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एनपीआर के साथ स्कूल न जाने वाले बच्चों की भी होगी पहचान, जानें क्‍या होगा फायदा

एनपीआर को लेकर विपक्षी दल भले ही सवाल खड़े कर रहे है लेकिन सरकार इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा उपयोगी और अहम जानकारियां जुटाने की तैयारी में है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 29 Dec 2019 08:29 PM (IST)Updated: Sun, 29 Dec 2019 08:29 PM (IST)
एनपीआर के साथ स्कूल न जाने वाले बच्चों की भी होगी पहचान, जानें क्‍या होगा फायदा
एनपीआर के साथ स्कूल न जाने वाले बच्चों की भी होगी पहचान, जानें क्‍या होगा फायदा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। एनपीआर को लेकर विपक्षी दल भले ही सवाल खड़े कर रहे है, लेकिन सरकार इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा उपयोगी और अहम जानकारियां जुटाने की तैयारी में है। फिलहाल मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस दिशा में एक बड़ी पहल की है। जिसमें एनपीआर के साथ वह स्कूल न जाने वाले बच्चों की भी सटीक जानकारी हासिल करने की तैयारी में है। मौजूदा समय में मंत्रालय के पास ऐसे बच्चों की कोई प्रमाणिक संख्या नहीं है। हालांकि अलग-अलग स्त्रोतों से देश में ऐसे बच्चों की संख्या छह करोड़ के आसपास बताई जाती है।

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मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने तैयार किया प्रस्ताव

मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक स्कूल न जाने वाले बच्चों की सही जानकारी मिलने से ऐसे बच्चों को स्कूल से जोड़ने में मदद मिलेगी। यही वजह है कि मंत्रालय ने एनपीआर के साथ ऐसे बच्चों की जानकारी जुटाने को लेकर भी सर्वे कराने का प्रस्ताव तैयार किया है। हालांकि अभी इस पर संबंधित मंत्रालय के साथ अभी चर्चा होना बाकी है, लेकिन मंत्रालय का मानना है कि यदि स्कूल न जाने वाले बच्चों के सर्वे का काम भी इसके साथ हो जाता है, तो समय और पैसा दोनों की ही बचत होगी। साथ ही मंत्रालय की एक बड़ी उपलब्धि भी होगी।

अब तक कितने बच्चे स्कूल नहीं जाते है, इसका नहीं है कोई भी प्रमाणिक ब्यौरा

वैसे भी प्रस्तावित नई शिक्षा नीति में ऐसे बच्चों की चिन्हित करने की भी सिफारिश की गई है। हालांकि अभी इस नीति के आने में थोड़ा वक्त लग सकता है, ऐसे में मंत्रालय ने इस पूरी योजना को आगे बढ़ाया है। मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस दौरान जो प्रस्ताव किया गया है, उसमें सर्वे में स्कूल जाने की उम्र वाले बच्चों (तीन से 18 वर्ष के बीच) की अलग से गणना कराना शामिल है। साथ ही उनमें ऐसे कितने बच्चे है, जो स्कूल नहीं जाते है।

फिलहाल यू-डीआईएसई (यूनिफाइड डिस्टि्रक इंफार्मेशन सिस्टम फार एजुकेशन) के 2016-17 के आंकड़ों के मुताबिक एक से पांचवी कक्षा के बीच सकल नामांकन दर (जीईआर) 95.1 फीसद था, जबकि कक्षा नौ-दस में 79.3 फीसद और कक्षा 11-12 में 51 फीसद था। सरकार की कोशिश है कि स्कूली जाने की उम्र वाले सभी बच्चों को स्कूल से जोड़ा जाए। उसका लक्ष्य सकल नामांकन अनुपात को शत प्रतिशत करना है। नई शिक्षा नीति में भी वर्ष 2030 तक इस लक्ष्य को हासिल करने की सिफारिश की गई है। फिलहाल एनपीआर का काम देश में अप्रैल 2020 से शुरु होगा।


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