पीएम मोदी की चिनफिंग के साथ द्रविड़ राजनीति साधने की कोशिश, कपड़ों से सभी को किया अचंभित
मामल्लापुरम में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का जिस अंदाज में स्वागत किया उसके ज्यादा व्यापक मायने निकाले जा रहे हैं।
मामल्लापुरम, जयप्रकाश रंजन। विदेशी राष्ट्र प्रमुखों की खास तरीके से मेहमानवाजी करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति की एक अहम खासियत हो गई है। उनके पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल में देखा गया कि वह भारत आने वाले प्रमुख राष्ट्राध्यक्षों के साथ मुलाकात में किस तरह का 'सरप्राइज पुट' देते हैं। लेकिन मामल्लापुरम में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का जिस अंदाज में स्वागत किया, उसके ज्यादा व्यापक मायने निकाले जा रहे हैं। खास तौर पर जिस तरह से उन्होंने पारंपरिक तमिल परिधान वेस्टि, शर्ट और अंगवस्त्रम धारण किया उसे उनकी पार्टी भाजपा की द्रविड़ राजनीति में पैठ बनाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।
पीएम मोदी इससे पहले भी हैदराबाद, बनारस, अहमदाबाद जैसे शहरों में विदेशी राष्ट्रप्रमुखों का स्वागत कर चुके हैं, लेकिन कभी उन्होंने स्थानीय परिधान को उस तरह से नहीं पहना जितना इस मौके पर किया है। पीएम मोदी शुक्रवार शाम राष्ट्रपति चिनफिंग की आगवानी करने के लिए यहां स्थित मंदिर कैंपस में जब सामने आये तो विदेश मंत्रालय के कई अधिकारी भी अचंभित रह गये। माना जा रहा है कि परिधान पसंद करने का फैसला पीएम मोदी के स्वयं का था। धोती व अंगवस्त्र में वह एक पक्के तमिलियन की तरह व्यवहार कर रहे थे। इसे स्थानीय तौर पर काफी पसंद भी किया गया।
दैनिक जागरण ने मामल्लापुरम के कई नागरिकों के साथ इस बारे में बात की और सभी मोदी के इस व्यवहार से प्रसन्नचित थे। मोदी ने जिस तरह से विदेशी मेहमान को इस एतिहासिक शहर के स्थलों के बारे में बारीक से बारीक जानकारी उपलब्ध कराई, उस पर भी लोगों ने गौर किया है। बताया गया है कि पीएम मोदी को पहले अर्जुन तपस, पांच रथ और गुफा-मंदिर के बारे में कुछ स्थानीय विशेषज्ञों ने भी जानकारी दी थी और कुछ जानकारी उन्होंने अपने अध्ययन से हासिल की है। यही वजह है कि हर स्थल की जानकारी एक पेशेवर गाइड की तरह मोदी ने चिनफिंग को दी।
हाल के दिनों में यह तीसरा मौका है, जब मोदी ने तमिलनाडु की जनता को अपने खास अंदाज में लुभाने की कोशिश की है। पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र के अपने भाषण में तमिल कवि कनियन पुंगुंद्रनार के दोहे को उन्होंने शामिल किया था। उसके बाद हाल ही में जब वह आईआईटी-मद्रास के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए तो तमिल भाषा की जमकर तारीफ की और इसे दुनिया के प्राचीनतम भाषा बताया। इस पर खूब तालियां भी बजी और दक्षिण भारत पर हिंदी थोपे जाने का हो रहे विरोध को ठंडा करने में भी मदद मिली। पिछले लोकसभा चुनाव में राजग-एआइडीएमके गठबंधन के सिर्फ एक उम्मीदवार को जीत हासिल हुई थी। 39 लोकसभा सीटों में से 38 पर डीएमके-कांग्रेस के गठबंधन ने जीत हासिल की थी। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व गृह मंत्री अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि उनकी पार्टी के लिए तमिलनाडु समेत दक्षिण के दूसरे राज्य में पैठ बनाना सबसे बड़ा काम होगा।