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राष्ट्रपति की आंखों से बदलते बस्तर की तस्वीर दुनिया को दिखाने की कोशिश

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के प्रस्तावित दौरे के जरिये देश और दुनिया को बस्तर की यह नई तस्वीर दिखाने की कोशिश की जा रही है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 03:58 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 03:58 PM (IST)
राष्ट्रपति की आंखों से बदलते बस्तर की तस्वीर दुनिया को दिखाने की कोशिश
राष्ट्रपति की आंखों से बदलते बस्तर की तस्वीर दुनिया को दिखाने की कोशिश

रायपुर [संजीत कुमार]। बस्तर का नाम जेहन में आते ही सबसे पहले गोला- बारूद, पुलिस नक्सली मुठभेड़, हत्या और लाशों की तस्वीर उभरती है। दूसरी तस्वीर, अति पिछड़ा क्षेत्र, जहां लोगों के पास न तन ढकने को कपड़े हैं और न भरपेट भोजन। लाल आतंक यानी नक्सल हिंसा के लिए कुख्यात रहे बस्तर की यह तस्वीर करीब एक दशक पुरानी हो चुकी है। बस्तर पूरी तरह बदल चुका है। संभाग के सभी सातों जिले और वहां के लोग देश और दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह प्रगति की राह पर कदमताल कर रहे हैं। पूरा बस्तर प्राकृतिक संपदा (पर्यटन और खनिज) से भरा पड़ा है। जिसके बूते वहां की तस्वीर और तकदीर बदल चुकी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के प्रस्तावित दौरे के जरिये देश और दुनिया को बस्तर की यह नई तस्वीर दिखाने की कोशिश की जा रही है।

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राष्ट्रपति कोविंद का 25 व 26 जुलाई को बस्तर दौरा प्रस्तावित है। कोविंद से पहले डॉ.राजेंद्र प्रसाद, प्रतिभा पाटिल और एपीजे अब्दुल कलाम बतौर राष्ट्रपति बस्तर आ चुके हैं। कोविंद देश के पहले राष्ट्रपति होंगे जो बस्तर में रात्रि विश्राम करेंगे। अपने पहले बस्तर प्रवास के दौरान राष्ट्रपति कोविंद वहां चौबीस घंटे से अधिक समय तक रुकेंगे। इस दौरान वे बस्तर के उन स्थानों का दौरा करेंगे, जिसकी तस्वीर और हकीकत जानने के बाद बस्तर के प्रति लोगों की सोच बदल जाएगी।

देश- दुनिया का ध्यान खींच सकता है बस्तर
अब तक नक्सल हिंसा प्रभावित रहे बस्तर में किसी राष्ट्रपति का दौरा और रात्रि विश्राम न केवल देश बल्कि दुनिया का ध्यान खींचने के लिए पर्याप्त है। संभवत: कोविंद का कार्यक्रम तय करने के पीछे भी यही मकसद है।

लगातार छवि बदलने की हो रही कोशिश
छत्तीसगढ़ सरकार लगातार बस्तर की बदली हुई छवि दुनिया को दिखाने की कोशिश कर रही है। यही वजह है कि आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत के लिए बस्तर के जांगला को चुना गया था। योजना शुरू करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए थे। मोदी इससे पहले 2015 में भी बस्तर आए थे। उस दौरान पीएम जावंगा एजुकेशन सिटी गए थे।

2022 तक नक्सल मुक्त करने का दावा
नक्सलियों की कथित राजधानी अबूझमाड़ इसी बस्तर में है। नक्सली 40 साल से भी अधिक समय से यहां सक्रिय हैं। संभाग के बड़े हिस्से को नक्सल मुक्त कर विकास की राह पर लाने के साथ सरकार 2022 तक पूरे संभाग से नक्सलवाद के खात्मे का दावा कर रही है।

क्या देखेंगे राष्ट्रपति
चित्रकोट जलप्रपात: जगदलपुर से 39 किमी दूर स्थित इस जलप्रपात को भारत का नियाग्रा कहा जाता है। इंद्रावती नदी पर स्थित चित्रकोट जलप्रपात 90 फीट की ऊंचाई से तेज गर्जना के साथ गिरता है।
जावंगा एजुकेशन सिटी: यह सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल दंतेवाड़ा जिले में है। 170 एकड़ में बने इस शिक्षा केंद्र में प्राथमिक से लेकर उच्च और तकनीकी शिक्षा की सर्व सुविधायुक्त व्यवस्था है।
जैविक खेती: पिछड़ा कहे जाने वाले दंतेवाड़ा के किसानों के स्वसहायता समूहों ने जैविक खेती शुरू की है। अब उन्होंने एक कंपनी स्थापित कर ली है। उनके उत्पाद की मांग देश से लेकर विदेशों तक से आ रही है।

राष्ट्रपति भी देखेंगे नजारा
अपने दो दिवसीय दौरे पर बस्तर आ रहे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी चित्रकोट के इस विहंगम नजारे को देखेंगे। उनके यहां आने को लेकर प्रशासन जोर-शोर से तैयारी कर रहा है। वॉटर फॉल का मनोरम दृष्य रात में रंगीन रौशनी के साथ और भी खूबसूरत छटा बिखेर रहा है। दिन के वक्त तो यह नजारा लाजवाब नजर आता है।

राष्ट्रपति के भोजन में बस्तरिया व्यंजन होगा खास
वनांचल शिक्षा सेवा प्रकल्प द्वारा संचालित हीरानार के सरस्वती शिशु मंदिर में राष्ट्रपति दोपहर भोज के साथ बच्चों से चर्चा करेंगे। बच्चे ही उन्हें परोसेंगे। शिक्षा विभाग के देखरेख में करीब एक हजार लोगों के लिए भोजन तैयार किया जाएगा। इनमें 35 सदस्य राष्ट्रपति भवन से आए मेहमान होंगे। उनके सुरक्षा दस्ता और अधिकारियों को भी बस्तरिया व्यंजन परोसने की योजना है। मेन्यू में यह होगा तीन तरह की सब्जी, दो किस्म की दाल, सुगंधित लोकटीमाछी चावल, बस्तर में पाए जाने वाले प्राकृतिक मशरूम (फुटू), आमट (खटाईयुक्त सब्जी), मीठे में बादशाह भोग चावल की खीर, जैविक कृषि से तैयार पपीता आदि।

चखेंगे मड़िया लड्डू व तीखुर की बर्फी
राष्ट्रपति कोविंद को हीरानार समन्वित कृषि प्रणाली मॉडल विलेज के अवलोकन के दौरान मड़िया (रागी माल्ट) से तैयार लड्डू और तीखुर की बर्फी के साथ नारियल पानी दिया जाएगा। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा लोकटीमाछी चावल व फुटू दिया जाएगा। अन्य अतिथियों को लोकटीमाछी चावल, सूखा फुटू, शहद, हर्बल सिंदूर, गुलाल का पैकेट भेंट किया जाएगा। छिंद के पत्तों से गुलदस्ता तैयार किया जाएगा।

ई- रिक्शा की सवारी भी करेंगे
अधिकारियों के मुताबिक हीरानार के समन्वित कृषि मॉडल विलेज का अवलोकन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ई- रिक्शे पर बैठकर करेंगे। इसके लिए ई- रिक्शा संचालन समूहों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि भ्रमण के दौरान राष्ट्रपति सहित टीम के लिए आधा दर्जन ई-रिक्शा काफिले में शामिल होगा। ज्ञात हो कि बीजापुर के जांगला प्रवास पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी ई-रिक्शे की सवारी की थी। 

सुरक्षा पर तैनात रहेंगे पांच हजार जवान 
दंतेवाड़ा प्रवास पर पहुंच रहे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सुरक्षा में पांच हजार जवानों की फौज जिले में तैनात रहेगी। आईजी और डीआईजी स्तर के अधिकारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा जिला बल और डीआरजी के जवान भी दंतेवाड़ा, गीदम से लेकर बारसूर तक सादे वर्दी में रहेंगे। हेलीकॉप्टर और ड्रोन से इलाके की निगरानी होगी। सोमवार को सरगुजा आईजी हिमांश गुप्ता, पीएचक्यू से आए डीआईजी आरपी साय व आरएस नायक ने कार्यक्रम स्थलों का जायजा लिया। 


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