प्रकाश जावडेकर बोले, करोड़ों की मशीनें देने के बाद भी पंजाब में 25 फीसद ज्यादा जली पराली
केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने यह जवाब भाजपा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से इस संबंध में किए गए पूरक प्रश्न पर दिया। उन्होंने बताया कि दिल्ली और एनसीआर में पराली का यह धुआं पंजाब और हरियाणा में फसलों के अवशेषों को जलाने के चलते पैदा होता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पंजाब में पराली जलाने की बढ़ी घटनाओं पर केंद्र ने सोमवार को राज्यसभा में चिंता जताई है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि दिल्ली-एनसीआर में अक्टूबर-नवंबर के महीनों में बढ़े प्रदूषण के पीछे पराली सबसे अहम कारण होता है। इस दौरान हवा में इसकी हिस्सेदारी दो से चालीस फीसद तक रहती है। हालांकि इस पर रोकथाम के काफी उपाय किए गए हैं, लेकिन पंजाब में इसके बाद भी 2020 में पिछले साल के मुकाबले 25 फीसद ज्यादा पराली जली है।
केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने यह जवाब भाजपा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से इस संबंध में किए गए पूरक प्रश्न पर दिया। उन्होंने बताया कि दिल्ली और एनसीआर में पराली का यह धुआं पंजाब और हरियाणा में फसलों के अवशेषों को जलाने के चलते पैदा होता है। दिल्ली की ओर हवाओं का रुख होने से यहां कम दबाव का क्षेत्र होने के चलते पराली का धुंआ यहां आकर रुक जाता है। इसके चलते दिल्ली और एनसीआर में स्थिति गंभीर हो जाती है और लोगों का सांस लेना भी दूभर हो जाता है।
हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं 25 फीसद हुईं कम
उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा को पराली को जलाने से रोकने के लिए करोड़ों रुपये की कीमत की करीब 40 हजार मशीनें उपलब्ध कराई गई है। बावजूद इसके जलाने की घटनाएं बंद नहीं हो रही हैं। हालांकि उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं 25 फीसद कम हुई है। वहीं, पंजाब में यह वर्ष 2019 के मुकाबले 25 फीसद ज्यादा बढ़ी है। पंजाब में वर्ष 2019 में पराली जलाने के कुल 52 हजार मामलें रिपोर्ट हुई थी, जबकि वर्ष 2020 में कुल 76590 मामले सामने आए है। उन्होंने इस दौरान पराली से बायोगैस और इथेनाल आदि तैयार करने को लेकर चल रहे शोधों की जानकारी दी। साथ ही उम्मीद जताई कि जल्द ही इस समस्या का समाधान होगा।