NIA को और अधिक अधिकार देने वाले संशोधन विधेयक को संसद की मिली हरी झंडी
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में कांग्रेस को करारा जवाब देते हुए कहा कि संप्रग सरकार के दौरान समझौता एक्सप्रेस धमाके में बिना किसी सबूत के असीमानंद को आरोपी बना दिया था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एनआइए को और अधिक अधिकार देने वाले संशोधन विधेयक को संसद की हरी झंडी मिल गई है। सोमवार को लोकसभा में पास होने के बाद बुधवार को राज्यसभा ने भी संशोधनों पर मुहर लगा दी। यानी अब एनआइए का अधिकार बढ़ गया है। एनआइए को साइबर अपराधों और मानव तस्करी के मामलों की जांच का अधिकार मिल जाएगा। इसके साथ ही अब विदेशों में किसी भारतीय या भारतीय हितों पर हमलों की जांच का अधिकार मिल जाएगा।
विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस की ओर से समझौता एक्सप्रेस धमाके के केस में असीमानंद को बरी किये जाने का मुद्दा उठाया गया, जिसका गृहमंत्री अमित शाह ने करारा जवाब दिया। शाह ने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार के दौरान बिना किसी सबूत के असीमानंद को आरोपी बना दिया गया था।
वैसे तो राज्यसभा ने सर्वसम्मति से एनआइए संशोधन विधेयक को पारित कर दिया, लेकिन चर्चा के दौरान कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने एनआइए की कार्यक्षमता पर सवाल उठाते हुए असीमानंद के बरी होने का मामला उठा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कि सरकार समझौता एक्सप्रेस धमाके पर विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने की इजाजत तक नहीं दे रही है।
सिंघवी के आरोपों का तीखा प्रतिकार करते हुए अमित शाह ने कहा कि समझौता एक्सप्रेस धमाके में लश्करे तैयबा के आतंकियों के शामिल होने के सबूत थे और हरियाणा पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी किया था। अमेरिकी एजेंसियों ने भी इसकी पुष्टि की थी। लेकिन 2010 में केस एनआइए को दे दिया गया। एक खास धर्म को निशाना बनाने के बिना सबूत के मनगढंत आरोप लगाए गए और असीमानंद के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया।
शाह ने कहा कि संप्रग सरकार के दौरान बिना सबूत के दाखिल आरोपपत्र की पोल अदालत की सुनवाई में खुल गई। उन्होंने कहा कि जब सबूत ही नहीं थे, तो आरोपी को सजा कैसे दिलाई जा सकती है।
अमित शाह ने बताया कि राजग सरकार में सरकार, अभियोजन एजेंसी और लॉ आफिसर स्वतंत्र रूप से फैसला लेते हैं। संप्रग सरकार की तरह सारे फैसले सरकार द्वारा नहीं लिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि अपील का फैसला सरकार या अभियोजन एजेंसी नहीं करती है, बल्कि लॉ आफिसर करता है। लॉ आफिसर ने असीमानंद के खिलाफ सबूत के बिना तैयार आरोपपत्र के आधार पर अपील के पक्ष में नहीं है। इसीलिए इस मामले में अपील नहीं की जा सकती है।