैठकों का आधा प्रभाव समाप्त हो जाएगा। विपक्ष के एतराज का जवाब देते हुए प्रहलाद जोशी ने कहा कि लोकसभा के उपनेता रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ उन्होंने तमाम दलों के नेताओं से इसको लेकर बातचीत की थी।
जोशी ने कहा- आज संसद के बुनियादी ढांचे की बात हो रही है मगर 1975 में क्या हुआ था?
विपक्षी नेताओं को आइना दिखाते हुए जोशी ने तंज कसा कि आज संसद के बुनियादी ढांचे की बात हो रही है मगर 1975 में क्या हुआ था? कोविड काल में केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और आंध्र प्रदेश की विधानसभा की संक्षिप्त बैठकों में प्रश्नकाल नहीं होने का जिक्र करते हुए जोशी ने कहा कि सदन में सवाल उठाने के लिए कई तरीके हैं और सरकार हर प्रश्न का जवाब देगी।
राजनाथ ने कहा- मौखिक प्रश्नों का जवाब नहीं होगा, लिखित सवालों का जवाब सदस्यों को मिलेगा
विपक्षी विरोध को शांत करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि विपक्षी नेताओं से हुई बातचीत में अधिकांश दलों ने प्रश्नकाल खत्म करने व शून्यकाल को आधे घंटे का करने के प्रस्ताव पर सहमति दी थी। सभी नेता सहमत थे कि अभूतपूर्व हालातों में संसद का यह सत्र हो रहा है और इसके अनुरूप ही सरकार ने प्रश्नकाल को सत्र में नहीं रखने का फैसला लिया है। राजनाथ ने कहा कि केवल मौखिक प्रश्नों का ही जवाब नहीं होगा, लेकिन लिखित सवालों का जवाब सदस्यों को मिलेगा। इसके बाद स्पीकर ने विपक्षी एतराज के बावजूद सरकार के प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित करा दिया।