Move to Jagran APP

छत्तीसगढ़ की राजनीति में बढ़ रहा है राजनीतिक परिवारों का रसूख

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने तो कांग्रेस से अलग होकर अपने परिवार की पार्टी ही बना ली है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 09:22 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 09:24 PM (IST)
छत्तीसगढ़ की राजनीति में बढ़ रहा है राजनीतिक परिवारों का रसूख
छत्तीसगढ़ की राजनीति में बढ़ रहा है राजनीतिक परिवारों का रसूख

अनिल मिश्रा, छत्तीसगढ़। कहने को तो आजाद भारत में लोकतंत्र है। यहां सत्ता में भागीदारी का सबको बराबर अधिकार है, लेकिन असलियत यह है कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक परिवारों का रसूख लगातार बढ़ रहा है। पहले कांग्रेस पर आरोप लगता था कि वंशवाद है, लेकिन अब भाजपा भी पीछे नहीं है। कांग्रेस और भाजपा को तो छोड़िए छोटे दलों ने तो पार्टियों की बुनियाद ही परिवारवाद पर रखी हुई है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का परिवार छत्तीसगढ़ और भाजपा की राजनीति में परिवारवाद का सबसे ताजा उदाहरण है।

loksabha election banner

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने तो कांग्रेस से अलग होकर अपने परिवार की पार्टी ही बना ली है। उन्होंने पार्टी का नाम भी जोगी से जोड़ दिया है। छत्तीसगढ़ की राजनीति में बस्तर से सरगुजा तक चालीस से अधिक राजनीतिक परिवार हैं। प्रदेश में 90 विधानसभा सीटें हैं, यानी करीब आधी सीटों पर राजनीतिक परिवारों का कब्जा है। ये परिवार इतने शक्तिशाली हैं कि जिन सीटों पर इनका कब्जा है वहां किसी दूसरे कार्यकर्ता को टिकट मिल ही नहीं सकता। इस विधानसभा चुनाव में भी राजनीतिक परिवारों के प्रतिनिधि टिकट के प्रमुख दावेदार हैं। इनकी जीत का रिकार्ड ऐसा है कि कोई भी दल इनकी उपेक्षा नहीं कर सकता।

भाजपा भी पीछे नहीं

बस्तर में भाजपा के कद्दावर नेता स्वर्गीय बलीराम कश्यप के छोटे बेटे केदार कश्यप प्रदेश सरकार में मंत्री हैं तो बड़े बेटे दिनेश कश्यप बस्तर के सांसद हैं। कांग्रेस में दक्षिण बस्तर के बड़े नेता महेंद्र कर्मा की मौत के बाद उनकी पत्नी देवती कर्मा विधायक हैं, उनके एक बेटे नगर पालिका अध्यक्ष हैं और दूसरे अपनी मां के खिलाफ दावेदारी कर रहे हैं। कांेटा के कांग्रेस विधायक कवासी लखमा के बेटे हरिश भी राजनीति में हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम के भाई से लेकर पत्नी और बेटी तक चुनावी योद्धा रहे, हालांकि अब इस परिवार का रसूख खत्म हो चुका है। यही हाल चार बार सांसद रहे मानकू राम सोढ़ी के परिवार का है। उनके बेटे शंकर सोढ़ी मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहे।

नव परिवारवाद

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह राजनांदगांव के सांसद हैं। अजीत जोगी के बेटे और पत्नी विधायक हैं। प्रदेश की राजनीति में भाजपा के पितृ पुरूष माने जाने वाले लखीराम अग्रवाल के बेटे अमर अग्रवाल 15 साल से राज्य सरकार में मंत्री हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव मोतीलाल वोरा के पुत्र अरूण वोरा विधायक हैं। दुर्ग में छत्तीसगढ़ की राजनीति के बड़े चेहरे रहे वासुदेव चंद्राकर की पुत्री प्रतिमा चंद्राकर कांग्रेस की विधायक रहीं। बिंद्रानवागढ़ में भाजपा के बलराम पुजारी विधायक थे, अब उनके बेटे डमरूधर पुजारी उनकी विरासत संभाल रहे हैं। बालोद में कांग्रस की राजनीति झुमुकलाल भेड़िया चलाते रहे। उनकी पत्नी, भतीजे उनकी परंपरा आगे बढ़ा रहे हैं।

हर तरफ विरासत संभालने की होड़

सतनामी राजनीति की शुरूआत मिनीमाता से होती है। उनके पति बाबा अगमदास सांसद रहे। मिनीमाता भी सांसद रहीं। अगमदास की दूसरी पत्नी कौशल माता के बेटे विजय और रूद्र गुरू अब कांग्रेस की राजनीति में हैं और विधायक रह चुके हैं। गुंडरदेही सीट पर दयाराम साहू भाजपा के विधायक थे। पिछली बार उनकी टिकट काटकर उनकी पत्नी रमशीला को टिकट दी गई। धर्मजयगढ़ में चनेशराम राठिया कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहे, अब उनके बेटे लालजी राठिया विधायक हैं। साजा में रविंद्र चौबे के पिता देवीप्रसाद चौबे और मां कुमारी देवी विधायक रहे। रविंद्र उनकी विरासत संभाल रहे हैं। उनके भाई प्रदीप चौबे भी विधायक रहे हैं।

शुक्ल परिवार का अलग दबदबा

रविशंकर शुक्ल मुख्यमंत्री रहे। उनके बेटे श्यामाचरण शुक्ल भी मुख्यमंत्री रहे। एक बेटे विद्याचरण शुक्ल केंद्र में मंत्री रहे। विद्याचरण की बेटी प्रतिभा पांडे उनकी विरासत संभाल रही हैं और टिकट की दावेदार हैं। श्यामाचरण के बेटे अमितेश राजिम से पिछला चुनाव हार गए थे। चांपा जांजगीर में चरणदास महंत अपने पिता बिसाहूदास महंत की विरासत संभाल रहे हैं। भटगांव में भाजपा विधायक रविशंकर त्रिपाठी की मौत के बाद उनकी पत्नी रजनी त्रिपाठी कमान संभाल रहीं। रायपुर में सच्चिदानंद उपासने की मां रजनी ताई उपासने भाजपा की विधायक रहीं। भाजपा नेता ताराचंद साहू के बाद उनके बेटे दीपक मैदान में हैं।

राजपरिवारों का वंशवाद

जशपुर में दिलीप सिंह जूदेव के बाद युद्धवीर सिंह, रणविजय सिंह समेत पूरा परिवार भाजपा की राजनीति में उच्च पदों पर है। खैरागढ़ में देवव्रत सिंह सांसद और विधायक रहे। उनकी दादी पद्मावती देवी मंत्री रहीं। पिता रविंद्र बहादुर और मां रश्मि देवी भी विधायक रहीं। डोंगरगढ़ रियासत के शिवेंद्र बहादुर सांसद थे, चाची गीतादेवी सिंह मंत्री रहीं। बसना के बीरेंद्र बहादुर सिंह सराईपाली से कांग्रेस विधायक रहे। उनके बेटे देवेंद्र बहादुर उनकी विरासत संभाल रहे हैं।

अंबिकापुर में टीएस सिंहदेव की मां देवेंद्र कुमारी देवी मंत्री थीं। हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह उनके मौसा हैं। उनकी बहन आशादेवी वहां मंत्री रही हैं। कवर्धा में योगेश्वर सिंह भी परिवारवाद से आते हैं। डौंडीलोहारा में रानी झमिता कंवर भाजपा की विधायक थीं। उनके बेटे लाल महेंद्र सिंह टेकाम व उनकी पत्नी नीलिमा टेकाम भी विधायक हुए। बस्तर राजपरिवार में प्रवीर चंद्र भंजदेव के बाद अब उनके नाती कमल चंद्र भंजदेव जगदलपुर सीट से भाजपा की टिकट के दावेदार हैं।

छोटे दल भी पीछे नहीं

गोंडवाना गणतंत्री पार्टी की कमान हीरासिंह मरकाम के बाद उनके बेटे तुलेश्वर सिंह संभाल रहे हैं। मजदूर नेता शंकर गुहा नियोगी की छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा भी विधानसभा चुनाव जीत चुकी है। उनके बेटे जीत गुहा नियोगी उनकी विरासत संभाल रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.