भारत और कनाडा के बीच 6 अहम समझौते, पीएम मोदी ने ट्रूडो के सामने उठाया आतंकवाद का मुद्दा
भारत और कनाडा के बीच इलेक्टॉनिक्स, पेट्रोलियम, स्पोट्स समेत 6 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर। हैदराबाद हाऊस में मोदी और ट्रूडो ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
नई दिल्ली (जेएनएन)। भारत और कनाडा के बीच 6 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं। इन 6 महत्वपूर्ण समझौतों में इलेक्ट्रॉनिक्स, पेट्रोलियम, स्पोर्ट्स, कॉमर्स एंड इंडस्ट्रियल पॉलिसी, उच्च शिक्षा और साइंस, टेक्नोलॉजी व इनोवेशन शामिल है। हैदराबाद हाऊस में द्विपक्षीय वार्ता खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान पीएम मोदी ने कनाडा के पीएम और उनके परिवार के भारत आने पर खुशी जताई। इसमें पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने कहा, 'हमने कई मुद्दों पर चर्चा की। आतंकवाद और उग्रवाद हमारे जैसे देशों के लिए खतरा हैं और इन तत्वों से लड़ने के लिए हमें एकजुट होने की जरूरत है।'
पीएम ने कहा, 'कनाडा के साथ अपने सामरिक भागीदारी को आगे बढ़ाने को भारत बहुत अधिक महत्व देता है। हमारे संबंध लोकतत्र, बहुवाद, कानून की सर्वोच्चता और आपसी संपर्क पर आधारित है।'
साझा बयान में पीएम ने शिक्षा का जिक्र करते हुए कहा, 'जब उच्च शिक्षा की बात आती है तो भारतीय छात्रों के लिए कनाडा एक महत्वपूर्ण स्थान है। कनाडा में हमारे 1 लाख 20 हजार से भी ज्यादा छात्र हैं। हमने उच्च शिक्षा में बेहतरी के लिए और करार किए हैं, ताकि उच्च शिक्षा के एक्सचेंज में बढ़ोतरी हो सके।'
पीएम के बयान के मुख्य बिंदु
- उत्तर कोरिया और मालदीव की स्थिति की बात करते समय हमारे समान विचार होते हैं।
- कनाडा एक एनर्जी सुपर- पावर है, जो हमारी ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा कर सकता है।
- जो लोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धर्म का दुरुपयोग करते हैं और अलगाववाद को बढ़ावा देते हैं, उनके लिए
- कोई जगह नहीं होनी चाहिए। हम उन लोगों को बर्दाश्त नहीं करेंगे, जो हमारे देशों की एकता और अखंडता को चुनौती देते हैं।
- कनाडा से भारतीय समुदाय की उपलब्धियों पर हम सभी भारतीयों को गर्व है। मुझे दोनों के बीच और अधिक साझेदारी की उम्मीद है।
वहीं, कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने साझा बयान में कहा, 'भारत और कनाडा न सिर्फ इतिहास को शेयर करते हैं बल्कि हमारे मूल्यों दोनों देशों के बीच एक प्राकृतिक दोस्ती को प्रोत्साहित करते हैं।' ट्रूडो ने कहा, 'जैसा कि कनाडा अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने की कोशिश करता है और व्यापार को अपनी सीमाओं से परे करने के लिए नए अवसरों की तलाश करता है, भारत वाणिज्यिक सहयोग के लिए एक स्वाभाविक साथी और विश्वसनीय दोस्त है।'
सुषमा स्वराज से ट्रूडो की मुलाकात
कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि दोनों पक्षों (भारत-कनाडा) ने द्विपक्षीय भागीदारी को और मजबूत व गहरा करने के तरीके पर चर्चा की। साथ ही उन्होंने कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की तस्वीर भी ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा, 'विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो के साथ बैठक हुई, जिसमें दोनों देशों की साझेदारी को मजबूती देने के तरीके पर व्यापक चर्चा हुई।'
इस बीच ट्रुडो अपने परिवार के संग राजघाट पहुंचे। जहां उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रपति भवन में ट्रूडो को मिला गार्ड ऑफ ऑनर
7 दिनों की भारत यात्रा पर आए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का आज राष्ट्रपति भवन में स्वागत हुआ। जहां उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति भवन में पीएम मोदी ने अगुवाई करते हुए ट्रूडो और उनके पूरे परिवार का स्वागत किया। जहां पीएम मोदी और ट्रूडो का परिवार एक-दूसरे से मिलकर काफी उत्साहित नजर आया। ट्रूडो की बेटी एला-ग्रेस तो पीएम मोदी को देखकर तुरंत उनके गले लग गई।
बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी और ट्रूडो के बीच आज द्वीपक्षीय वार्ता होगी। वहीं ट्रूडो से मुलाकात के पहले मोदी ने गुरुवार को ट्वीट कर 2015 की एक फोटो भी पोस्ट की थी। इसमें वह ट्रूडो के साथ उनकी बच्ची का कान खींचते नजर आ रहे हैं। मोदी ने ट्वीट में कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनके परिवार ने भारत दौरे का लुत्फ उठाया होगा। मैं विशेष रूप से उनके बच्चों जेवियर, एला-ग्रेस और हैडियन से मिलने के लिए उत्सुक हूं। ये तस्वीर मेरी 2015 की कनाडा यात्रा की है, जब मैं प्रधानमंत्री ट्रूडो और एला-ग्रेस से मिला था।’
बता दें कि ट्रूडो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आमंत्रण पर 7 दिवसीय भारत दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने भारत के कई शहरों का दौरा किया और ऐतिहासिक स्थलों की भव्यता का आनंद लिया।
अब तक एक अरब डॉलर के निवेश समझौते
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने गुरुवार को कहा कि उनकी वर्तमान भारत यात्रा के दौरान अब तक एक अरब डॉलर निवेश के समझौते हो चुके हैं। इससे करीब 6 हजार गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजित होंगे। सीआइआइ के सहयोग से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ट्रूडो ने कहा कि वह भारत और कनाडा के बीच ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत बनाने के लिए आए हैं। भारत में उनके परिवार की आवभगत असाधारण दर्जे की रही है। कनाडाई प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय भारत में 400 से ज्यादा कनाडाई कंपनियां कार्यरत हैं और आगामी वर्षों में इनकी संख्या में और इजाफा होगा।
कनाडा के आइडीआरसी के साथ समझौता
विभिन्न क्षेत्रों के शोध में सहयोग के लिए भारत ने कनाडा के अंतरराष्ट्रीय विकास अनुसंधान केंद्र (आइडीआरसी) के साथ एक समझौता किया है। बयान के मुताबिक, इसमें वित्त, कृषि, उद्योग और स्वास्थ्य क्षेत्र शामिल हैं।
विवादों से भरा रहा है कनाडाई पीएम ट्रूडो का दौरा
पिछले पांच दिनों से भारत की यात्रा पर कर रहे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की यात्रा रोजाना किसी न किसी नए विवाद में फंसती जा रही है। कूटनीतिक हलकों में चर्चा है कि इस यात्रा के दौरान ट्रूडो ने जितनी रंगबिरंगी भारतीय पोशाक नहीं बदलीं, उससे ज्यादा विवादों को जन्म दिया है। इसी क्रम में गुरुवार को एक नया विवाद यह सामने आ गया कि ट्रूडो के स्वागत के लिए मुंबई में कनाडाई उच्चायोग की तरफ से दिए गए रात्रिभोज में खालिस्तानी आतंकी जसपाल अटवाल को भी आमंत्रित किया गया था। लेकिन भारत की कड़ी आपत्ति के बाद इस निमंत्रण को फौरन रद कर दिया गया। हालात संभालने की कोशिश स्वयं ट्रूडो के स्तर पर हुई और उन्होंने इसे गंभीर मसला बताते हुए कहा कि अटवाल को यह निमंत्रण नहीं मिलना चाहिए था।
अटवाल पर क्या बोला विदेश मंत्रालय
जसपाल अटवाल ने भारत में प्रवेश किस तरह किया, इसको लेकर स्थिति अभी तक साफ नहीं हो पाई है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि इसका पता लगाया जा रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है, कनाडा ने आधिकारिक तौर पर बताया है कि अटवाल को गलती से निमंत्रण चला गया था और इसी वजह से बाद में उसे रद किया गया। उधर, गृह मंत्रालय की तरफ से यह स्पष्टीकरण दिया गया है कि अटवाल फिलहाल भारत की तरफ से जारी होने वाले प्रतिबंधित आतंकियों की सूची में नहीं है। अटवाल की गिरफ्तारी के सवाल पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि कुछ मामलों में वह सजा काट चुका है और इसकी जानकारी नहीं है कि ऐसा कोई और केस भी चल रहा है या नहीं।
कनाडाई सांसद की सिफारिश पर दिया निमंत्रण
माना जा रहा है कि किसी कनाडाई सांसद की सिफारिश पर अटवाल को प्रधानमंत्री ट्रूडो के साथ भोज के लिए निमंत्रण दिया गया था। अटवाल ने स्वयं मीडिया को बताया कि वह निजी दौरे पर भारत आया है। वैसे कनाडाई उच्चायोग और स्वयं प्रधानमंत्री ट्रूडो की सफाई के बावजूद दोनों देशों के रिश्तों में जो खटास पैदा हो रही थी, वह जसपाल अटवाल की वजह से और गहरी हो गई है।
आइएसवाईएफ से रहे हैं अटवाल के संबंध
अटवाल अभी कनाडा में एक व्यवसायी है, लेकिन उसके खालिस्तान समर्थक संगठनों से पुराने संबंध रहे हैं। अभी वह एक ऑनलाइन रेडियो स्टेशन चलाता है, लेकिन पूर्व में उसके संबंध प्रतिबंधित आतंकी संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (आइएसवाईएफ) के साथ रहे हैं। यह वही संगठन है जिसने 1985 में एयर इंडिया के विमान में विस्फोट की साजिश रची थी। यह संगठन भारत के अलावा कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन में भी प्रतिबंधित है। पंजाब सरकार के मंत्री मलकियत सिंह सिद्धू पर कनाडा के शहर वैंकूवर में 1986 में हमला करने की साजिश रचने के आरोप में अटवाल को गिरफ्तार किया गया था और उसे सजा भी सुनाई गई थी।
भारतीय नागरिक नहीं है अटवाल
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, यह साफ है कि अटवाल भारतीय नागरिक नहीं है तभी उसे वीजा दिया गया है। लेकिन यह पता लगाया जा रहा है कि क्या किसी नियम कानून की अनदेखी करके वीजा दिया गया है। क्या अटवाल को भारत में गिरफ्तार किया जाएगा, यह पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि वह अपने अपराध की सजा संभवत: काट चुका है। यह अभी साफ नहीं है कि उसके खिलाफ भारत में अभी कोई मामला लंबित है या नहीं।
पहले दिन से ही यात्रा विवाद में
ट्रूडो के सत्ता में आने के बाद से ही भारत-कनाडा रिश्तों में खींचतान चल रही है। इसके पीछे एक ही वजह है कि ट्रूडो की नीतियां कई बार खालिस्तान समर्थक रही हैं। वैसे ट्रूडो ने इस यात्रा के दौरान सफाई दी है कि वह भारत की एकजुटता के पक्षधर हैं और यहां अनेकता में एकता के समर्थक हैं। लेकिन माना जा रहा है कि 2019 में कनाडा में होने वाले आम चुनावों के मद्देनजर वह कूटनीति में राजनीति को घुसाने की कोशिश कर रहे हैं। कनाडा में गुजरात व पंजाब से गए लोगों की खासी संख्या है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी ट्रूडो के साथ मुलाकात में खालिस्तानी आतंक का मुद्दा जोर-शोर से उठाया है।