150 जिलों पर पड़ेगी जलवायु परिवर्तन की पहली मार, इन्हें होगा सबसे ज्यादा नुकसान
देश के डेढ़ सौ जिलों पर जलवायु परिवर्तन की पहली मार पड़ने वाली है। इसका सबसे बुरा असर कृषि क्षेत्र पर पड़ेगा।इन जिलों पहले से ही चिन्हित उनके हिसाब से योजनाएं तैयार की गई हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के डेढ़ सौ जिलों पर जलवायु परिवर्तन की पहली मार पड़ने वाली है। इसका सबसे बुरा असर कृषि क्षेत्र पर पड़ेगा। कृषि क्षेत्र की इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग पर बल दिया जा रहा है। जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होने वाले 151 जिलों को पहले से ही चिन्हित उनके हिसाब से योजनाएं तैयार की गई हैं, जो बाढ़ और सूखे से प्रभावित होने वाले जिलों में लागू की जाएंगी।
राज्यसभा में प्रश्नोत्तर काल के दौरान केंद्रीय वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए सूखा व बाढ़ रोधी बीज तैयार किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अति वृष्टि और तापमान बढ़ने की दशा में ऐसे बीजों की सख्त जरूरत होगी। खाद्यान्न सुरक्षा के लिए यह बहुत जरूरी है। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों की काबिलियत की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हीं की बदौलत देश न सिर्फ खाद्यान्न पैदावार में आत्मनिर्भर हो गया है, बल्कि दुनिया के खाद्यान्न निर्यातकों में शामिल हो गया है।
पर्यावरण मंत्री जावड़ेकर ने एक पूरक सवाल के जवाब में कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन से कृषि पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया है। इसके मुताबिक देश में चावल, गेहूं, मक्का, मूंगफली, चना और आलू जैसी फसलों पर जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर ही सूखा, तापमान और बाढ़ रोधी बीज तैयार किये जा रहे हैं। टमाटर के ऐसे बीज तैयार किये गये हैं जो पानी लगने के बाद भी उसकी फसल खराब नहीं होगी।
मंत्री ने कहा कि जिन 151 जिलों पर जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर होने वाला है, उन्हें पहले से चिन्हित कर लिया गया है। खतरे के कगार पर खड़े इन जिलों में आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन किया जा रहा है। जलवायु के हिसाब से स्थान विशेष के किसानों को प्रौद्योगिकी से लैस किया जा रहा है।
फसलों के साथ पशुधन पर विशेष जोर दिया जा रहा है, ताकि मौसम के बिगड़े मिजाज से स्थानीय किसानों को नुकसान से बचाया जा सके। इसके पहले किसानों को प्रशिक्षण के साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के प्रति जागरुक भी किया जा रहा है। एक अन्य पूरक सवाल के जवाब में पर्यावरण मंत्री जावड़ेकर ने कहा कि देश के 33 राज्यों ने जलवायु परिवर्तन की चेतावनी को गंभीरता से लेकर प्राथमिकता पर तैयारियां शुरु कर दी है।