धृतराष्ट्र से दुर्योधन तक महाभारत के सभी चरित्र आज भी 'जीवित' : प्रणब
द्रौपदी को बेहद गुणवान महिला बताते हुए उन्होंने कहा कि अपने आत्मबल की बदौलत ही वह अपमान और अन्याय के खिलाफ आवाज उठा पाई थीं।
नई दिल्ली [प्रेट्र]। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि धृतराष्ट्र से लेकर दुर्योधन तक महाभारत के सभी चरित्र आज भी 'जीवित' हैं। द्रोपदी को बेहद गुणवान महिला बताते हुए उन्होंने कहा कि अपने आत्मबल की बदौलत ही वह अपमान और अन्याय के खिलाफ आवाज उठा पाई थीं।
पूर्व राष्ट्रपति राष्ट्रीय संग्रहालय में 'द्रौपदी और उनका पांचाल : इतिहास में उनकी पुनस्र्थापना' नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे। इस किताब में द्रोपदी पर 20 से ज्यादा विद्वानों के अध्ययन शामिल किए गए हैं। महाभारत में द्रौपदी प्राचीन राज्य पांचाल के राजा द्रुपद की पुत्री थीं।
प्रणब ने कहा, 'वास्तव में महाभारत का प्रत्येक चरित्र आज भी वैसे ही जीवित है जैसा उस कालखंड में था। आपको सिर्फ समाज में अपने आसपास देखना है। आपको धृतराष्ट्र भी मिलेंगे, और दुर्योधन व शकुनी भी। लेकिन आपको वहां हमेशा एक द्रौपदी भी मिलेगी जो न्याय के लिए आवाज उठा रही होगी। हम सभी को उसे अपना अनंत समर्थन देना चाहिए।' मालूम हो कि महाभारत में धृतराष्ट्र कुरू राज्य के राजा थे जिनके सौ पुत्र थे। दुर्योधन सबसे बड़ा था। शकुनी दुर्योधन का मामा था। वह बेहद बुद्धिमान, लेकिन कपटी व्यक्ति था।
द्रौपदी आज भी प्रासंगिक
द्रौपदी के गुणों की सराहना करते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि वह आज भी प्रासंगिक हैं और यही समय है जब इस गुणवान महिला को मान्यता और सम्मान दिया जाए। उन्होंने कहा, 'लगभग सभी अध्ययन पत्रों में उनके आत्मबल, विषम परिस्थितियों को चुनौती देने की क्षमता और सम्मान सहित विपत्तियों से लड़ने के गुण का उल्लेख किया गया है। इनमें एक महिला के रूप में उनका आत्मबल ही है जो उन्हें अपमान और अन्याय के खिलाफ बोलने के लिए प्रेरित करता है।' द्रौपदी के कार्य और उनकी प्रतिक्रियाएं समाज में महिलाओं के स्थान की महत्ता बताते हैं और वर्तमान विश्व में भी यह मुद्दा प्रासंगिक है।
कई लोगों की धारणा गलत
प्रणब ने कहा कि कई लोग वास्तविक द्रौपदी के बारे में गलत धारणा रखते हैं और उनके चरित्र की गलत व्याख्या करते हैं। उन्होंने कहा, 'आज के समाज को वास्तविक द्रौपदी के बारे में जानने और उनकी बौद्धिक व भक्ति की शक्ति को समझने की जरूरत है।' उन्होंने कहा कि द्रौपदी के मित्र भगवान कृष्ण उनके आध्यात्मिक गुरु और मार्गदर्शक थे। उन्हीं से द्रौपदी को अपने खिलाफ लगे आरोपों से निपटने, लैंगिक असमानता के खिलाफ बोलने और सभी तरह के अन्यायों के खिलाफ आवाज उठाने की ऊर्जा मिलती थी।
सिर्फ पांचाल की नहीं, भारत की भी थीं पुत्री
उन्होंने कहा कि द्रौपदी न सिर्फ पांचाल की बल्कि हमारे भारत की भी महान पुत्री थीं। किताब में इस मान्यता पर भी चर्चा की गई है कि कुरुक्षेत्र युद्ध के लिए द्रौपदी जिम्मेदार थीं। उन्होंने कहा कि विभिन्न विषयों के विद्वानों ने ऋगवेद काल से मध्यकाल और आधुनिक काल के बाद तक के तथ्यों का अध्ययन करके संयुक्त कार्य प्रस्तुत किया है।