नई दिल्ली, एएनआइ। एक तरफ जहां महराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (MVA) की सरकार में उथल-पुथल मचा हुआ है। वहीं, बुधवार देर रात भाजपा के आईटी प्रमुख अमित मालवीय ने ट्विटर के जरिए विपक्षी दलों की एकता पर चुटकी ली है। अमित मालवीय ने ट्विटर पर कहा, 'यह दिलचस्प है कि शिवसेना (जो भी इस समय शिवसेना में मौजूद हैं) या राकांपा ( राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) से किसी सांसद या विधायक ने यशवंत सिन्हा के नामांकन पर या तो प्रस्तावक या समर्थक के रूप में हस्ताक्षर नहीं की है। उन्होंने आगे लिखा कि शायद एमवीए की अस्तित्व को लेकर विपक्षी दल चिंतित हैं।
It is interesting that no one from either the Shiv Sena (whatever is left of it) or the NCP has signed Yashwant Sinha’s nomination, either as a proposer or seconder. So much for opposition unity and consensus candidate!
Or may be they are too anxious speculating MVA’s existence?
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 28, 2022
बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए आम विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने सोमवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।
भाजपा ने उठाए समर्थन में हस्ताक्षर को लेकर सवाल
यशवंत सिन्हा के नामांकन पत्र दाखिल करने के वक्त कांग्रेस के राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे, तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी और सौगत राय, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के के टी रामाराव सहित विपक्ष के कई शीर्ष नेता इस दौरान मौजूद थे। यशवंत सिन्हा द्वारा नामांकन पत्र दाखिल किए जाने के बाद, असदुद्दीन ओवैसी ने ट्विटर के माध्यम से घोषणा की कि उनकी पार्टी सिन्हा का समर्थन करेगी। गौरतलब है कि भाजपा ने सवाल किया कि उन्होंने एनसीपी के शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल की मौजूदगी के बावजूद यशवंत सिन्हा की उम्मीदवारी के समर्थन में हस्ताक्षर क्यों नहीं किए।
शिवसेना या एनसीपी के सासंद या विधायकों ने नहीं किया हस्ताक्षर
नामांकन पत्रों के पूरे सेट की जांच करने पर, यह पाया गया कि शिवसेना या एनसीपी के किसी भी सांसद या विधायक का एक भी हस्ताक्षर या उल्लेख नहीं है। भारत के राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होगा और परिणाम 21 जुलाई को घोषित किए जाएंगे। निवर्तमान राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त होगा।
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