जम्मू-कश्मीर: भाजपा छोड़ सभी दलों की राजनीतिक गतिविधियां ठप, कई नेता नजरबंद
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव में अनुच्छेद 370 एक अहम मुद्दा होगा।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद विपक्षी दलों की राजनीतिक गतिविधियां ठप हैं। सिर्फ कश्मीर में ही विपक्षी दलों के नेताओं को नजरबंद नहीं किया गया है बल्कि जम्मू संभाग में भी कई नेता अपने घरों में नजरबंद हैं। इसके अलावा कई नेताओं पर राजनीतिक गतिविधियां न करने की पाबंदियां लगाई गई हैं। विपक्षी दलों के नेताओं की पार्टी की संगठनात्मक गतिविधियां थम गई हैं। ऐसे में सिर्फ भाजपा ही संगठनात्मक चुनाव की तैयारियों समेत अपनी गतिविधियों को चला रही है।
चार अगस्त से पहले सभी दल चुनाव की तैयारी में जुटे थे, लेकिन अब केंद्र पर निशाना साधने के लिए पत्रकार वार्ता की भी इजाजत नहीं है। ऐसे में उनके सिर्फ प्रेस बयान ही जारी हो रहे हैं। भले ही जम्मू में जनजीवन सामान्य है, लेकिन किसी विपक्षी पार्टी को राजनीतिक गतिविधि करने की इजाजत नहीं है। हाल ही में डोगरा सदर सभा के प्रधान गुलचैन ¨सह चाढ़क को पत्रकार वार्ता करने से पहले पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। हालांकि बाद में चाढ़क ने दावा किया कि वह अनुच्छेद 370 हटाने का स्वागत करने वाले थे, लेकिन उनको बात ही नहीं करने दी गई।
हालात सामान्य बनाना सरकार की प्राथमिकता
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख 31 अक्टूबर को केंद्र शासित प्रदेश बन जाएंगे। लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी इसलिए वहां पर सियासी गतिविधियां नहीं होगी। जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा तो होगी, लेकिन सरकार कब तक चुनाव करवाएगी, इसकी कोई जानकारी नहीं है। सरकार की पहली प्राथमिकता यहां के हालात को सामान्य बनाने की है। वहीं, मोबाइल इंटरनेट भी बंद है। ऐसे हालात में किसी विपक्षी पार्टी के लिए राजनीतिक गतिविधियां तेज करना मुनासिब नहीं है।
चुनाव में अनुच्छेद 370 होगा बड़ा मुद्दा
जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव में अनुच्छेद 370 एक अहम मुद्दा होगा। भाजपा अनुच्छेद 370 हटाने की वकालत करते हुए फायदे गिनाएगी तो कश्मीर केंद्रित पार्टियां नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी सरकार के फैसले के खिलाफ राजनीति तेज करेगी। कांग्रेस का रवैया संतुलित होगा। उसे जम्मू और कश्मीर दोनों को ध्यान में रखकर अपना पक्ष लोगों के बीच ले जाना होगा।
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