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राजीव गांधी की हत्या में दोषी पेरारिवलन पैरोल पर आएगा बाहर

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषी पेरारीवलन को एक महीने की पैरोल मिली है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 12:00 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 12:11 PM (IST)
राजीव गांधी की हत्या में दोषी पेरारिवलन पैरोल पर आएगा बाहर
राजीव गांधी की हत्या में दोषी पेरारिवलन पैरोल पर आएगा बाहर

वेल्लोर, एएनआइ। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्याकांड में दोषी पेरारिवलन, मंगलवार को केंद्रीय कारागार वेल्लोर से पैरोल पर बाहर आएगा। कोर्ट ने उसे 12 नवंबर से लेकर 13 दिसंबर तक की पैरोल दी है। वह अपने पिता के खराब स्वास्थ्य के कारण अस्थायी रूप से रिहा किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, यह दूसरी बार है जब पेरारिवलन पैरोल पर बाहर होंगे। 2017 में, उन्हें 30 दिनों के लिए रिहा कर दिया गया था, जिसे उनकी मां अर्पुधम्मल के अनुरोध पर 30 दिनों के लिए और बढ़ा दिया गया था।

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पेरारिवलन और छह अन्य लोगों को राजीव गांधी हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। बता दें कि मई 1991 में, राजीव गांधी की हत्या लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE) द्वारा आत्मघाती हमलावर के जरिए तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान की गई थी। इस हमले में 14 अन्य लोग भी मारे गए।

देश को उसकी टीस आज तक है

राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्री काल में श्रीलंका में शांति प्रयासों के लिए भारतीय सैन्य टुकड़ियों को भी वहां भेजा, लेकिन इसके नतीजे में वे खुद लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ऐलम [लिट्टे] के निशाने पर आ गए। तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में उन्हें उस वक्त बम से उड़ा दिया गया था जब वो एक चुनावी रैली को संबोधित करने जा रहे थे। 21 मई 1991 को रात तकरीबन 10 बजकर 10 मिनट पर राजीव गांधी रैली स्थल पर पहुंचे। वे कार की अगली सीट पर बैठे थे और उन्होंने उतरते ही सबका अभिवादन किया।

मंच की ओर बढ़ते हुए एक महिला आत्मघाती हमलावर धनु ने उन्हें माला पहनानी चाही, तो सब इंस्पेक्टर अनुसुइया ने उसे रोक दिया। हालांकि राजीव गांधी के कहने पर उसे माला पहनाने के लिए आने दिया गया। धनु ने उन्हें माला पहनाई और जैसे ही वो उनके पैर छूने के लिए नीचे झुकी, उसने अपने कमर से बंधे बम का बटन दबा दिया। एक जोरदार धमाका हुआ और फिर सबकुछ सुन्न हो गया। इस धमाके ने राजीव गांधी की जान ले ली। राजीव गांधी का हत्यारा प्रभाकरण ने अपनी मौत से पहले जो जख्म देश को दिया उसकी टीस आज तक है।


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