पेट्रोलियम मंत्री ने कहा- यूएस-ईरान के तनाव से तेल की कीमतों को लेकर घबराने की जरूरत नहीं
देश को पांच लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी का आकार देने में पूर्वी भारत के पांच राज्य अहम हैं जिसमें स्टील क्षेत्र का खास योगदान हो सकता है।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने शनिवार को कहा कि अमेरिका और ईरान के बीच जारी तनाव से तेल की कीमतों पर संभावित असर को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। कोलकाता में सीआइआइ की ओर से आयोजित कार्यक्रम के मौके पर प्रधान ने साफ कहा कि केंद्र सरकार 'इंतजार करो और देखो' की स्थिति में है। प्रधान ने दावा किया कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कोई कमी नहीं है। हालांकि उन्होंने माना कि तेल की कीमतों में कुछ बढ़ोतरी हुई है, लेकिन पिछले दो दिनों से इसमें फिर से नरमी आई है।
पूर्वी भारत से उगेगा समृद्धि का सूरज
केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने शनिवार को कोलकाता में मिशन पूर्वोदय का शुभारंभ किया। मिशन का मुख्य उद्देश्य शहर में एकीकृत स्टील हब के माध्यम से पूर्वी भारत का त्वरित विकास करना है। केंद्रीय मंत्री ने मिशन पूर्वोदय को वह योजना बताया, जिसका दम पर भारत पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है।
प्राकृतिक संपदा से भरपूर पूर्वी भारत में असीम संभावनाएं
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) द्वारा शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में योजना का शुभारंभ करते हुए प्रधान ने कहा कि चाहे स्वतंत्रता संग्राम हो या सामाजिक सुधार, पूर्वी भारत से हर क्षेत्र में देश का नेतृत्व किया है। पूर्वी भारत में असीम संभावनाएं हैं। प्राकृतिक संपदा से भरपूर होने के बावजूद क्षेत्र का आर्थिक व सामाजिक विकास देश के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा कम हुआ है।
मिशन पूर्वोदय- विकास को मिलेगा नया आयाम
मिशन पूर्वोदय के साथ क्षेत्र के विकास को एक नया आयाम मिलेगा। पूर्वी भारत के विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पूर्व भारत के विकास पर अभूतपूर्व कोशिश की है। हमारी सरकार ने 102 लाख करोड़ नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन योजना की शुरुआत की है। अब पाइपलाइन हो या पेयजल आपूर्ति, जल मार्ग, वायु मार्ग या सड़क, हमारी सरकार त्वरित गति से सुविधाओं का विकास कर रही है। हमारी विकास की योजना में पूर्वी भारत को विशेष स्थान मिला है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा- 21वीं सदी ज्ञान व तकनीक की सदी
तकनीक पर विशेष चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान व तकनीक की सदी है। नई तकनीक आज देश व अर्थव्यवस्था को नए आयाम दे रही है। डिजिटल आधारित इंडस्ट्री 4.0 से हमे बहुत उम्मीद है। स्टील के उत्पादन के क्षेत्र में इंडस्ट्री 4.0 की स्वीकार्यता से नई औद्योगिकरण की लहर का पूरा लाभ पूर्वी भारत को मिलना तय है। देश में कारोबार के लिए सुधरते माहौल की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस हमारी सरकार के लिए सिर्फ एक नारा भर नहीं है। हमारी सरकार ने कारोबारी माहौल को आसान बनाने के हर आयाम पर काम किया है।
कोयला क्षेत्र में सबसे बड़ा सुधार
हाल ही में हमारी सरकार ने कोयला क्षेत्र में अब तक सबसे बड़ा सुधार किया है। अब कोयला क्षेत्र में अधिक उत्पादन और अधिक कमाई सुनिश्चित हुई है। एक बार फिर से इसका सबसे बड़ा लाभ पूर्वी भारत को ही मिलेगा। भारत के पूर्वी क्षेत्र (ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल) और आंध्र प्रदेश के उत्तरी हिस्से में देश भर के कुल कच्चे लोहे (आयरन ओर), कोकिंग कोल के 80 फीसद के साथ क्रोमाइट, बॉक्साइट व डोलोमाइट बड़ा हिस्सा पाया जाता है। इसके साथ पारादीप, हल्दिया, विजाग और कोलकाता जैसे अहम बंदरगाह भी उपस्थित हैं।
पांच लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी का आकार देने में पूर्वी भारत के पांच राज्य अहम
केंद्रीय मंत्री के अनुसार देश को पांच लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी का आकार देने में पूर्वी भारत के पांच राज्य अहम हैं, जिसमें स्टील क्षेत्र का खास योगदान हो सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्टील नीति के तहत स्टील की उत्पादन क्षमता 75 फीसद बढ़ाने के हमारे लक्ष्य को पूरा करने में पूर्वी क्षेत्र का खास योगदान हो सकता है। वर्ष 2030-31 तक हमारी लक्षित 30 करोड़ टन स्टील उत्पादन में से 20 करोड़ टन का उत्पादन अकेले पूर्वी क्षेत्र कर सकता है। ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल व आंध्र प्रदेश के उत्तरी हिस्से को मिला कर प्रस्तावित एकीकृत स्टील हब पूर्वी भारत के आर्थिक-समाजिक विकास का ध्वजवाहक बनेगा। कार्यक्रम को स्टील मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव रसिका चौबे ने भी संबोधित किया। संयुक्त सचिव रोहित यादव ने पूर्वोदय योजना की रूपरेखा पेश की।
स्टील हब से बदलेगी इकोनॉमी की तस्वीर
-इस्पात संयंत्रों के पास स्टील क्लस्टर बनेंगे, छोटे और मझोले स्टील को प्राथमिकता मिलेगी।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक के हब विकसित होंगे, बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होंगे।
- इस्पात क्षेत्र के लिए कैपिसिटी एडिशन होगा, भारत इस्पात निर्यातक देश बनेगा।