पड़ोसियों को साधने की कोशिश, नेपाल जाएंगे पीएम मोदी, म्यांमार जाएंगी सुषमा
पड़ोसी देशों को साधने की कोशिश भारत ने और तेज कर दी है। पीएम नरेंद्र मोदी नेपाल की यात्रा पर जा रहे हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज म्यांमार की यात्रा पर जा रही हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पड़ोसी देशों को साधने की कोशिश भारत ने और तेज कर दी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि नेपाल पीएम के पी ओली की भारत यात्रा के कुछ ही हफ्तों बाद पीएम नरेंद्र मोदी नेपाल की यात्रा पर जा रहे हैं। मोदी 11-12 मई को नेपाल जा रहे हैं। उसके ठीक पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज म्यांमार की यात्रा पर जा रही हैं। जबकि इस महीने मोदी की बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना से भी मुलाकात होनी तय है।
बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना से भी इस महीने मोदी की मुलाकात संभव
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि 'पीएम मोदी दो दिवसीय यात्रा पर नेपाल जा रहे हैं। वह काठमांडू जाएंगे। इसके अलावा उनके जनकपुर और मुक्तिनाथ जाने को लेकर भी तैयारी चल रही है लेकिन अभी अंतिम तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि भारतीय टीम अभी भी उसे अंतिम रूप देने के लिए नेपाल में है।' सनद रहे कि अप्रैल की शुरुआत में नेपाल के पीएम ओली भारत की यात्रा पर आये थे जिसे दोनों देशों के रिश्तों में आये तनाव को दूर करने में काफी अहम माना जा रहा है।
ओली के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद पीएम मोदी ने नेपाल के लिए कई अहम ढांचागत परियोजनाओं का ऐलान किया था। इसमें नेपाल की राजधानी काठमांडू से बिहार के रक्सौल तक रेल लाइन बिछाने का प्रस्ताव भी शामिल है। माना जा रहा है कि मोदी इस यात्रा के दौरान नेपाल में भारत की मदद से तैयार एक पनबिजली परियोजना का उद्घाटन करेंगे।
जहां तक विदेश मंत्री स्वराज की म्यांमार यात्रा का सवाल है तो विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी की सितंबर, 2017 में हुई यात्रा के दौरान किये गये फैसलों की समीक्षा की जाएगी। साथ ही दोनो देशों के बीच कुछ समझौतों पर भी हस्ताक्षर होंगे। यह समझौता रखाईन राज्य में आर्थिक व समाजिक विकास से संबंधित होने के आसार हैं।
रखाईन राज्य में ही सबसे ज्यादा रोहिंग्याई रहते हैं जिनकी आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी बांग्लादेश व भारत में निर्वासित जीवन जी रहा है। इनका कहना है कि म्यांमार की सेना की ज्यादतियों की वजह से इन्होंने अपना घर छोड़ कर दूसरे देशों में रह रहे हैं। भारत सरकार रखाईन राज्य में आर्थिक व समाजिक विकास के लिए फंड मुहैया कराने पर विचार कर रही है जिससे रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या का स्थाई समाधान निकाला जा सके।
हालांकि पाकिस्तान के साथ रिश्तों में बहुत बदलाव देखने के आसार नहीं है। भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए ट्रैक-टू स्तर रही वार्ता को विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर कोई खास तवज्जो नहीं दी है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो दोनो देशों की सिविल सोसायटी के बीच हो रही है। सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है। जहां तक पाकिस्तान के साथ वार्ता की उम्मीद है तो भारत का रूख साफ है कि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकती।