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सुप्रीम कोर्ट की विश्व स्तरीय नई इमारत का राष्ट्रपति कोविंद 17 जुलाई को करेंगे उद्धाटन

पुरानी से नई बिल्डिंग पहुंचने के लिए 3 भूमिगत रास्ते हैं जिसमें से एक रास्ता जजों के लिए दूसरा सुप्रीम कोर्ट रिकार्ड के लाने ले जाने के लिए और तीसरा रास्ता वकीलों के लिए है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 14 Jul 2019 08:18 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jul 2019 08:18 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट की विश्व स्तरीय नई इमारत का राष्ट्रपति कोविंद 17 जुलाई को करेंगे उद्धाटन
सुप्रीम कोर्ट की विश्व स्तरीय नई इमारत का राष्ट्रपति कोविंद 17 जुलाई को करेंगे उद्धाटन

माला दीक्षित, नई दिल्ली। बारह एकड़ में बनी सात साल में पूरी हुई सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग न सिर्फ सीपीडब्लूडी की ओर से बनाई गई अब तक सबसे बड़ी इमारत है, बल्कि डिमोलीशन वेस्ट भी सबसे ज्यादा इसी में इस्तेमाल हुआ है। पर्यावरण अनुकूल सोलर एनर्जी से लैस विश्व स्तरीय खूबियों वाला सुप्रीम कोर्ट यह नया परिसर वहीं है जहां कभी अप्पू घर होता था।

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इस इमारत में कोर्ट का प्रशासनिक कामकाज, रिकार्ड और रजिस्ट्री आदि होगी, लेकिन अदालतें पुरानी बिल्डिंग में ही रहेंगी। तीन भूमिगत रास्तों से पुरानी बिल्डिंग से जुड़ी इस नई बिल्डिंग का उद्धाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 17 जुलाई को करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट की शुरूआत 28 जनवरी 1950 को हुई थी। शुरूआत में सुप्रीम कोर्ट का कामकाज संसद भवन के कुछ हिस्से में होता था। 1958 में सुप्रीम कोर्ट की अपनी बिल्डिंग बन गयी जो कि भगवान दास रोड पर स्थित है। इसके विस्तार के लिए नई इमारत बनाई गई है।

बिल्डिंग का काम 2012 में शुरू हुआ जो कि सात साल बाद अब 2019 में पूरा हुआ है। शुरूआत में काम एक निजी कंपनी को सौंपा गया था, लेकिन वह काम नहीं कर पाई और तीन साल बाद काम सीपीडब्लूडी को दिया गया। इस इमारत में तीन स्तरीय कार पार्किंग है जिसमें 1800 कारों के खड़े होने की जगह है।

बिल्डिंग निर्माण का काम देख रहे एक अधिकारी बताते हैं कि इसे बनाने में सबसे बड़ी चुनौती जमीन के पानी के प्रेशर को रोकना था। यमुना नदी के पास होने से यहां पानी दो- ढाई मीटर नीचे ही है जबकि तीन मंजिला पार्किग 16 मीटर नीचे बनाई गयी है। यहां पानी का दबाव रोकने के लिए स्पेशल स्वायल एंकर लगाए हैं ताकि बिल्डंग स्थाई और मजबूत रहे।

इस इमारत में रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है, लेकिन जमीन के नीचे पहले से ही काफी पानी है इसलिए पानी जमीन के नीचे रिचार्ज नहीं हो सकता इसलिए यहां रेन हार्वेस्टिंग के एक एक लाख लीटर क्षमता के तीन टैंक बनाए गये हैं जिसमें बारिश का पानी एकत्र होगा और उसे दोबारा इस्तेमाल किया जायेगा।

बिल्डंग के तीन गेट हैं। इस इमारत को भी सुप्रीम कोर्ट की पुरानी इमारत से मेल खाते लाल बलुए पत्थर से फिनिश किया गया है। आग लगने की स्थिति में फ्रेश एयर आने का इंतजाम है ताकि कभी दुभार्ग्यवश आग लगती है तो कोई दम घुटने से न मरे, जैसा ज्यादातर दुघर्टनाओं में होता है।

बिल्डिंग मे 40 फीसद बिजली सोलर से होगी। इमारत में जीरो फीसदी सीवर म्यूनिसपल डिस्चार्ज होगा। यहां इमारत के अंदर ही एसटीपी लगा हुआ है जो सीवर शोधित करेगा और उसके पानी का एसी कूलेंट सिस्टम और फ्लश में उपयोग होगा। इमारत के निमार्ण में 883 करोड़ का खर्च आया है।

नई बिल्डिंग में एक ब्लाक वकीलों के चैम्बर का भी है जहां 500 वकीलों के चैम्बर हैं। पुरानी से नयी बिल्डिंग तक जाने के लिए तीन भूमिगत रास्ते हैं जिसमें से एक रास्ता जजों के लिए, दूसरा सुप्रीम कोर्ट रिकार्ड के लाने ले जाने के लिए और तीसरा रास्ता वकीलों के आने जाने का है।

सुप्रीम कोर्ट में अभी तक कोई आडीटोरियम नहीं था इस बिल्डिंग में 620 सीटों की क्षमता वाला आडीटोरियम और 230 सीटों का मल्टीपरपज हाल है। इसके अलावा बड़े-बड़े कान्फ्रेंस हाल भी हैं। इमारत में सुप्रीम कोर्ट लीगल सविर्स, मेडिएशन सेंटर के अलावा नेशनल लीगल सविर्स अथारिटी का आफिस भी होगा। मुकदमों की फाइलिंग रजिस्ट्री का कामकाज, कोर्ट रिकार्ड भी इसी इमारत में स्थानांतरित होगा। यहां कैंटीन भी है।


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