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PM Modi in Kolkata: राजभवन नहीं, बेलूर मठ में रुके पीएम मोदी, आज विवेकानंद जयंती पर लगाएंगे ध्यान

पीएम मोदी का पहले राजभवन में रात्रि विश्राम का कार्यक्रम निर्धारित था लेकिन आखिरी वक्त में इसे बदलकर बेलूर मठ कर दिया गया।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 11 Jan 2020 09:35 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 07:27 AM (IST)
PM Modi in Kolkata: राजभवन नहीं, बेलूर मठ में रुके पीएम मोदी, आज विवेकानंद जयंती पर लगाएंगे ध्यान
PM Modi in Kolkata: राजभवन नहीं, बेलूर मठ में रुके पीएम मोदी, आज विवेकानंद जयंती पर लगाएंगे ध्यान

कोलकाता, जेएनएन। दो दिवसीय दौरे पर शनिवार शाम कोलकाता पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ में रात विश्राम किया। बेलूर मठ में रात्रि विश्राम करने वाले वे देश के पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं। पीएम मोदी इससे पहले केदारनाथ की गुफा में भी रात व्यतीत कर चुके हैं। गौरतलब है कि इंदिरा गांधी समेत देश के कई पूर्व प्रधानमंत्री बेलूर मठ का दौरा कर चुके हैं, लेकिन उनमें से किसी ने भी वहां रात्रि विश्राम नहीं किया।

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पीएम मोदी का पहले राजभवन में रात्रि विश्राम का कार्यक्रम निर्धारित था, लेकिन आखिरी वक्त में इसे बदलकर बेलूर मठ कर दिया गया। इसकी मुख्य वजह रविवार को विवेकानंद जयंती बताई जा रही है। सूत्रों से के मुताबिक पीएम मोदी रविवार प्रात: चार बजे बेलूर मठ में होने वाली आरती में शामिल होंगे। बेलूर मठ में स्थित विवेकानंद मंदिर में ध्यान भी लगाएंगे। विवेकानंद जयंती पर मठ में होने वाली प्रार्थना सभा में भी शामिल होंगे। प्रात: 8.45 बजे युवा दिवस के मौके पर मठ से ही देश के युवाओं को संबोधित करेंगे। इसके बाद वे बेलूर मठ से दिन के अन्य निर्धारित कार्यक्रमों के लिए रूख करेंगे।

मठ में SPG की ओर से किया गया था सूचित

रामकृष्ण मिशन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया-'प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) के प्रभारी की ओर से हमें सूचित किया गया था कि प्रधानमंत्री हमारे मठ में रात व्यतीत कर सकते हैं।'

इसके बाद रामकृष्ण मिशन प्रबंधन की ओर से बेलूर मठ स्थित इंटरनेशनल गेस्ट हाउस में पीएम मोदी के ठहरने की व्यवस्था की गई। एसपीजी ने शनिवार शाम से ही समूचे बेलूर मठ परिसर को अपने नियंत्रण में ले लिया था। मोदी मिलेनियम पार्क में एक कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद नौसेना के विशेष बोट से रात के करीब 9 बजे बेलूर मठ पहुंचे। वहां रामकृष्ण मिशन के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने उनका स्वागत किया। पीएम मोदी ने रामकृष्ण परमहंस, शारदा देवी और स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद रामकृष्ण मिशन के अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद से मिले।

भोजन में परोसी गई खीर-पूड़ी व मिठाई

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी को बेलूर मठ पहुंचने पर पहले प्रसाद दिया गया। रात के भोजन में मठ के भोग के साथ ही उन्हें खीर-पूड़ी व मिठाइयां परोसी गई। जानकारी के मुताबिक सुबह उनके लिए नाश्ते में गुजराती पकवानों की भी व्यवस्था की गई है।

रामकृष्ण मिशन से मोदी का पुराना नाता

रामकृष्ण मिशन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफी पुराना नाता है। 1966 में किशोरावस्था में मोदी ने स्वामी विवेकानंद की सीख से प्रभावित होकर गुजरात के राजकोट स्थित मिशन शाखा में जाकर संन्यासी बनने की इच्छा प्रकट की थी। वहां के तत्कालीन प्रमुख स्वामी आत्मास्थानंद जी महाराज, जो बाद में रामकृष्ण मिशन के 15वें अध्यक्ष बने, ने उन्हें संन्यासी नहीं बनने की सलाह देते हुए लोगों के बीच जाकर काम करने को कहा। इसके बाद मोदी नियमित रूप से स्वामी आत्मास्थानंद जी महाराज से मिलते और उनका आध्यात्मिक मार्गदर्शन लेते रहे। गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद मोदी जब भी कोलकाता दौरे पर आते थे, रामकृष्ण मिशन जरूर थे। 2013 में बेलूर मठ के दौरे के समय उन्होंने आत्मास्थानंद जी महाराज से मुलाकात कर उनसे आशीर्वाद लिया था। 2015 में प्रधानमंत्री के तौर पर महानगर के सफर के समय मोदी ने अस्वस्थ चल रहे स्वामी आत्मास्थानंद जी महाराज की सेहत की जानकारी ली थी। 2017 में उनके निधन पर मोदी ने इसे व्यक्तिगत क्षति बताया था।

बंगाल आने से पहले मोदी ने ट्वीट कर जताई खुशी

पीएम मोदी ने कोलकाता पहुंचने से पहले ट्वीट कर खुशी जाहिर की थी। उन्होंने कहा-'मैं काफी उत्साहित और आनंदित हूं कि आज और कल का दिन मैं बंगाल में बिताऊंगा। स्वामी विवेकानंद की जयंती के पावन अवसर पर मुझे रामकृष्ण मिशन जाने का सौभाग्य प्राप्त होगा। बेलूर मठ हमेशा ही एक विशेष जगह है।'

इसके बाद उन्होंने एक और ट्वीट कर रामकृष्ण मिशन के पूर्व अध्यक्ष स्वामी आत्मास्थानंद जी महाराज को याद किया। उन्होंने कहा-'एक शून्यता होगी। जिस व्यक्ति ने मुझे 'जन सेवा ही प्रभु सेवा' की सीख दी, वे स्वामी आत्मास्थानंद जी महाराज वहां नहीं होंगे। रामकृष्ण मिशन में उनकी उपस्थिति न होना अकल्पनीय है।'


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