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राष्ट्रपति कोविन्द ने नारकोटिक्स और चुनाव संशोधन विधेयकों को दी मंजूरी, शीतकालीन सत्र में हुए थे पारित

राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रापिक सब्सटेंस (संशोधन) विधेयक 2021 और चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक 2021 को अपनी स्वीकृति दे दी है जो अभूतपूर्व हंगामे के बीच संसद के हाल ही में संपन्न संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पारित किए गए थे।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 31 Dec 2021 06:43 PM (IST)Updated: Fri, 31 Dec 2021 06:43 PM (IST)
राष्ट्रपति कोविन्द ने नारकोटिक्स और चुनाव संशोधन विधेयकों को दी मंजूरी, शीतकालीन सत्र में हुए थे पारित
राष्ट्रपति कोविन्द ने नारकोटिक्स और चुनाव संशोधन विधेयकों को दी मंजूरी।

नई दिल्ली, एएनआइ। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रापिक सब्सटेंस (संशोधन) विधेयक 2021 और चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक 2021 को अपनी स्वीकृति दे दी है, जो अभूतपूर्व हंगामे के बीच संसद के हाल ही में संपन्न संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पारित किए गए थे। राष्ट्रपति की मंजूरी से दोनों विधेयक, अधिनियम में बदल गए हैं। राष्ट्रपति ने बुधवार को दोनों विधेयकों को अपनी मंजूरी दे दी। एक गजट अधिसूचना के अनुसार, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रापिक सबस्टेंस (संशोधन) अधिनियम 2021 और चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है।

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नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रापिक सबस्टेंस (संशोधन) अधिनियम 2021

नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रापिक सबस्टेंस (संशोधन) अधिनियम 2021 के माध्यम से नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रापिक सबस्टेंस एक्ट 1985 में संशोधन हुआ है। यह नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रापिक सबस्टेंस (संशोधन) अध्यादेश 2021 की जगह लेता है। यह अधिनियम नशीली दवाओं से संबंधित कुछ कार्यों (बनाे, परिवहन और खपत) के नियंत्रण को लेकर है।

सजा का प्रावधान

अधिनियम के तहत कुछ अवैध गतिविधियों (जैसे नशीले पदार्थ की खेती या नशीली दवाओं का निर्माण) या उनमें लगे व्यक्तियों को शरण देना एक अपराध घोषित किया गया है। इस अपराध के दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों को कम से कम दस साल के कठोर कारावास और कम से कम एक लाख रुपये के जुर्माने से दंडित किया जाएगा। करावास की अवधि बढ़ाकर 20 साल भी की जा सकती है। 

चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम 2021

चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम 2021 वोटर कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करने से जुड़ा है। इस विधेयक के माध्यम से जन प्रतिनिधि कानून 1950 और जन प्रतिनिधि कानून 1951 में संशोधन हुआ है। वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने से वोटर लिस्ट में नामों का दोहराव नहीं होगा। फर्जी वोटिंग रोकने में मदद भी मिलेगी। सरकार ने कहा है कि आधार को वोटर कार्ड से जोड़ना अनिवार्य नहीं है।


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