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राष्ट्रपति ने संसद में कहा- गंगा की तर्ज पर साफ होंगी यमुना, नर्मदा, कावेरी सहित अन्य नदियां

सूखे की समस्या का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि सरकार इसके प्रति पूर्णतया सचेत है और हर प्रभावित देशवासी के साथ खड़ी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 08:45 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 08:45 PM (IST)
राष्ट्रपति ने संसद में कहा- गंगा की तर्ज पर साफ होंगी यमुना, नर्मदा, कावेरी सहित अन्य नदियां
राष्ट्रपति ने संसद में कहा- गंगा की तर्ज पर साफ होंगी यमुना, नर्मदा, कावेरी सहित अन्य नदियां

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने 2022 तक गंगा को अविरल और निर्मल बनाने का लक्ष्य रखा है। गंगा के साथ ही सरकार यमुना, नर्मदा, कावेरी और गोदावरी सहित अन्य नदियों को भी निर्मल बनायेगी।

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए यह एलान किया। उन्होंने कहा कि सरकार, गंगा की धारा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए समर्पित भाव से जुटी हुई है।

हाल में, जगह-जगह से गंगा में जलीय जीवन के लौटने के जो प्रमाण मिले हैं, वे काफी उत्साहवर्धक हैं। देश जब 2022 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनायेगा तब तक गंगा अविरल और निर्मल हो जाएगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार 'नमामि गंगे' योजना के तहत गंगा नदी में गिरने वाले गंदे नालों को बंद करने के अभियान में और तेजी लाएगी। साथ ही गंगा की तरह कावेरी, पेरियार, नर्मदा, यमुना, महानदी और गोदावरी जैसी अन्य नदियों को भी प्रदूषण से मुक्त किया जाए।

राष्ट्रपति के अभिभाषण में यह घोषणा इसलिए महत्वपूर्ण है कि दो दिन पहले ही सरकार ने अधिसूचना जारी करके नदियों की सफाई का जिम्मा पर्यावरण मंत्रालय से लेकर जलशक्ति मंत्रालय को सौंपा है। जलशक्ति मंत्रालय के तहत ही नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा 'नमामि गंगे योजना' को लागू किया जा रहा है और अब नेशनल रिवर कंजरर्वेशन अथॉरिटी भी उसके दायरे में आ गई है।

माना जा रहा है कि पांच जुलाई को पेश होने वाले आम बजट 2019-20 में नदियों की सफाई सहित जल क्षेत्र के लिए सरकार भारी भरकम धनराशि का आवंटन कर सकती है।

राष्ट्रपति ने देश और दुनिया पर आसन्न जल संकट का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, '21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है- बढ़ता हुआ जल-संकट। हमारे देश में जल संरक्षण की परंपरागत और प्रभावी व्यवस्थाएं समय के साथ लुप्त होती जा रही हैं।

तालाबों और झीलों पर घर बन गए और जल-स्रोतों के लुप्त होने से गरीबों के लिए पानी का संकट बढ़ता गया। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते प्रभावों के कारण आने वाले समय में, जलसंकट के और गहराने की आशंका है।'

राष्ट्रपति ने कहा कि आज समय की मांग है कि जिस तरह देश ने 'स्वच्छ भारत अभियान' को लेकर गंभीरता दिखाई है, वैसी ही गंभीरता 'जल संरक्षण एवं प्रबंधन' के विषय में भी दिखाई जाए। हमें अपने बच्चों और आने वाली पीढि़यों के लिए पानी बचाना ही होगा।

उन्होंने कहा कि नवगठित 'जलशक्ति मंत्रालय' इस दिशा में एक निर्णायक कदम है जिसके दूरगामी लाभ होंगे। इस नए मंत्रालय के माध्यम से जल संरक्षण एवं प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्थाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।

उन्होंने सूखे की समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार इसके प्रति पूर्णतया सचेत है और हर प्रभावित देशवासी के साथ खड़ी है। राज्य सरकारों और गांव के स्तर पर सरपंचों के सहयोग से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि पीने केपानी की कम से कम दिक्कत हो और किसानों को भी मदद मिल सके।

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