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संसदीय पैनल ने लिया संभावित कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए भारत की तैयारियों का जायजा

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता में गृह मामलों पर संसदीय पैनल ने भारत में संभावित कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयारियों का जायजा लिया। वैरिएंट के खिलाफ उपलब्ध टीकों की प्रभावकारिता और भविष्य की लहरों से बच्चों को होने वाले खतरों पर चिंता जताई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 28 Jun 2021 04:34 PM (IST)Updated: Mon, 28 Jun 2021 11:29 PM (IST)
संसदीय पैनल ने लिया संभावित कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए भारत की तैयारियों का जायजा
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता में गृह मामलों पर संसदीय पैनल

नई दिल्ली, एएनआइ। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता में गृह मामलों पर संसदीय पैनल ने भारत में संभावित कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए भारत की तैयारियों का जायजा लिया। नए वायरस वैरिएंट के खिलाफ उपलब्ध टीकों की प्रभावकारिता और भविष्य की लहरों से बच्चों को होने वाले खतरों पर चिंता जताई है।

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वैरिएंट आफ कंसर्न 51 फीसद तक पहुंचे

सूत्रों के मुताबिक गृह मामलों की संसद की स्थायी समिति को सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि मई में कोरोना वायरस के कुल संक्रमण में 10 फीसद मामले कोरोना के चिंताजनक स्वरूपों यानी वैरिएंट आफ कंसर्न के थे, जो 20 जून तक बढ़कर 51 फीसद तक पहुंच गए। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इनके खिलाफ देश में निर्मित कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीकों का असर भी कम हुआ है, हालांकि ये अभी कारगर हैं। 

दूसरी लहर के सामाजिक-आर्थिक परिणाम पर अपनी बात रखी

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन, वित्त मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के. राजा रमन उन अधिकारियों में शामिल थे, जिन्होंने समिति के समक्ष कोविड की दूसरी लहर के 'सामाजिक-आर्थिक परिणाम' पर अपनी बात रखी। कोरोना वायरस के कई चिंताजनक स्वरूपों के बारे में जानकारी साझा करते हुए अधिकारियों ने समिति को बताया कि इनमें अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा स्वरूप शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 35 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 174 जिलों में ये स्वरूप पाए गए हैं। इनके सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, तेलंगाना, बंगाल और गुजरात सामने आए हैं।

भाजपा के सांसदों ने किया था बैठक का वॉकआउट

ज्ञात हो कि पिछले बुधवार को आयोजित संसदीय पैनल की बैठक में वैक्सीन के विकास के मुद्दे पर 'हाइवोल्टेज ड्रामा' हुआ था। बैठक से भाजपा के कई सांसदों ने यह कह कर वाकआउट किया कि टीका नीति पर चर्चा करने का यह उपयुक्त समय नहीं है। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस सांसद जयराम रमेश की अध्यक्षता में हुई इस बैठक का एजेंडा कोविड-19 के लिए टीके का विकास और कोरोना वायरस एवं उसके वैरिएंट की जेनेटिक सिक्वेंसिंग था।


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