विपक्ष और सरकार की खींचतान में संसद सत्र पर संकट के बादल
लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार को भी चंद मिनटों में ही पूरे दिन के लिए हंगामे की वजह से स्थगित कर दी गई।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। संसद के बजट सत्र के दूसरे हफ्ते की शुरूआत भी हंगामे की भेंट चढ़ गई। विपक्ष पीएनबी घोटाले पर सरकार को घेरने की अपनी आक्रामकता से पीछे हटने को तैयार नहीं है। तो एनडीए की सहयोगी टीडीपी आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने की मांग का अपना सियासी दांव छोड़ने को राजी नहीं। सरकार भी विपक्ष की घेरेबंदी या सहयोगी दल के दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं दिख रही। सत्ता पक्ष और विपक्ष की इस खींचतान को देखते हुए संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के संचालन पर संशय के बादल गहराने लगे हैं। ऐसे में मंगलवार से सरकार वित्त विधेयक पारित कराने की कोशिश करेगी।
लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार को भी चंद मिनटों में ही पूरे दिन के लिए हंगामे की वजह से स्थगित कर दी गई। इस तरह बजट सत्र के दूसरे चरण के दूसरे हफ्ते की शुरूआत भी सदन में हंगामे और शोर शराबे से हुई। 5 मार्च से शुरू हुए सत्र के पहले हफ्ते भी पीएनबी घोटाले और आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने पर लगातार हुए हंगामे के कारण कोई कामकाज नहीं हो पाया। कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी दल दोनों सदनों में कार्यस्थगन या मतविभाजन नियमों के तहत पीएनबी घोटाले पर बहस की मांग कर रहे हैं।
विपक्ष का मकसद साफ तौर पर घोटाले पर चर्चा के साथ वोटिंग के जरिये सरकार की घेरेबंदी को सियासी रिकार्ड में दर्जा करना है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि सरकार नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के घोटाले पर पर्दा डालने के लिए बहस से बच रही है। इसीलिए विपक्षी सांसदों की मांग दोनों सदनों में अनसुनी की जा रही है।
सरकार विपक्ष के इन दावों को खारिज कर रही है और उसका साफ कहना है कि चर्चा के नियमों के तहत पीएनबी घोटाले पर बहस के लिए वह राजी है। मगर विपक्ष सियासी हंगामा जारी रखने के लिए कार्यस्थगन प्रस्ताव के हथियार का इस्तेमाल कर रहा है। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि देश को आजकल लोकतंत्र पर कांग्रेस के प्रवचन से रुबरू होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि संसद में हंगामे का औचित्य नहीं है और सरकार नियम 193 के तहत लोकसभा में पीएनबी घोटाले पर बहस के लिए तैयार है। इससे साफ है कि सरकार और विपक्ष दोनों सदन ठप होने के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मगर दूसरी हकीकत यह भी है कि संसद का गतिरोध दूर करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष में शीर्ष स्तर पर अभी तक सीधा संवाद नहीं हो रहा है।