पीएम मोदी व सउदी प्रिंस देंगे भारत और समूचे खाड़ी क्षेत्र के देशों को सुरक्षा कवच
दोनो देशों के बीच सैन्य सहयोग को इस स्तर तक ले जाना कि ये समूचे खाड़ी क्षेत्र के देशों के लिए एक सुरक्षा कवच के तौर पर काम करे।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। सउदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच हुई मुलाकात में कुछ ऐसे मुद्दों पर भी सहमति बनी है जो आने वाले दिनों में समूचे खाड़ी क्षेत्र में भारत की अहमियत को काफी बढ़ाने वाला साबित होगा। इसमें एक सहमति है दोनो देशों के बीच सैन्य सहयोग को इस स्तर तक ले जाना कि ये समूचे खाड़ी क्षेत्र के देशों के लिए एक सुरक्षा कवच के तौर पर काम करे।
अगले वर्ष शुरु होगा नौ सेना अभ्यास, दूसरे देश भी आगे होंगे शामिल
अगले वर्ष 2020 में इसकी शुरुआत भारत व सउदी अरब के बीच नौ सेना अभ्यास से होगी जिसका विस्तार वायु सेना और थल सेना अभ्यास में होगा। यही नहीं इन सैन्य अभ्यासों में इस क्षेत्र के दूसरे देशों को भी शामिल किया जाएगा। इस रणनीतिक गठबंधन में मोदी और प्रिंस सलमान की अगुवाई में गठित होने वाले सुरक्षा सहयोग परिषद (एससीसी) की भूमिका अहम होगी।
भारत और सउदी अरब के बीच पिछले एक दशक से रणनीतिक सहयोग को लेकर वार्ता हो रही थी, लेकिन अब उसका ठोस स्वरूप आने लगा है। सूत्रों के मुताबिक भारत उन गिने चुने देशों में शाामिल होगा जिसके साथ सउदी अरब नौ सेना अभ्यास की शुरुआत करेगा। इसका भारत के लिए मतलब यह है कि इससे हिंद महासागर और अरब महासागर में उसे ना सिर्फ अपने रणनीतिक हितों की रक्षा करने में सहूलियत होगी बल्कि एक सैन्य ताकत के तौर पर अपनी पहचान भी चिन्हित करने का मौका मिलेगा।
दोनो देशों की रणनीति यह है कि आगे चल कर यह गठबंधन खाड़ी क्षेत्र में एक 'नेट सिक्यूरिटी प्रोवाइडर' के तौर पर स्थापित हो जिसमें खाड़ी क्षेत्र के दूसरे देशों को भी शामिल किया जाए। सनद रहे कि सउदी अरब ने दुनिया में भारत समेत आठ देशों को अपना भावी रणनीतिक साझेदार घोषित किया है जिनके साथ वह सैन्य व आर्थिक सहयोग और प्रगाढ़ करेगा। इसमें एशियाई देशों में भारत, चीन, कोरिया व जापान शामिल है।
भारतीय पीएम और सउदी प्रिंस की अगुवाई में गठित एससीसी की पहली बैठक भी अगले वर्ष ही होगी। यह बैठक हर दो वर्षो पर होगी जिसमें रणनीतिक व आर्थिक लक्ष्य तय किये जाएंगे और संबंधों की समीक्षा की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्राध्यक्षों की अगुवाई में होने वाली इस बैठक की मदद के लिए दोनो देशों के शीर्ष मंत्रियों को मिला कर दो अलग-अलग समितियां भी होगी।
एक समिति में विदेश व रक्षा मंत्रियों का दल होगा जबकि दूसरी समिति में वित्त, वाणिज्य जैसे आर्थिक मंत्रालयों का दल होगा। इसके अलावा दोनो देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की अगुवाई में अलग से एक समिति गठित की गई है जो सुरक्षा मुद्दों पर सालाना बैठक करेगी। एनएसए स्तरीय इस वार्ता में आतंकवाद के खिलाफ सहयोग व कार्रवाई पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।