Move to Jagran APP

बाल यौन उत्पीड़न में मृत्युदंड को राज्यसभा की मंजूरी, लोकसभा से पारित होना बाकी

दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर राज्यसभा ने बुधवार को बच्चों के साथ गंभीर यौन दु‌र्व्यवहार के दोषियों को मौत की सजा के प्रावधान पर अपनी मुहर लगा दी।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 10:53 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 10:53 PM (IST)
बाल यौन उत्पीड़न में मृत्युदंड को राज्यसभा की मंजूरी, लोकसभा से पारित होना बाकी
बाल यौन उत्पीड़न में मृत्युदंड को राज्यसभा की मंजूरी, लोकसभा से पारित होना बाकी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर राज्यसभा ने बुधवार को बच्चों के साथ गंभीर यौन दु‌र्व्यवहार के दोषियों को मौत की सजा के प्रावधान पर अपनी मुहर लगा दी। राज्यसभा ने बाल यौन उत्पीड़न रोक (संशोधन) विधेयक 2019 पारित कर दिया है, जिसमें मौत की सजा के अलावा बच्चों के यौन उत्पीड़न कड़ी सजा के प्रावधान किये गये हैं। अब इसे लोकसभा से पारित होना बाकी है।

prime article banner

महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को राज्यसभा में पोक्सो विधेयक पेश किया था और सभी से उस पर समर्थन मांगा था। तृणमूल सांसद डेरेक ओब्रायन ने बाल्यकाल में बस में उनके साथ हुई छेड़छाड़ को याद किया और कहा कि कई मामलों में शिकायतें ही नहीं होती हैं। सरकार को सख्ती से निपटना पड़ेगा। कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि वह विधेयक का स्वागत करते हैं लेकिन कड़े प्रावधान भी ऐसी घटनाएं नहीं रोक पा रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के पास भी 2016 के बाद का बच्चों के यौन उत्पीड़न के अपराधों का आंकड़ा नहीं है। इसके अलावा ऐसे अपराधों मे सजा की दर भी बहुत कम है।

एआईएडीएमके की नेता विजिला सत्यनाथन ने भी विधेयक का समर्थन करते हुए इन घिनौने अपराध के दोषियों का कैमिकल कैस्ट्रेशन करने की भी मांग की। सपा सांसद जया बच्चन ने भी समर्थन किया और दिसंबर 2012 की दिल्ली की सामूहिक दुष्कर्म घटना को याद किया। उन्होंने कहा कि सिर्फ कानून में संशोधन से समस्या का हल नहीं निकलेगा इसके लिए तय समय में जांच और सजा होना भी जरूरी है। साथ ही उचित मुआवजा दिया जाए।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद कानून सख्त किया गया लेकिन ऐसी घटनाएं फिर भी नहीं रुकीं बल्कि अपराध में बढ़ोत्तरी हुई। अन्य दलों के नेताओं ने भी विधेयक का समर्थन किया। केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि ऐसे मामलों में सख्ती और तेजी से निपटने के लिए 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का निर्णय लिया गया है। इसकी जरूरत इसलिए है क्योंकि विभिन्न अदालतों में ऐसे 1.66 लाख मामले लंबित हैं। स्मृति ने बताया कि दो महीनों के अंदर जांच और एक साल के अंदर सजा का प्रावधान है।

बाल यौन उत्पीड़न रोकने के लिए विधेयक में हैं सख्त प्रावधान
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पोक्सो कानून में संशोधन करके बच्चों का यौन उत्पीड़न करने वालों को सख्त सजा देने का प्रावधान किया है। दोषियों को 20 साल से लेकर उम्रकैद तक और मौत की सजा तक का प्रावधान किया है। जिसका निर्णय कोर्ट को लेना होगा। कानून को जेंडर न्यूट्रल बनाया गया है ताकि सिर्फ बच्चियों को ही नहीं बल्कि बालकों को भी यौन उत्पीड़न से बचाया जा सके।

इसके अलावा कानून में चाइल्ड पोर्नोग्राफी की परिभाषा तय की गई है जिसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी की फोटो, वीडियो, कार्टून या फिर कंप्यूटर जेनेरेटड इमेज को इसके तहत दंडनीय अपराध की जद मे लाया गया है। ऐसी सामग्री रखने तक को 5000 से लेकर 10000 तक के जुर्माने के दंड की व्यवस्था की गई है। लेकिन अगर कोई ऐसी सामग्री का व्यवसायिक इस्तेमाल करता है तो उसे जेल की सख्त सजा होगी। कानून में बच्चों का यौन उत्पीड़न करने के उद्देश्य से उन्हें दवा या रसायन आदि देकर जल्दी युवा करने को गैर जमानती अपराध बनाया गया है जिसमें पांच साल तक की कैद का प्रावधान है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.