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मध्य प्रदेश में सियासी घमासान के बीच लापता विधायकों में एक की और वापसी; पर संकट टला नहीं

इस बीच कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने इसी माह होने वाले तीन राज्यसभा सीटों के चुनाव के लिए विधायकों की घेराबंदी और तेज कर दी है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 08 Mar 2020 10:03 PM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2020 10:05 PM (IST)
मध्य प्रदेश में सियासी घमासान के बीच लापता विधायकों में एक की और वापसी; पर संकट टला नहीं
मध्य प्रदेश में सियासी घमासान के बीच लापता विधायकों में एक की और वापसी; पर संकट टला नहीं

राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार गिराने और बचाने को लेकर जारी घमासान के बीच रविवार को कांग्रेस को उस वक्त थोड़ी राहत मिली, जब उसके असंतुष्ट एक और विधायक बिसाहूलाल सिंह की वापसी हो गई। वह बेंगलुरु से भोपाल लाए गए। यहां मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिले और अपनी बात रखी। अलबत्ता, अब भी दो कांग्रेस विधायकों-रघुराज कंषाना और हरदीप सिंह डंग की वापसी को लेकर संशय बना हुआ है। गौरतलब है कि शनिवार को निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा भी बेंगलुरु से लौट आए थे। चार विधायकों को हरियाणा के एक होटल से लाया गया था। इस बीच कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने इसी माह होने वाले तीन राज्यसभा सीटों के चुनाव के लिए विधायकों की घेराबंदी और तेज कर दी है। हालांकि, दोनों दलों ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं।

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रविवार शाम विधायक बिसाहूलाल सिंह को मप्र के पर्यटन मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल बेंगलुरु से लेकर इंदौर पहुंचे। यहां से बघेल व प्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्चन के साथ सरकारी विमान से बिसाहूलाल भोपाल लौटे। भोपाल पहुंचते ही वह मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिले। उन्होंने वापसी के बाद कहा कि मैं शुरू से कांग्रेस के साथ था और कांग्रेस के ही साथ रहूंगा। मुख्यमंत्री कमलनाथ को उनका पूरा समर्थन है। उधर, भाजपा के विधायक नारायण त्रिपाठी एक बार फिर सीएम आवास पहुंचे। इससे अलटकों का दौर शुरू हो गया है। वह कुछ दिन पहले भी मिलने पहुंचे थे।

तस्वीर में चेहरे पर दिखा खौफ

बेंगलुरु विमानतल से मंत्री बघेल ने बिसाहूलाल के साथ अपनी तस्वीर वायरल की। इसमें बिसाहूलाल के चेहरे का खौफ साफ तौर पर देखा जा सकता है। अलबत्ता, कांग्रेसी नेताओं का दावा है कि बंधक बनाए जाने की नाराजगी और मुक्त होने की खुशी बिसाहूलाल के चेहरे पर देखी जा सकती है।

18 के बाद कुछ साफ होगी सियासी तस्वीर

इस बीच कांग्रेस व भाजपा ने मप्र की रिक्त हो रहीं तीन राज्यसभा सीटों के लिए विधायकों की घेराबंदी और तेज कर दी है। भाजपा की रणनीति जहां कांग्रेसी खेमे में सेंध लगाने की है, वहीं कांग्रेस भी इसी मोर्चे पर काम कर रही है। 13 मार्च तक नामांकन होने हैं। 18 मार्च तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। इसके बाद ही प्रदेश की सियासी तस्वीर कुछ साफ हो सकेगी। जरूरत पड़ने पर चुनाव 26 मार्च को होगा।

दोनों ने साध लिए विधायक

इस बीच संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस ने एक-दूसरे के गढ़ में कुछ विधायकों को साध लिया है। दोनों दल अपने-अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं, लेकिन इसे राज्यसभा चुनाव के लिए एक-दूसरे को मात देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

झमेले में होली पूर्व मंत्रिमंडल विस्तार, राज्यपाल लखनऊ में

कमलनाथ सरकार पर छाए संकट को दूर करने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार और निगम-मंडलों में नियुक्तियों के फार्मूले पर क्रियान्वयन की रणनीति बनी है। इसके तहत होली के पूर्व कुछ असंतुष्टों को मंत्री बनाने की चर्चा थी, लेकिन रविवार को राज्यपाल लालजी टंडन के पांच दिवसीय प्रवास पर लखनऊ जाने से यह झमेले में पड़ गया है। वे 12 मार्च को भोपाल लौटेंगे। 16 मार्च को विधानसभा का बजट सत्र शुरू होगा। अब होली बाद ही विस्तार हो सकता है।

डंग के इस्तीफे पर सस्पेंस कायम

लापता कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग के इस्तीफे पर सस्पेंस कायम है। विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने पहले ही दिन वायरल इस्तीफे पर संदेह जताते हुए कहा था कि जब तक डंग आमने-सामने आकर उन्हें इस्तीफा नहीं सौंपेंगे या भेजे गए पत्र को अपना नहीं बताएंगे, तब तक वे उस पर कुछ नहीं कहेंगे। उधर, प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा का कहना है कि सोशल मीडिया में वायरल जिस पत्र को इस्तीफा बताया जा रहा है, वह समस्याओं से संबंधित पत्र है।


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