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स्वर्ण योजना मामले में चिदंबरम के खिलाफ सीबीआइ जांच के संकेत

योजना से सरकारी खजाने को सीधे तौर पर एक लाख करोड़ रुपये का चूना लगा था।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Wed, 07 Mar 2018 08:24 PM (IST)Updated: Wed, 07 Mar 2018 08:24 PM (IST)
स्वर्ण योजना मामले में चिदंबरम के खिलाफ सीबीआइ जांच के संकेत
स्वर्ण योजना मामले में चिदंबरम के खिलाफ सीबीआइ जांच के संकेत

नई दिल्ली (पीटीआई)। पूर्व वित्त मंत्री पलानीअप्पन चिदंबरम के खिलाफ स्वर्ण आयात योजना से सरकारी खजाने को सीधे तौर पर एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान करने का आरोप लगा है। उन पर इस योजना से मेहुल चोकसी जैसे कई ज्वैलरों के लिए मनी लांड्रिंग करने और काले धन की राउंड ट्रिपिंग करने का रास्ता खोलने का भी आरोप है। जल्द ही इस मामले को भी जांच के लिए सीबीआइ को सौंपा जा सकता है। इस मामले की जांच कर रही लोक लेखा समिति (पीएसी) की एक उप समिति को यह जानकारी वित्त मंत्रालय की ओर से मिलने के बाद एक सूत्र ने यह दावा किया है।

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पीएसी ने इस मामले की सीबीआइ जांच कराने का  लिया फैसला

पीएसी की एक उप समिति के एक सदस्य ने बुधवार को बताया कि उसके अध्यक्ष भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस मामले की सीबीआइ जांच कराने का फैसला लिया है। ताकि सीबीआइ यह पता लगा सके कि तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने यह स्वर्ण योजना शुरू करके किस तरह धांधली की। उप समिति के सदस्यों के अनुसार इस योजना से सरकारी खजाने को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व का नुकसान हुआ है।

कैग की रिपोर्ट में भी बताया गया है कि एक डॉलर (तब करीब 60 रुपये) की आय के समर्थन में सरकार को शुल्क का खर्च हटाकर 221.75 रुपये अपने ऊपर वहन करने पड़ते थे। इसके बाद भी काले धन के देश के बाहर जाकर देश में सफेद होकर लौटने का नुकसान इसके अतिरिक्त है। उप समिति के सदस्यों ने ईडी के निदेशक, सीबीडीटी और सीबीईसी के चेयरमैन और राजस्व सचिव को सभी फाइल नोटिंग साझा करने और जांच के दौरान इस योजना और पीएनबी घोटाले के आपसी संबंध को भी खंगालने को कहा है।

चिदंबरम के कार्यकाल में 80:20 स्वर्ण आयात योजना हुई थी शुरू

उप समिति से यह जानकारी साझा करने के बाद वित्त मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि मामले की जांच कर रही उप समिति को पता चला है कि वर्ष 2013 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के कार्यकाल में राजस्व खुफिया निदेशालय (डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस) के विरोध के बावजूद 80:20 स्वर्ण आयात योजना को शुरू किया गया था। साथ ही उसने यह संकेत भी दिए थे कि इससे मनी लांड्रिंग और कालेधन की राउंड ट्रिपिंग शुरू होगी।

सूत्र ने बताया है कि आयात-निर्यात के मामलों की निगरानी करने वाले राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआइ) ने पहले ही इस बात का संकेत दिया था कि इस स्वर्ण योजना से काले धन और मनी लांड्रिंग की राउंड ट्रिपिंग होगी। वित्तीय मामलों में राउंड ट्रिपिंग वह धांधली है जिसमें एक कंपनी बचा हुआ सामान दूसरी कंपनी या देश को बेचती है और फिर वैसा ही सामान उतनी ही कीमत पर वापस खरीद लेती है। जैसा कि इस मामले में भी जौहरियों ने सोने के आयात-निर्यात में राजस्व की चोरी ही नहीं की बल्कि काले धन को भी सफेद कर लिया।

पीएनबी स्कैम में हुआ था इस स्कीम का प्रयोग

अगस्त 2013 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने 80:20 का नियम लागू किया। इससे व्यापारियों को स्वर्ण के आयात की छूट तभी होती थी जब वह अपने पिछले आयात से बचा 20 फीसद सोना निर्यात करते थे। मोदी सरकार के मई 2014 में केंद्र में आने के बाद नवंबर 2014 को इस नियम को खत्म कर दिया गया। सूत्रों ने बताया कि पिछले हफ्ते उप समिति के सदस्यों ने स्वर्ण आयात पर कैग की वर्ष 2016 की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान चिदंबरम की भूमिका पर सवाल उठाए।

बताया जा रहा है कि पीएनबी घोटाले में आरोपी और भगोड़े मेहुल चोकसी समेत बहुत से ज्वैलरों ने मनी लांड्रिंग करने के लिए 80:20 स्वर्ण आयात योजना का जमकर दुरुपयोग किया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) और सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम (सीबीईसी) के वरिष्ठ अफसरों समेत राजस्व सचिव तक लोक लेखा समिति (पीएसी) की इस उप समिति के समक्ष पेश हो चुके हैं।


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