चुनाव आयुक्त पद से अशोक लवासा का इस्तीफा राष्ट्रपति कोविंद ने किया मंजूर, बने एडीबी के नए उपाध्यक्ष
लवासा जल्द ही एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के साथ अपनी नई पारी की शुरुआत करेंगे। वह एडीबी में बतौर वाइस प्रेसीडेंट काम करेंगे।
नई दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयुक्त पद से अशोक लवासा का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। उन्होंने मंगलवार को अपना इस्तीफा राष्ट्रपति के पास भेजा था।
लवासा का इस्तीफा 31 अगस्त से प्रभावी माना जाएगा
कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, लवासा का इस्तीफा 31 अगस्त से प्रभावी माना जाएगा।
लवासा जल्द ही एशियन डेवलपमेंट बैंक के साथ नई पारी की करेंगे शुरुआत
लवासा जल्द ही एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के साथ अपनी नई पारी की शुरुआत करेंगे। वह एडीबी में बतौर वाइस प्रेसीडेंट काम करेंगे।
लवासा मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनने की कतार में थे, एडीबी उपाध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे
लवासा मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनने की कतार में भी थे। वह एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के उपाध्यक्ष के रूप में जल्द ही पदभार ग्रहण करने वाले हैं। वह सितम्बर में फिलीपीन स्थित एडीबी में पद ग्रहण करेंगे। एडीबी ने पिछले महीने एक बयान में कहा था कि एडीबी ने लवासा को निजी क्षेत्र के संचालन और सार्वजनिक-निजी भागीदारी खंड के लिए उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। वह दिवाकर गुप्ता का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल 31 अगस्त को समाप्त हो रहा है।
लवासा को अक्टूबर 2022 में सेवानिवृत्त होना था
लवासा को अक्टूबर 2022 में सेवानिवृत्त होना था। लवासा ऐसे दूसरे चुनाव आयुक्त हैं, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया। इनसे पूर्व 1973 में सीईसी नागेन्द्र सिंह ने हेग में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त होने के बाद इस्तीफा दे दिया था।
मोदी और शाह को क्लीन चिट देने पर लवासा ने निर्वाचन आयोग के समक्ष असहमति जाहिर की थी
लवासा का इस्तीफा ऐसे समय में सामने आया है जब चुनाव आयोग कोरोना वायरस महामारी के बीच बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहा है। वह 23 जनवरी, 2018 को चुनाव आयुक्त बने थे। आयोग में वरिष्ठतम होने के नाते वे अगले वर्ष अप्रैल में मुख्य चुनाव आयुक्त बन सकते थे, जब वर्तमान सीईसी सुनील अरोड़ा का कार्यकाल समाप्त होने वाला है। लवासा 2019 में लोकसभा चुनाव के समय उस समय सुर्खियों में आये थे, जब चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को क्लिनचीट देने को लेकर उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष असहमति का नोट दिया था।