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विपक्ष ने सरकार पर बोला हमला, कहा- महापंचायत से कृषि कानून विरोधी आंदोलन को मिली नई ताकत

विपक्षी दलों का मानना है कि मुजफ्फरनगर महापंचायत में जुटी भीड़ ने करीब 10 महीने से चल रहे कृषि कानून विरोधी आंदोलन को नई ताकत दे दी है और केंद्र सरकार पर इन कानूनों को निरस्त करने का दबाव बढ़ना तय है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 05 Sep 2021 09:09 PM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 09:27 PM (IST)
विपक्ष ने सरकार पर बोला हमला, कहा- महापंचायत से कृषि कानून विरोधी आंदोलन को मिली नई ताकत
विपक्षी दलों का मानना है कि मुजफ्फरनगर महापंचायत ने कृषि कानून विरोधी आंदोलन को नई ताकत दे दी है...

नई दिल्ली, जेएनएन। विपक्षी दलों का मानना है कि मुजफ्फरनगर महापंचायत में जुटी भीड़ ने करीब 10 महीने से चल रहे कृषि कानून विरोधी आंदोलन को नई ताकत दे दी है और केंद्र सरकार पर इन कानूनों को निरस्त करने का दबाव बढ़ना तय है। विपक्षी खेमे का मानना है कि बीते करीब छह महीने से प्रदर्शनकारियों से चर्चा की अनदेखी कर रही सरकार को व्यापक होते आंदोलन के मद्देनजर बातचीत करनी होगी।

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कांग्रेस और वामदलों के नेताओं ने तो मुजफ्फरनगर महापंचायत से कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन को नई उर्जा मिलने की बात खुलकर कही। कांग्रेस का साफ मानना है कि कृषि कानूनों को निरस्त करने के खिलाफ इस मुखर आवाज की अनदेखी की गई तो भाजपा सरकार के लिए इस मुद्दे पर वापसी की राह नहीं बचेगी। कांग्रेस नेताओं ने भाजपा सांसद वरुण गांधी के किसानों के समर्थन में उठाई गई आवाज को इसकी बानगी करार दिया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने मुजफ्फरनगर महापंचायत में जुटी भीड़ का फोटो ट्वीट कर कहा, 'गूंज रही है सत्य की पुकार, तुम्हें सुनना होगा अन्यायी सरकार।' उत्तर प्रदेश की प्रभारी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट में कहा कि किसान इस देश की आवाज और गौरव है। किसानों की हुंकार के सामने किसी भी सत्ता का अहंकार नहीं चलता। खेती-किसानी को बचाने और अपनी मेहनत का हक मांगने की लड़ाई में पूरा देश किसानों के साथ है।

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी महापंचायत में जुटी भीड़ का वीडियो ट्वीट कर कहा कि आजाद भारत ने 10 महीने लंबा ऐसा ऐतिहासिक आंदोलन नहीं देखा। मोदी सरकार हमारे अन्नदाताओं से बात करे और कृषि कानूनों को निरस्त कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी स्वरूप दे। राकांपा और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का भी मानना है कि किसानों की अब लंबे समय तक अनदेखी केंद्र सरकार को महंगी पड़ेगी। 


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