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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीट बेल्‍ट लगा सकते हैं तो आप क्‍यों नहीं ?

2017 के सर्वे में पाया कि भारत में कार को प्रयोग करने वाले में से सिर्फ 25 फीसदी ही सीट बेल्‍ट का प्रयोग करते हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 05:39 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 08:25 PM (IST)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीट बेल्‍ट लगा सकते हैं तो आप क्‍यों नहीं ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीट बेल्‍ट लगा सकते हैं तो आप क्‍यों नहीं ?

नई दिल्‍ली, जागरण स्‍पेशल। अगर हमें हादसों से बचना है पहले खुद ही नियमों का पालन करना होगा। देश में अभी भी लोग हेल्‍मेट पहनने और सीट बेल्‍ट बांधने जैसे नियमों को पालन करने के लिए संजीदा नहीं हैं। इसके मद्देनजर सड़क सुरक्षा को प्रोत्‍साहन देने के लिए पीआईबी (प्रेस इनफार्मेशन ब्‍यूरो) ने ट्विटर पर प्रेरणादायी वीडियो जारी किया है।

वीडियो में दिखाया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब कार में प्रवेश करते हैं तो सबसे पहले वे सीट बेल्‍ट लगाते हैं। इस वीडियो को शेयर करते हुए पीआइबी ने प्रश्‍न पूछा है कि जब प्रधानमंत्री अपनी कार में बैठते हैं तो सीट बेल्ट डालते हैं ... आपके पास क्‍या बहाना है ? 
 

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यह फुटेज सड़क, परिवहन और हाइवे मंत्रालय ने  सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान के समर्थन में जारी किया है जिसे 'सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा' नाम दिया गया है। यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाथ लहराने के बाद एसयूवी में बैठे और सीट बेल्ट लगाया। इस वीडियो को जारी करते हुए पीआइबी ने कैप्‍शन लगाया है कि अपना सीट बेल्‍ट पहनो। सभी से अनुरोध किया है कि ट्रैफिक नियमों को पालन करें। यह वीडियो सिर्फ एक दिन पहले जारी किया गया है कि जिसमें 50,000 लाइक मिले हैं और सैकड़ों सराहना करने वाले कमेंट मिले हैं।        

बरखा त्रेहन का कहना है कि सड़क सुरक्षा के लिए उत्‍कृष्‍ट पहल' । दूसरे यूजर ने कहा है कि कानून का पालन करने वाला प्रधानमंत्री ही कानून पालन करने वाले नागरिक बना सकता है। एक सच्चा नेता। बरखा त्रेहन ने कहा है कि देश के नागरिकों के लिए महान संदेश। रजनीश शर्मा ने कहा है कि मोदी जी उदाहरण स्थापित करके नेतृत्व करते हैं .. खुद से बेहतर क्या है। वह बदलाव, जिसे आप देखना चाहते हैं.. #सम्मान।

वर्ल्‍ड हेल्‍थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार सीट बेल्ट प्राथमिक संयम प्रणाली है जो हादसे में 45-60% तक मौत का खतरा कम कर सकती है। मारुति सुजुकी इडिया लिमिटेड ने 2017 के सर्वे में पाया कि भारत में कार को प्रयोग करने वाले में से सिर्फ 25 फीसदी ही सीट बेल्‍ट का प्रयोग करते हैं। इस महीने अभिनेता अक्षय कुमार ने 'सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा अभियान' शुरू किया है जिसमें लोगों को यातायात के नियमों के प्रति सचेत किया जा रहा है।   

केंद्रीय मंत्री की सड़क हादसे में हुई थी मौत 

दिल्‍ली में केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की जून, 2014 में सड़क हादसे में मौत हो गई थी। अपने आवास से एयरपोर्ट जा रहे मुंडे की कार ने रेड लाइट सिग्‍नल तोड़ा और हादसे का शिकार हो गई। इस दौरान उनकी कार को पीछे से आ रही कार ने टक्‍कर मार दी थी। हादसे के बाद मुंडे कार की सीट से गिर गए थे। उन्‍होंने अपने सहायक से पानी मांगा था। गंभीर रूप से जख्‍मी मुंडे को एम्‍स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां करीब साढ़े सात बजे डॉक्‍टरों ने उन्‍हें मृत घोषित कर दिया। डॉक्‍टरों ने बताया कि मुंडे को अंदरूनी चोट लगने से उनका लिवर फट गया था। हादसे के बाद मुंडे कार की सीट से गिर गए थे। पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया कि अंदरूनी चोट और दिल का दौरा पड़ने से मुंडे की मौत हुई है।
बाल-बाल बचे दंपति और बच्‍चा 
बेंगलुरु की सड़क पर 5 साल के बच्‍चे के साथ जा रहे दंपती की बाइक एक दूसरी बाइक से टकरा गयी। इसके बाद दंपती बाइक से गिर पड़े, लेकिन उनका मासूम बच्‍चा बाइक पर ही बैठा रह गया। बताया जा रहा है कि यह मामला 19 अगस्‍त, 2018 (रविवार) का है। बच्‍चे के साथ बाइक 300 मीटर की दूरी तक चलती रही। आखिरकार बाइक एक डिवाइडर से टकरा गई। डिवाइडर से टकराने पर बच्चा बाइक से उछलकर घास में जा गिरा, उसे कोई भी चोट नहीं आई। इसे ईश्‍वर की कृपा कह लें कि उस व्‍यस्‍त सड़क पर आती-जाती गाड़ियों से भी बाइक की टक्‍कर नहीं हुई। बता दें कि बेंगलुरु के निवासी चन्नापरमेश्वर और उनकी पत्नी रेणुका अपने 5 वर्षीय बेटे के साथ बाइक पर बेंगलुरु जा रहे थे। वहां से गुजर रही कार में बैठे शख्‍स ने इस पूरी घटना का वीडियो रिकॉर्ड कर लिया।
हालांकि वीडियो के जरिए बाइक सवार दंपती की गलतियां भी इस पूरे मामले में सामने आई हैं। पहला तो उसने ट्रैफिक नियमों का उल्‍लंघन किया और गलत दिशा से ओवरटेक करने की कोशिश में था, दूसरा उसने हेल्‍मेट भी नहीं पहना था। यह मात्र एक संयोग है कि इस घटना में वे बच गए, लेकिन ऐसा बार-बार नहीं होता।

सड़क हादसों में सबसे ज्‍यादा भारत में मौतें 
सड़क हादसों में भारत को हर साल मानव संसाधन का सर्वाधिक नुकसान होता है। अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन (आईआरएफ) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 12.5 लाख लोगों की प्रति वर्ष सड़क हादसों में मौत होती है. इसमें भारत की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से ज़्यादा है। जिनेवा स्थित आईआरएफ के अध्यक्ष केके कपिला ने बताया कि भारत में साल 2016 में 1,50,785 लोग सड़क हादसों में मारे गए। यह किसी भी देश के मानव संसाधन का सर्वाधिक नुकसान है।

हेल्‍मेट नहीं पहनने से बढ़ जाता है खतरा  
अधिकांश दोपहिया वाहन सवार हेल्‍मेट का प्रयोग नहीं करते। इससे सड़क हादसों में उनकी मौत की आशंका बढ़ जाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर दोपहिया वाहन चालक ने हेल्‍मेट पहना हो तो सड़क हादसे में मौत का खतरा 50 फीसद तक कम हो जाता है।

सड़क हादसों में हर घंटे होती है 17 लोगों की मौत
सड़क और परिवहन मंत्रालय ने 'रोड एक्सीडेंट इन इंडिया-2016' रिपोर्ट जारी की। इसके अनुसार पिछले 11 वर्षों में (2005 से 2016) सड़क हादसे 9.42% बढ़ गए, जबकि मौतों की संख्या छह गुना तेजी से 58.77% बढ़ी। पिछले साल औसतन हर एक घंटे में 55 सड़क दुर्घटनाएं हुईं और हर घंटे 17 लोगों की मौत हुई। इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में देश में 4 लाख 80 हज़ार 652 सड़क हादसे हुए, जिनमें 1 लाख 50 हज़ार 785 लोगों की मौत हो गई और 4 लाख 94 हज़ार 624 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
रिपोर्ट में पहली बार बिना हेल्‍मेट या बिना सीट बेल्ट लगाने के चलते जान गंवाने वालों के आंकड़े भी आए हैं। 2016 में हुए चार लाख 80 हजार 652 सड़क हादसों में सीट बेल्ट पहनने के कारण 5,638 दुर्घटनाएं हुईं। 52 हजार 500 दोपहिया वाहन हादसों में हेल्‍मेट पहनने या ठीक से नहीं लगाने के कारण सबसे ज्यादा 10,135 (19.3%) बाइक सवारों ने जान गंवा दी।
 


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