मप्र में पुलिस कमिश्नर प्रणाली मंजूर नहीं तो खारिज भी नहीं की: कमलनाथ
भोपाल में आयोजित आइपीएस मीट-2020 में फिर उठा मामला।
भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि यह सच है कि प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली अब तक स्वीकार नहीं की गई है, लेकिन यह भी सच है कि इसे अब तक खारिज भी नहीं किया है। मुख्यमंत्री ने यह बयान बुधवार को आइपीएस (भारतीय पुलिस अधिकारी) मीट 2020 को संबोधित करते हुए दिया।
भोपाल के मिंटो हॉल में दो दिनी आइपीएस मीट-2020 का मुख्यमंत्री ने शुभारंभ किया। कमलनाथ ने अप्रत्यक्ष तौर पर आइएएस और आइपीएस अधिकारियों के बीच चल रहे टकराव को लेकर कहा कि आप भी सरकार के अंग हैं। हम अंगों का विभाजन नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रदेश का चेहरा है इसलिए आपकी जिम्मेदारी भी ज्यादा हो जाती है। उन्होंने कहा कि भविष्य में बेहतर पुलिसिंग हथियार से नहीं होगी, बल्कि इसके लिए बेहतर टेक्नोलॉजी होगी। हम ऐसी पुलिस व्यवस्था देंगे जिससे अन्य राज्य प्रदेश की पुलिस से सीखेंगे। इसके लिए सरकार पर्याप्त फंड उपलब्ध कराएगी।
दिग्विजय ने भी किया समर्थन
मीट को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी प्रत्यक्ष तौर पर प्रदेश के बड़े शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली को आइएएस और आइपीएस के बीच टकराव का मामला बना दिया गया है। जबकि हकीकत में 20 लाख की आबादी वाले शहरों में कानून-व्यवस्था सबसे बड़ी समस्या है इसे संभालने के लिए सिंगल अथॉरिटी की जरूरत है। मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच चल रही मनमुटाव की खबरों पर सिंह का कहना है कि यह सब कुछ भाजपा का बनाया हुआ मुद्दा है। असल में ऐसा कुछ भी नहीं है।
डीजीपी का छलका दर्द, बोले पुलिस को संरक्षण की जरूरत
आइपीएस मीट को मप्र के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वीके सिंह ने भी संबोधित कर मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने अपना दर्द बयां किया। राजगढ़ में के एक एएसआइ द्वारा कलेक्टर निधि निवेदिता पर थप्पड़ मारने का आरोप लगाने के मामले का जिक्र किए बिना उन्होंने कहा कि पुलिस को न सिर्फ मानसिक तौर पर बल्कि शारीरिक तौर पर भी संरक्षण की जरूरत है। आज पुलिस के लिए बहुत चुनौतियां हैं।
इसके पहले मीट को आइपीएस एसोसिएशन के चेयरमैन विजय यादव ने मांग उठाई कि प्रदेश के बड़े शहरों इंदौर, भोपाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की जानी चाहिए। इसे बिना वजह आइएएस और आइपीएस के बीच टकराव का मुद्दा बना दिया गया है।