पीयूष गोयल बोले, रेलवे के तेज विकास के लिए जुटाए चौतरफा संसाधन
रेलमंत्री पीयूष गोयल ने दावा किया कि मोदी सरकार ने रेलवे में इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ सुरक्षा एवं संरक्षा बढ़ाने में संप्रग सरकार के मुकाबले काफी बेहतर कार्य किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे के निजीकरण के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कांग्रेस पर आजादी के बाद रेलवे को बदहाल बनाए रखने तथा वोटों की खातिर इसका राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
लोकसभा में रेलवे की अनुदान मांगों पर चर्चा के जवाब में गोयल ने कहा, 'रेलवे के निजीकरण का सवाल ही नहीं उठता। लेकिन रेल मंत्रालय नई प्रौद्योगिकी, नई लाइनों तथा नई परियोजनाओं के लिए राष्ट्रहित में नया निवेश आमंत्रित करेगा।'
रेलमंत्री ने दावा किया कि मोदी सरकार ने रेलवे में इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ सुरक्षा एवं संरक्षा बढ़ाने में संप्रग सरकार के मुकाबले काफी बेहतर कार्य किया है। गोयल ने रेल बजट को खत्म कर आम बजट में विलय किए जाने के सरकार के फैसले की ये कहकर सराहना की कि रेल बजट राजनीतिक बजट हुआ करते थे जिनका उपयोग चुनाव जीतने के लिए नई ट्रेने चलाने और नई रेलवे लाइने बिछाने के सपने बेचने के लिए होता था।
विपक्षी दलों के सरकार पर रेलवे के निजीकरण का प्रयास करने के आरोपों पर गोयल का कहना था कि वो कई बार इन आरोपों को खारिज कर चुके हैं और आज फिर यही कह रहे हैं कि रेलवे के निजीकरण का प्रश्न ही नहीं उठता। उन्होंने कहा, 'रेलवे का निजीकरण नहीं हो सकता। परंतु यदि हमें रेलवे में सुविधाएं बढ़ानी हैं तो जाहिर है कि इसके लिए निवेश की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए हमने सार्वजनिक-निजी भागीदारी का रास्ता चुना है। हम कुछ इकाइयों का निगमीकरण भी करेंगे।'
गोयल ने कहा मोदी सरकार को रेलवे बदहाल हालत में मिली। लेकिन सरकार ने पिछले पांच वर्षो में नए ट्रैक बिछाकर तथा यात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधाओं में बढ़ोतरी कर रेलवे की हालत सुधार दी है। पिछले 64 सालों में कुल 39 हजार ट्रैक किमी लाइनें बिछाई गर्ई थी। परंतु बीते पांच वर्षो में सालाना सात हजार ट्रैक किमी के हिसाब से ट्रैक बिछाए गए। इसी प्रकार 1950-2014 के दौरान ट्रैक में 12 हजार रनिंग किलोमीटर की वृद्धि हुई। जबकि हमने 2014-19 के दौरान इसमें पांच हजार रनिंग किमी की बढ़ोतरी कर दी है।
संप्रग सरकार ने डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर 2007 में काम शुरू किया था। परंतु 2014 तक केवल एक किमी ट्रैक बिछाया जा सका। परंतु हमने मात्र पांच वर्षो में 1900 किमी ट्रैक बिछा डाला है। यही नहीं, कांग्रेस शासन में रायबरेली की माडर्न कोच फैक्ट्री में एक भी कोच का निर्माण नहीं हुआ था। भाजपा सरकार आने के बाद पहले अगस्त, 2014 में पहले कोच का निर्माण हुआ। हम एमसीएफ की वार्षिक क्षमता को बढ़ाकर 5000 कोच करना चाहते हैं। यहां बने यात्री डिब्बे दुनिया भर को निर्यात होंगे। हम इसे विश्व की सबसे बड़ी फैक्ट्री बनाना चाहते हैं।
गोयल ने ये कहकर रेल हादसों में आई कमी का श्रेय भी मोदी सरकार को दिया कि 2004-2009 के दौरान हर साल लगभग 206 दुर्घटनाएं होती थीं। 2011 तक भी हर साल 153 हादसे हो रहे थे। परंतु भाजपा शासन के दौरान ये संख्या घटकर 100 पर आ गई है। स्वच्छता पर उन्होंने कहा कि अब तक ट्रेनों में 2.10 लाख बायो टायलेट लगाए जा चुके हैं।
पश्चिम बंगाल की सरकार पर प्रहार करते हुए गोयल ने कहा बंगाल में कई रेल परियोजनाएं राज्य सरकार की ओर से जमीन उपलब्ध न करा पाने के कारण अटकी हैं। सबसे पुराना प्रोजेक्ट 1974-75 से अटका है।
गोयल ने रेलवे में सुधारों का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया। 'बचपन में ट्रेनों के आगे चाय बेचने वाले ने इस देश को देखा है और वो रेलवे के महत्व को समझता है। 11 जुलाई, 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए विस्फोटों का हवाला देते हुए गोयल ने कहा कि उस वक्त अगर मोदी सत्ता में होते तो इसका करारा जवाब देते। उनके इस कथन का कांग्रेस सदस्यों ने 'शर्म करो' नारों के साथ विरोध किया।
अनुदान मांगों पर चर्चा में लगभग सौ सांसदों ने कल देर रात तक और आज दोपहर बाद तक हिस्सा लिया। जिसका जवाब देने में गोयल को भी लगभग एक घंटा लग गया। उनके भाषण के दौरान कांग्रेस सदस्यों ने कई बार व्यवधान पैदा करने की कोशिश की। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने जब गोयल पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया तो पार्टी के सदस्यों ने उनका समर्थन किया।