गरीबी दूर करने के लिए सरकार ने शुरू किए हैं बुनियादी कार्यक्रम : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि मोदी सरकार ने गरीबी को मात देने और लाखों लोगों का जीवन स्तर उठाने के लिए कई बुनियादी कार्यक्रम शुरू किए हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि मोदी सरकार ने गरीबी को मात देने और लाखों लोगों का जीवन स्तर उठाने के लिए कई बुनियादी कार्यक्रम शुरू किए हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग जिन सुविधाओं और सेवाओं को पाने के हकदार हैं, उन्हें मुहैया कराने के प्रयास भी सरकार ने किए हैं।
यथास्थिति को बदलने के लिए श्रमदान
राष्ट्रपति ने यह बात मंगलवार को यहां एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने इन्क्लूसिव यानी सबको साथ लेकर चलने वाले 'न्यू इंडिया' के विचार को मूर्त रूप देने के लिए अहम कदम उठाए हैं। साथ ही जनता ने भी यथास्थिति को बदलने के लिए व्यापक स्तर पर श्रमदान किया है।
इससे पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मोदी सरकार के चार साल के कार्यकाल के प्रदर्शन और विश्लेषण पर लिखी गई पुस्तक ''मेकिंग ऑफ न्यू इंडिया: ट्रांसफॉर्मेशन अंडर मोदी गवर्नमेंट'' का विमोचन किया। जेटली ने इस किताब की पहली प्रति राष्ट्रपति को सौंपी। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष विवेक देबरॉय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक अनिरबन गांगुली और पीएमईएसी में ओएसडी किशोर देशाई ने इस किताब का संपादन किया है।
प्रो-पुअर और प्रो-बिजनेस है मोदी सरकार
जेटली ने इस मौके पर कहा कि मोदी सरकार प्रो-पुअर और प्रो-बिजनेस है। उन्होंने गरीबों के लिए शुरू किए गए मोदी सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए कहा कि इनसे गरीबों को फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के आयुष्मान भारत कार्यक्रम से अब तक तीन लाख लोगों को फायदा पहुंच चुका है। जेटली ने परोक्ष रूप से कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता अब सत्तर के दशक के नारों पर भरोसा नहीं करती है।
जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार जो भी राजस्व संग्रह कर रही है उसमें से लगभग तीन चौथाई राज्यों को चला जाता है। जीएसटी संग्रह का आधा हिस्सा तो सीधे ही राज्यों को चला जाता है। चूंकि केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 42 प्रतिशत है, इसलिए केंद्र जो धनराशि जुटाता है, उसका बड़ा हिस्सा राज्यों के पास चला जाता है। इसके अलावा केंद्रीय योजनाओं के रूप में भी धनराशि राज्यों के पास जाती है। इस तरह केंद्र सरकार जो राजस्व संग्रह करती है उसका लगभग 80 प्रतिशत राज्यों के पास चला जाता है।