कार्ति की गिरफ्तारी से पहले ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए चिदंबरम, कार्रवाई रोकने की लगाई गुहार
कांग्रेस नेता का कहना है कि उनके परिवार ने कभी भी उनके आधिकारिक कार्य में दखल नहीं दिया। जो अनुमति आइएनएक्स मीडिया को दी गई थी वह रुटीन की कार्यवाही थी।
नई दिल्ली, पीटीआइ। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को शायद एहसास हो गया था कि सीबीआइ, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) कार्ति पर शिकंजा कस सकते हैं। यही वजह रही कि बेटे की गिरफ्तारी से पहले ही वह सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचे। उनकी याचिका सूचीबद्ध हो पाती, इससे पहले ही जांच एजेंसियों ने कार्ति चिदंबरम को उस समय धर दबोचा जब वह विदेश दौरे से वापस लौटे थे।
पिछले सप्ताह दायर की गई याचिका में चिदंबरम ने अदालत से गुहार लगाई कि आइएनएक्स मीडिया से जुड़े मामले की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। सीबीआइ ने मई 2017 में केस दर्ज कर लिया था, लेकिन अब तक फाइनल रिपोर्ट दाखिल नहीं कर सकी है। एजेंसी यह बता पाने की स्थिति में भी नहीं है कि इस मामले में कोई अपराध हुआ भी या नहीं। उनका कहना है कि वित्त मंत्री रहते 2007 में उन्होंने खुद आइएनएक्स मीडिया को फारेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआइपीबी) की अनुमति दी थी। उसमें उनके बेटे या परिवार के किसी व्यक्ति की कोई भूमिका नहीं थी।
कांग्रेस नेता का कहना है कि उनके परिवार ने कभी भी उनके आधिकारिक कार्य में दखल नहीं दिया। जो अनुमति आइएनएक्स मीडिया को दी गई थी वह रुटीन की कार्यवाही थी। उनका कहना है कि जांच एजेंसियां उनके परिवार व कारोबारी दोस्तों को बेवजह निशाना बना रही हैं। सुप्रीम कोर्ट से उनकी मांग है कि एजेंसियों की कार्यवाही को खारिज किया जाए। उनका कहना है कि सीबीआइ व ईडी उनके परिवार को बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं। चिदंबरम हालांकि खुद वकील हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में उनकी पैरवी कपिल सिब्बल करेंगे।
सीबीआइ का आरोप है कि आइएनएक्स को फारेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआइपीबी) की अनुमति दिलाने की एवज में कार्ति को दस लाख रुपये का भुगतान किया गया था। उसके बाद ईडी ने कार्ति पर मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया था।