Netaji Subhash Chandra Bose Museum: पीएम मोदी ने किया बोस म्यूजियम का उद्घाटन
Netaji Subhash Chandra Bose Museum: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लाल किले में स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस म्यूजियम का उद्घाटन किया।
नई दिल्ली, एजेंसी। Netaji Subhash Chandra Bose Museum: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लाल किले में स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस म्यूजियम का उद्घाटन किया। इसके अलावा उन्होंने जलियांवाला बाग पर आधारित याद-ए-जलियां नाम से लाल किले में स्थित म्यूजियम का भी दौरा किया।
इस संग्रहालय में सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज से जुड़ीं चीजों को प्रदर्शित किया गया है। संग्रहालय के उद्धाटर के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र बोस भी मौजूद रहे। बता दें कि नेताजी के इस संग्रहालय में नेताजी द्वारा इस्तेमाल की गई लकड़ी की कुर्सी और तलवार के अलावा आईएनए से संबंधित पदक, बैज, वर्दी और अन्य वस्तुएं शामिल हैं। दरअसल आइएनए के खिलाफ जो मुकदमा दर्ज किया गया था, उसकी सुनवाई लालकिले में ही हुई थी यही कारण है कि यहां पर संग्रहालय बनाया गया है।
संग्रहालय में लोगों को ऐसा प्रतीत होगा कि वे नेताजी के करीब हैं। संग्रहालय में आने वाले लोगों को बेहतरीन अनुभव प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें फोटो, पेंटिंग, अखबार की क्लिपिंग, प्राचीन रिकार्ड, ऑडियो-वीडियो क्लिप, एनिमेशन व मल्टीमीडिया की सुविधा होगी। आपको बता दें कि अभी कुछ समय पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजाद हिंद फौज के द्वारा अंडमान निकोबार में फहराए गए तिरंगे के 75 साल पूरे होने पर वहां का दौरा किया था।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। कटक में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने रेवेनशा कॉलिजियेट स्कूल में दाखिला लिया। जिसके बाद उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। 1919 में बीए की परीक्षा उन्होंने प्रथम श्रेणी से पास की और विश्वविद्यालय में उन्हें दूसरा स्थान मिला था। 20 जुलाई 1921 में सुभाष चंद्र बोस की मुलाकात पहली बार महात्मा गांधी जी हुई। गांधी जी की सलाह पर वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए काम करने लगे। भारत की आजादी के साथ-साथ उनका जुड़ाव सामाजिक कार्यों में भी बना रहा। बंगाल की भयंकर बाढ़ में घिरे लोगों को उन्होंने भोजन, वस्त्र और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का साहसपूर्ण काम किया था। समाज सेवा का काम नियमित रूप से चलता रहे इसके लिए उन्होंने 'युवक-दल' की स्थापना की।
नेताजी को 11 बार कारावास
सार्वजनिक जीवन में नेताजी को कुल 11 बार कारावास की सजा दी गई थी। सबसे पहले उन्हें 16 जुलाई 1921 को छह महीने का कारावास दिया गया था। 1941 में एक मुकदमे के सिलसिले में उन्हें कोलकाता (कलकत्ता) की अदालत में पेश होना था तभी वे अपना घर छोड़कर चले गए और जर्मनी पहुंच गए। जर्मनी में उन्होंने हिटलर से मुलाकात की। अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध के लिए उन्होंने आजाद हिन्द फौज का गठन किया और युवाओं को 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा भी दिया।