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राष्ट्रपति कोविंद ने ICCR में किया अटल बिहारी के चित्र का अनावरण, बोले- हमेशा दी राष्ट्र हित सर्वोपरि की सीख

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद में उनके चित्र का अनावरण किया।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sun, 16 Aug 2020 01:38 PM (IST)Updated: Sun, 16 Aug 2020 01:38 PM (IST)
राष्ट्रपति कोविंद ने ICCR में किया अटल बिहारी के चित्र का अनावरण, बोले- हमेशा दी राष्ट्र हित सर्वोपरि की सीख
राष्ट्रपति कोविंद ने ICCR में किया अटल बिहारी के चित्र का अनावरण, बोले- हमेशा दी राष्ट्र हित सर्वोपरि की सीख

नई दिल्ली, एएनआइ। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अचल बिहार वाजपेयी की दूसरी पुण्यतिथी (रविवार) को नेताओं सहित पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। इसी बीच देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद में अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र का अनावरण किया। बता दें कि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि अटल जी, उदारवादी सोच और लोकतांत्रिक आदर्शों के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहे। सर्वमान्य और सर्वप्रिय अटल जी का सद्व्यवहार, विनोदप्रियता, वाक्‌पटुता और प्रभावी कार्यशैली जनसेवकों के लिए शिक्षा व प्रेरणा के स्रोत हैं।

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मुझे प्रसन्नता है कि आइसीसीआर ने अटल जी का चित्र लगाकर उनके प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त की है। यह

आइसीसीआर की टीम के लिए गौरव का विषय है कि मार्च 1977 से अगस्त 1979 तक, जब अटल जी भारत के विदेश मंत्री थे, तब उन्होंने इस संस्था के पदेन अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था।

भारत को 21 वी सदी में नई शक्ति के रुप में किया स्थापित

उन्होंने आगे कहा कि 21वीं सदी के आगमन के समय, प्रधानमंत्री के रूप में, अटल जी ने विश्व समुदाय के सम्मुख भारत को एक नई शक्ति के रूप में स्थापित किया। अटल जी अपने आचरण से सभी राजनैतिक दलों और जन जीवन में सक्रिय लोगों को यह सीख देते हुए कि राष्ट्र-हितकारी महापरिवर्तन होता है। उनका अपना आचरण दलित राजनीति से सदैव ऊपर रहा। सन 1971 के युद्ध में अटल जी तत्कालीन सरकार के समर्थन में दृढ़ता के साथ खड़े रहे।

पड़ोसियों के साथ मधुर संबंधों पर जोर देते थे अटल बिहारी वाजपेयी

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि अटल जी सभी देशों, विशेषकर पड़ोसियों के साथ मधुर सम्बन्धों पर ज़ोर देते थे। वे कहा करते थे कि मित्र बदले जा सकते है लेकिन पड़ोसी नहीं। इसके साथ-साथ, देश की सैन्य शक्ति को मजबूत बनाते हुए परमाणु परीक्षण का निर्णय लेने की दूरदर्शिता भी उनमें थी।


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