PM Modi Swearing Ceremony: राहुल को हराने वाली स्मृति को मिल सकता है बड़ा ओहदा
Lok Sabha Election 2014 में अमेठी से राहुल गांधी से बहुत कम अंतर से हारने पर भी स्मृति को कैबिनेट में जगह मिली थी। राहुल गांधी को हराने के बाद उनका कद बढ़ने का अनुमान है।
नई दिल्ली, जेएनएन। अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पटखनी देकर स्मृति ईरानी ने इस बार न सिर्फ सबसे अधिक चर्चा बटोरी है, बल्कि पार्टी के भीतर अपनी जगह और मजबूत कर ली है। ऐसे में लोगों की निगाहें इस बात पर नहीं है कि उन्हें कैबिनेट में फिर जगह मिलेगी या नहीं, बल्कि इस बात पर है कि इस बार उन्हें कौन सा मंत्रालय मिलने जा रहा है। राहुल को हराने के बाद ही कैबिनेट में उनकी जगह तय हो गई थी।
स्मृति ईरानी का जन्म 23 मार्च 1976 को दिल्ली में हुआ था और उन्होंने दिल्ली में ही शिक्षा ग्रहण की। स्मृति ने 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद से ही अपने परिवार के लिए पैसा कमाकर अपने पैरों पर खड़ा होना शुरू कर दिया था। स्मृति सौंदर्य प्रसाधन का प्रचार करने लगी थीं। इसके बाद रूढ़िवादी पंजाबी-बंगाली परिवार की तीन बेटियों में से एक स्मृति ने सारी बंदिशें तोड़कर ग्लैमर जगत में कदम रखा। उन्होंने 1998 में मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, लेकिन फाइनल तक नहीं पहुंच सकीं। इसके बाद स्मृति ने अभिनय के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। साल 2001 में स्मृति ने जुबिन ईरानी नामक पारसी से शादी की। उसी वर्ष उन्हें एक बेटा हुआ, जिसका नाम जौहर है। सितंबर 2003 में उन्हें एक बेटी हुई, जिसका नाम जोइश रखा।
‘क्यूंकि सास भी कभी बहू थी’ से मिली पहचान
स्मृति ईरानी ने टेलीविजन धारावाहिक ‘क्यूंकि सास भी कभी बहू थी’ में ‘तुलसी’ का केन्द्रीय किरदार निभाया था और इसी किरदार से वह चर्चित हुईं। वर्ष 2007 में एकता कपूर के साथ आपसी मतभेद के कारण स्मृति ने उनका शो छोड़ दिया था। हालांकि, वर्ष 2008 में स्मृति ने फिर शो में वापसी की। इसके बाद वर्ष 2001 में उन्होंने ज़ी टीवी पर प्रसारित रामायण में सीता की भूमिका निभाई थी। उन्हें लगातार पांच बार भारतीय टेलीविजन अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
2003 में भाजपा में शामिल हुईं और मिलती गईं बड़ी जिम्मेदारियां
स्मृति ईरानी वर्ष 2003 में भाजपा में शामिल हुईं। 2004 के आम चुनाव में चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से कपिल सिब्बल के ख़िलाफ़ चुनाव स्मृति को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद वर्ष 2004 में स्मृति को महाराष्ट्र यूथ विंग का उपाध्यक्ष बनाया गया। फिर पार्टी ने राष्ट्रीय सचिव के रूप में भी नियुक्त किया। वर्ष 2010 में स्मृति ईरानी को भाजपा महिला मोर्चा की कमान सौंपी गई। वर्ष 2011 में स्मृति गुजरात से राज्यसभा की सांसद चुनी गई। इसी वर्ष इनको हिमाचल प्रदेश में महिला मोर्चे की भी कमान सौंप दी गई।
राहुल गांधी को हराकर बढ़ाया राजनीतिक कद
वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा क्षेत्र से राहुल गांधी के ख़िलाफ़ चुनाव मैदान में उतरीं, परंतु यहां भी इन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2014 में स्मृति ईरानी को राज्य सभा की सदस्य और भारत सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया था। फिर वह कपड़ा मंत्री बनीं। पर 2019 के आम चुनाव में अमेठी लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को शिकस्त दे दी।
6 भाषाओं की जानकार
स्मृति को हिन्दी, अंग्रेजी, बंगाली, गुजराती और मराठी भाषाएं आती हैं। वह रैलियों और चुनाव प्रचार के समय लोगों को कई भाषाओं में संबोधित करने के लिए मशहूर हैं। उन्हें भाजपा के सबसे प्रभावशाली वक्ताओं में से एक माना जाता है।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप