अयोध्या मामले में रामलला के वकील की दलील- आकार-प्रकार में नहीं, कण-कण में हैं भगवान
सुप्रीम कोर्ट में रामलला की ओर से जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति बताते हुए कहा गया कि उसके वही अधिकार हैं जो किसी मनुष्य के होते हैं और मुकदमें में वह एक पक्षकार हो सकता है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में रामलला की ओर से शुक्रवार को जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति बताते हुए कहा गया कि उसके वही अधिकार हैं जो किसी मनुष्य के होते हैं और मुकदमें में वह एक पक्षकार हो सकता है। अपनी दलील साबित करते हुए वरिष्ठ वकील के. परासरन ने कहा कि भगवान कण-कण में हैं। उनका कोई एक निर्धारित आकार प्रकार नही हो सकता। वे मूर्ति में भी हैं और निराकार भी। वे नदी, सरोवर और पहाड़ हर जगह हैं। ईश्वर अणु के हजारवें हिस्से में भी हैं। दुनिया मे खोजे जा रहे सूक्ष्मतम कण को भी गॉड पार्टिकल कहा जाता है।
जन्मस्थान को मुकदमें में पक्षकार बनाए जाने और उसकी कानूनी हैसियत को लेकर कोर्ट की ओर से गुरुवार को पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए परासरन ने शुक्रवार को ये दलीलें दीं।
रघुवंश का अभी है कोई वंशज
कोर्ट ने शुक्रवार को रामलला के वकील परासरन से जिज्ञासा भरा सवाल पूछा कि क्या रघुवंश का कोई वंशज अभी अयोध्या में है। परासरन ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। वह पता करने का प्रयास करेंगे। सवाल पूछने वाले जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि वह सिर्फ जानना चाहते हैं कि क्या रघुवंश का कोई वंशज है।
कोर्ट पहले भी पहाड़ी, सरोवर और स्थान को मान चुका है न्यायिक व्यक्ति
परासरन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट पहले भी पहाड़ी को, सरोवर को ज्यूरिस्टिक पर्सन (न्यायिक व्यक्ति) मान चुका है। उन्होने कहा कि हिंदू धर्म में भगवान का बहुत व्यापक रूप माना गया है। ईश्वर किसी विशेष आकार प्रकार तक सीमित नहीं हैं।
उन्होंने प्रहलाद की खंबे में भगवान होने की कथा का जिक्र किया। साथ ही कहा भगवान उस मंदिर में भी हो सकते हैं जिसमें कोई मूर्ति न हो। केदारनाथ में भगवान की मूर्ति नहीं है बल्कि एक प्राकृतिक शिला है। स्थान को भी भगवान माना जाता है। पुष्कर का ब्रम्ह सरोवर है। तिरुवनमलई पहाड़ी है जिसे पवित्र मानकर परिक्रमा की जाती है। चित्रकूट इसका एक बड़ा उदाहरण है जहां भगवान राम और सीता ने 13 वर्ष गुजारे थे।
साक्ष्य बताते हैं कि अयोध्या में राम जन्मस्थान में है परिक्रमा मार्ग
कोर्ट ने अयोध्या केस के साक्ष्यों में जन्मस्थान पर परिक्रमा मार्ग का जिक्र होने का हवाला देते हुए परासरन से परिक्रमा का महत्व पूछा। परासन ने हिंदू धर्म में परिक्रमा का महत्व बताते हुए माता पिता की परिक्रमा करने की गणेश जी की कहानी बताई।
उन्होंने कहा कि गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का भी हवाला दिया। परासरन ने कहा कि परिक्रमा के मार्ग और स्थान को लेकर विवाद हो सकता है, लेकिन राम जन्मस्थान में ऐसी मुश्किल नहीं है क्योंकि दोनों पक्ष मानते हैं कि यही स्थान है।
उन्होंने भगवान राम के अयोध्या में राजा दशरथ के यहां जन्म लेने के साक्ष्य में वाल्मीकि रामायण के अंश का हवाला दिया। गीता और अन्य शास्त्रों में हिंदू धर्म और पूजा पद्धति के उदाहरण भी गिनाये। साथ में सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों के 1954 के यग्नपुरुष दास फैसले का हवाला दिया जिसमे कोर्ट ने कहा था कि हिंदू धर्म नहीं बल्कि जीवन पद्धति है। परासन की बहस मंगलवार को भी जारी रहेगी।
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