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Parliament Session: हंगामेदार हो सकता है बजट का दूसरा भाग, संसद में दिखेगी दिल्ली हिंसा की गर्मी

Parliament Session माना जा रहा है कि एक महीने तक चलने वाले इस सत्र में पहला एक सप्ताह शायद ही संसद की कार्यवाही चल पाए।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 29 Feb 2020 07:19 PM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 07:28 PM (IST)
Parliament Session: हंगामेदार हो सकता है बजट का दूसरा भाग, संसद में दिखेगी दिल्ली हिंसा की गर्मी
Parliament Session: हंगामेदार हो सकता है बजट का दूसरा भाग, संसद में दिखेगी दिल्ली हिंसा की गर्मी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली दंगा तो अब पूरी तरह नियंत्रण में है और धीरे धीरे स्थिति सामान्य होने की ओर बढ़ने लगी है लेकिन सोमवार से शुरू हो रहे बजट सत्र का दूसरा भाग बहुत हंगामेदार होगा। एक तरफ जहां विपक्षी दल एकजुट होकर सरकार के घेराव की रणनीति बना रहे हैं वहीं सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के प्रस्ताव के साथ पलटवार की भी तैयारी में जुटी है और यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि भाजपा के कुछ बयानवीर कुख्यात नेता स्थिति को न बिगाड़ें। ऐसे में माना जा रहा है कि एक महीने तक चलने वाले इस सत्र में पहला एक सप्ताह शायद ही संसद की कार्यवाही चल पाए।

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सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर शुरू हुआ विरोध दिल्ली में हिंसक रूप ले चुका है। वहीं बिहार विधानसभा ने एनपीआर को प्रस्तावित नए आधार पर नहीं बल्कि 2010 के आधार पर ही कराने का प्रस्ताव पारित कर दिया है।

संसद में सरकार को एकजुट घेरने की रणनीति

जाहिर है कि इसने भी विपक्षी दल को नैतिक दबाव बनाने का मौका दे दिया है। बिहार चुनाव अब महज छह सात महीने दूर है। ऐसे में विपक्ष ने कमर कस ली है। बताते हैं कि कांग्रेस ने दूसरे विपक्षी दलों से भी बात कर ली है और संसद में सरकार को एकजुट घेरने की रणनीति बनी है। जाहिर है कि ऐसे मे सरकार के लिए अपने सारे कामकाज को निपटाना आसान नहीं होगा। बताते हैं कि सरकार के एजेंडे मे लगभग तीन दर्जन विधेयक हैं। लेकिन वर्तमान हालात मे इसका दोनों सदनों से पारित होना मुश्किल है।

कपिल मिश्रा और गिरिराज सिंह जैसे नेताओं पर खास नजर

सूत्रों का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी भाजपा में कांग्रेस और विपक्ष को आक्रामक तरीके से उसके इतिहास के पन्नों के जरिए ही घेरने की रणनीति बनी है। कोशिश यह होगी कि तथ्यात्मक तरीके से दंगे से पूर्व के हालात और कुछ राजनीतिक दलों के रुख व बयानों के जरिए विपक्ष को कठघरे में खड़ा किया जाए। साथ ही ऐसे नेताओं को चुप रखा जाए तो अपने बयानों के कारण विवादों को बढ़ाते हैं। बताते हैं कि इसी क्रम में कपिल मिश्रा, गिरिराज सिंह जैसे नेताओं पर खास नजर है। बताते हैं कि ऐसे नेताओं से संयम बरतने को कहा गया है। खासकर कपिल मिश्रा की गतिविधि को लेकर सतर्कता बरती जा रही है।


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