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Maharashtra Politics: जानिए, तीन दिन में कैसे बदला महाराष्ट्र का राजनीतिक परिदृश्य

अटकलों का बाजार तभी गर्म हो गया था जब एनसीपी नेता शरद पवार ने किसानों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री से लंबी मुलाकात की थी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 09:11 PM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 07:22 AM (IST)
Maharashtra Politics: जानिए, तीन दिन में कैसे बदला महाराष्ट्र का राजनीतिक परिदृश्य
Maharashtra Politics: जानिए, तीन दिन में कैसे बदला महाराष्ट्र का राजनीतिक परिदृश्य

आशुतोष झा, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए चल रही खींचतान के बीच पिछला तीन दिन सबसे खास है। 20 नवंबर दिल्ली में कांग्रेस और एनसीपी नेताओं के बीच सहमति बन गई थी कि शिवसेना के साथ सरकार बनानी है। उसी दिन दोपहर एनसीपी नेता शरद पवार ने किसानों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री से लंबी मुलाकात की थी जो लगभग 40 मिनट चली थी और अटकलों का बाजार भी गर्म हो गया था। दूसरे दिन कांग्रेस कार्यसमिति ने सोनिया गांधी की अध्यक्षता में भी सरकार बनाने पर मुहर लगा दी थी। तीसरे दिन यानी शुक्रवार को मुंबई में बैठक के बाद शरद पवार ने घोषणा कर दी कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनेगी। लेकिन इस बीच पर्दे की पीछे बहुत चल रहा था।

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पवार के साथ मोदी की मीटिंग के बाद आया गरमाई थी महाराष्ट्र की सियासत

सूत्रों की मानी जाए तो जिस वक्त पवार प्रधानमंत्री के साथ बैठक कर रहे थे उसी वक्त प्रदेश में भाजपा और एनसीपी नेताओं के बीच बातचीत का दौर तेज हुआ था जिनका साफ मानना था कि तीन दलों की सरकार से ज्यादा स्थायी और लाभकारी दो दलों की सरकार बनेगी। बात यहां तक पहुंची थी कि अजीत पवार ने शरद पवार को विधायकों की सोच भी बता दी थी।

सरकार बनाने के लिए नंबर का खेल

दरअसल, पूरे खेल में दोनों तरफ से बातचीत का दौर जारी था। नौ नवंबर को सबसे पहले बड़ी पार्टी के रूप में भाजपा को सरकार बनाने के लिए राज्यपाल की ओर से न्यौता दिया गया था, लेकिन उनके पास नंबर नहीं था। लेकिन दूसरे दिन से ही नंबर की तलाश भी शुरू हो गई थी। इस क्रम में सबसे पहले 14 स्वतंत्र विधायकों को जोड़ लिया गया था और उसके बाद 145 की संख्या तक पहुंचने के लिए कवायद जारी हुई थी जिसमें अजीत पवार भी रुचि दिखा रहे थे।

अजीत पवार की भाजपा के साथ पक रही खिचड़ी लोग समझ नहीं पाए

बताते हैं कि इसकी जानकारी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को दे दी गई थी। उनकी ओर से स्पष्ट किया गया था कि भाजपा की रीति नीति के हिसाब से अगर कोई दल या गुट सहर्ष तैयार होता है तभी समर्थन लिया जाए। देवेंद्र फडणवीस और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल तक ही यह सूचना रखी गई थी। शुक्रवार तक यह बातचीत अंतिम दौर में पहुंच गई थी और तब शाह ने प्रदेश के चुनाव प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव को मुंबई भेजा।

राज्यपाल को दी जानकारी, भाजपा सरकार बनाने का दावा करेगी, राष्ट्रपति शासन खत्म हो

वह शुक्रवार के पांच बजे की फ्लाइट से मुंबई पहुंचे और अजीत पवार के साथ हो रही बातचीत पर अंतिम मुहर लग गई। संदेश शाह को भेजा गया और उसके बाद राज्यपाल को जानकारी दी गई कि भाजपा सरकार बनाने का दावा करना चाहती है लिहाजा राष्ट्रपति शासन खत्म किया जाए।

रात 12 बजे पीएमओ ने राष्ट्रपति को केंद्रीय शासन खत्म करने की अनुशंसा की

प्रधानमंत्री के पास कैबिनेट का सारी शक्तियां होती हैं और उस लिहाज से देर रात लगभग 12 बजे प्रधानमंत्री कार्यालय ने कैबिनेट की ओर से राष्ट्रपति को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन खत्म करने की अनुशंसा की।

राष्ट्रपति शासन खत्म की सूचना राज्यपाल को दी, सीएम व डिप्टी सीएम सुबह 8 बजे लेंगे शपथ

कुछ घंटों में ही राज्यपाल को इसकी सूचना मिल गई और यह तय हो गया कि सुबह आठ बजे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री शपथ लेंगे।

शक्ति परीक्षण 30 नवंबर को, कठघरे में एनसीपी और पवार

शक्ति परीक्षण 30 नवंबर को होने वाला है। उससे पहले राजनीतिक खींचतान लंबी चलने वाली है। सबसे ज्यादा कठघरे में एनसीपी और पवार हैं और जाहिर तौर पर उनकी ओर से सख्त फैसले भी हो सकते हैं, लेकिन भाजपा सूत्रों का मानना है कि भाजपा के पास अब संख्या बल तैयार है।


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