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Ayodhya Ram Mandir: प्रियंका गांधी ने कहा- राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने भूमि पूजन

भगवान राम और माता सीता के संदेश और उनकी कृपा के साथ रामलला के मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 01:50 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 01:52 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir: प्रियंका गांधी ने कहा- राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने भूमि पूजन
Ayodhya Ram Mandir: प्रियंका गांधी ने कहा- राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने भूमि पूजन

नई दिल्ली, एएनआई। अयोध्या में राम मंदिर भूमिपूजन के एक दिन पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की ओर से बयान जारी किया गया है। प्रियंका ने ट्वीट कर अपना बयान जारी किया, उन्होंने कहा कि भूमिपूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने। उन्होंने कहा कि भगवान राम सबमें हैं और सबके हैं। ऐसे में पांच अगस्त को अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए होने जा रहा भूमि पूजन राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का कार्यक्रम बनना चाहिए।

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प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने ट्वीट में लिखा कि सरलता, साहस, संयम, त्याग, वचनवद्धता, दीनबंधु राम नाम का सार है। भगवान राम और माता सीता के संदेश और उनकी कृपा के साथ रामलला के मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता का अवसर बने।

गौरतलब है कि अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने एक बयान में कहा कि दुनिया और भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति में रामायण की गहरी और अमिट छाप है। भगवान राम, माता सीता और रामायण की गाथा हजारों वर्षों से हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक स्मृतियों में प्रकाशपुंज की तरह आलोकित है।

उनके मुताबिक, भारतीय मनीषा रामायण के प्रसंगों से धर्म, नीति, कर्तव्यपरायणता, त्याग, उदात्तता, प्रेम, पराक्रम और सेवा की प्रेरणा पाती रही है। उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक रामकथा अनेक रूपों में स्वयं को अभिव्यक्त करती चली आ रही है। श्रीहरि के अनगिनत रूपों की तरह ही रामकथा हरिकथा अनंत है।

उन्होंने कहा कि युग-युगांतर से भगवान राम का चरित्र भारतीय भूभाग में मानवता को जोड़ने का सूत्र रहा है। भगवान राम आश्रय हैं और त्याग भी। राम सबरी के हैं, सुग्रीव के भी। राम वाल्मीकि के हैं और भास के भी। राम कंबन के हैं और एषुत्तच्छन के भी। राम कबीर के हैं, तुलसीदास के हैं, रैदास के हैं। सबके दाता राम हैं।


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