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करतारपुर साहिब के लिए 8 नवंबर को पीएम मोदी पहले जत्थे को कर सकते हैं रवाना

करतारपुर साहिब का दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अभी तय नहीं है कि एक जत्थे के श्रद्धालुओं को दर्शन पूरा कर लौटने के लिए कितने घंटे का समय दिया जाएगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 09:07 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 11:20 PM (IST)
करतारपुर साहिब के लिए 8 नवंबर को पीएम मोदी पहले जत्थे को कर सकते हैं रवाना
करतारपुर साहिब के लिए 8 नवंबर को पीएम मोदी पहले जत्थे को कर सकते हैं रवाना

नीलू रंजन, करतापुर कोरिडोर, पंजाब। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आठ नवंबर को नवनिर्मित करतारपुर कोरिडोर से पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए पहले जत्थे को रवाना कर सकते हैं। करतारपुर कोरिडोर से जाने वाले श्रद्धालुओं को वीज़ा की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन इसके लिए पासपोर्ट का होना ज़रूरी होगा। 20 अक्टूबर से इसके लिए बने विशेष पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, लेकिन 20 डालर फीस पर अभी तक स्थिति साफ़ नहीं है। पांच हज़ार श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन करने के लिए जा सकेंगे।

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कोरिडोर के निर्माण का काम 31 अक्टूबर तक पूरा होगा

कोरिडोर की सड़क और श्रद्धालुओं के बनने वाले पैसेंजर टर्मिनल के निर्माण का जायज़ा लेने के बाद लैंड पोर्ट अथारिटी के चेयरमैन और गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन ने कहा कि कोरिडोर के निर्माण का काम 80 फ़ीसदी हो चुका है और 31 अक्टूबर तक इसे पूरा कर लिया जाएगा।

8 नवंबर को मोदी पहले जत्थे को कर सकते हैं रवाना

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को आठ नवंबर को पहले जत्थे को भेजने का प्रस्ताव भेजा गया है और इसके लिए बातचीत चल रही है। ध्यान देने की बात है कि दो दिन पहले केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने आठ नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कोरिडोर का उद्घाटन होने का ऐलान किया था। ऐसे में माना जा रहा है कि सबकुछ ठीक रहा तो प्रधानमंत्री आठ नवंबर को ही पहले जत्थे को करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए रवाना कर सकते हैं।

कोरिडोर के ग्राउंड ज़ीरो पर अविश्वास की छाप

बहरहाल, कोरिडोर के ग्राउंड ज़ीरो पर भारत और पाकिस्तान के बीच अविश्वास की छाप साफ़ देखी जा सकती है। भारत की तरफ़ कोरिडोर पर पुल बनकर तैयार है, लेकिन ग्राउंड ज़ीरो के पार पाकिस्तान की ओर इसका नामोनिशान नहीं है। इस कारण पैसेंजर टर्मिनल से रैंप के सहारे सीधे पुल से होकर श्रद्धालुओं को पाकिस्तान भेजने की भारत की मंशा धरी रह गई। पाकिस्तान ने फि़लहाल अपनी ओर से ज़मीन पर सड़क बनाई है। अब भारत की ओर से पुल के बग़ल से एक सड़क बनाई गई है। जिससे श्रद्धालु जा सकेंगे। वैसे पाकिस्तान ने भविष्य में पुल बनाने का भरोसा ज़रूर दिया है।

पाकिस्तान की पासपोर्ट और 20 डालर की फ़ीस की शर्त

भारत-पाकिस्तान के बीच चाहे जो भी अविश्वास हो, लेकिन फि़लहाल दूरबीन से करतारपुर साहिब का दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के चेहरे पर जल्द ही करतारपुर साहिब जाकर दर्शन कर पाने की ख़ुशी साफ़ देखी जा सकती है। बटाला से दर्शन करने आने वाली सुखविंदर कौर ने कहा कि करतारपुर साहिब जाने का 72 साल पुराना सपना अब पूरा होने वाला है, लेकिन पासपोर्ट की शर्त और 20 डालर की फ़ीस को लेकर वह पाकिस्तान से नाराज़ दिखीं। सुखविंदर के पास पासपोर्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि ग़रीब श्रद्धालुओं को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान को इन दोनों शर्तों को हटा लेना चाहिए।

श्रद्धालुओं के रजिस्ट्रेशन के लिए विशेष पोर्टल

श्रद्धालुओं के रजिस्ट्रेशन के लिए विशेष पोर्टल बनाया गया है, जो 20 अक्टूबर से काम करने लगेगा। प्रतिदिन पांच हज़ार श्रद्धालुओं की संख्या सुनिश्चित हो गई है, लेकिन अभी तक यह तय नहीं है कि एक जत्थे के श्रद्धालुओं को दर्शन पूरा कर लौटने के लिए कितने घंटे का समय दिया जाएगा। गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन ने कहा कि इसके लिए पाकिस्तान के साथ बातचीत हो रही है। इस सिलसिले में यह देखा जा रहा है कि करतारपुर साहिब में एक समय में कितने श्रद्धालुओं के लिए जगह हो सकती है। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि कोरिडोर पर श्रद्धालुओं को लाने ले जाने के लिए कितनी बसों को लगाया जा सकता है।


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