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केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- विपक्ष ने लोकतंत्र की बुनियाद को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि विपक्ष ने भारतीय लोकतंत्र की बुनियाद और इसके स्तंभ को नष्ट करने में कुछ भी शेष नहीं छोड़ा। इसे परिश्रम से हासिल किया गया था लेकिन दुख की बात है कि प्रतिस्पर्धी राजनीति के चलते इसे नष्ट कर दिया गया।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 15 Aug 2021 06:31 PM (IST)Updated: Sun, 15 Aug 2021 06:31 PM (IST)
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- विपक्ष ने लोकतंत्र की बुनियाद को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी
संसद के मानसून सत्र में विपक्ष ने जितना हो सकता था, खराब व्यवहार किया

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि संसद के मानसून सत्र में विपक्षी पार्टियों ने जितना हो सकता था, उतना खराब व्यवहार किया। भारतीय लोकतंत्र की बुनियाद को नष्ट करने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि दोनों सदनों में मंत्रियों का परिचय कराने की 70 साल से परंपरा चली आ रही है, लेकिन पहली बार विपक्ष ने यह भी नहीं होने दिया।

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पीयूष गोयल ने कहा- विपक्ष ने लोकतंत्र की बुनियाद को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी

मंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा कि विपक्ष ने भारतीय लोकतंत्र की बुनियाद और इसके स्तंभ को नष्ट करने में कुछ भी शेष नहीं छोड़ा। इसे परिश्रम से हासिल किया गया था, लेकिन दुख की बात है कि प्रतिस्पर्धी राजनीति के चलते इसे नष्ट कर दिया गया। इस बार विपक्ष ने सहनशीलता की सारी सीमा तोड़ दी।

उम्मीद है इस बार कुछ सदस्यों को अपने कार्यों के परिणाम भुगतने होंगे: गोयल

गोयल बोले, यही कारण है कि हमने कार्रवाई की मांग की और इसके निवारण की जरूरत है। संभवत: और सख्त प्रतिरोध की। हम केरल विधानसभा मामले में सुप्रीम कोर्ट के अत्यंत कड़े फैसले और सख्ती के लिए आभारी हैं। मुझे विश्वास है कि इस बार कुछ सदस्यों को अपने कार्यों के परिणाम भुगतने होंगे।

विपक्ष के हंगामे के चलते लोकसभा समय से दो दिन पहले ही स्थगित कर दी गई थी

मानसून सत्र में विपक्ष की ओर से हंगामा लगातार जारी रहने के चलते लोकसभा की कार्यवाही 11 अगस्त को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई थी। मानसून सत्र को 13 अगस्त तक चलना था। पेगासस जासूसी विवाद, कृषि कानूनों और अन्य विषयों पर विपक्ष का हंगामा 19 जुलाई को सत्र शुरू होने के बाद से लगातार जारी था। इसकी वजह से सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई।


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