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पेट्रोल-डीजल पर मोदी सरकार के दांव की काट खोजना विपक्षी दलों के लिए मुश्किल

केरल में माकपा की अगुआई वाली वाममोर्चा सरकार ने केंद्र की घोषणा के अनुरूप कीमत कम करने से साफ तौर पर इन्कार किया।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 05 Oct 2018 12:58 PM (IST)Updated: Fri, 05 Oct 2018 02:50 PM (IST)
पेट्रोल-डीजल पर मोदी सरकार के दांव की काट खोजना विपक्षी दलों के लिए मुश्किल
पेट्रोल-डीजल पर मोदी सरकार के दांव की काट खोजना विपक्षी दलों के लिए मुश्किल

 नई दिल्‍ली, जेएनएन। पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों को लेकर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगा रहे थे। लेकिन केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्‍यों द्वारा पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती करने के बाद कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियां मौन हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्‍या अन्‍य राज्‍य भी पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करेंगे? विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दाम ढाई रुपये प्रति लीटर घटा दिए हैं और अब दिल्ली सरकार को भी पेट्रोल-डीजल पर वैट की दरें कम करनी चाहिए। लेकिन केजरीवाल की कोई प्रतिक्रिया अभी इस पर नहीं आई है।

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पेट्रोल-डीजल की कीमतों में केंद्र ने 2.5 रुपये कम किए, वहीं भाजपा शासित राज्यों ने भी वैट कम कर दिया। जिन राज्यों में पेट्रोल और डीजल पर 5 रुपये कम हुए हैं, उनमें शामिल हैं - मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, असम, त्रिपुरा, अरुणाचल, उत्तर प्रदेश, गोवा, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र व झारखंड। अपने हिस्से से जनता को राहत देने के मुद्दे पर गैर-भाजपा शासित राज्यों के सुर अलग हैं। राजग शासित बिहार ने भी फिलहाल कीमतें कम करने की दिशा में कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिया है।

तृणमूल और आम आदमी पार्टी (आप) ने एक सुर से 10 रुपये कम करने की मांग की है तो केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक ने मूल्य में कटौती से इन्कार किया है। पंजाब सरकार ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर बैठक बुलाई है जिसमें वह इस मुद्दे पर फैसला लेगी। दिल्ली ने अभी राहत नहीं दी है। ऐसे में लोग नोएडा जाकर कम दाम वाला ईंधन भरवा रहे हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने गुरुवार को ईंधन मूल्य में कमी करने से साफ इन्कार किया। उन्होंने कहा कि एक पखवाड़ा पहले ही राज्य सरकार यह कदम उठा चुकी है।

केरल में माकपा की अगुआई वाली वाममोर्चा सरकार ने केंद्र की घोषणा के अनुरूप कीमत कम करने से साफ तौर पर इन्कार किया। राज्य के वित्त मंत्री टीएम थामस इसाक ने कहा कि केंद्र ने बेतहाशा दाम बढ़ाए हैं। यदि केंद्र बढ़ाया गया कर पूरी तरह से खत्म कर दे तो राज्य सरकार इसपर विचार करेगी। आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा है कि चूंकि पिछले ही महीने वह पेट्रोल और डीजल के दाम में दो रुपये की कमी कर चुकी है इसलिए अब और कमी नहीं की जाएगी। बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम कम करेगी या नहीं इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।

डीजल-पेट्रोल के दाम कम करने के मुद्दे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने पेट्रो पदार्थों के दाम में 10 रुपये की कमी लाने की मांग की है। केजरीवाल ने कहा है कि मोदी सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.48 रुपये से बढ़ाकर 19.48 रुपये कर दिया। इसी कारण इसके दाम में वृद्धि हुई।

दरअसल, पेट्रोल व डीजल की कीमत में लगी आग से अब हाथ जलने का डर था। विपक्ष की ओर से इसे बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा था। यही वह मुद्दा था जिस पर कांग्रेस अपने साथ 21 विपक्षी दलों को जोड़ने में सफल रही थी। ऐसे में सरकार ने एकमुश्त बड़ी राहत देने का फैसला कर पासा पलटने की कोशिश की है। अब विपक्ष शासित राज्यों पर भी दबाव होगा कि वे भी कटौती के लिए आगे बढ़ें। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे और स्पष्ट कर दिया और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर परोक्ष निशाना साधते हुए कहा, 'यह उन लोगों के लिए परीक्षा की घड़ी है जो सिर्फ ट्वीट करते हैं।'

वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि पेट्रो उत्पादों के मूल्य में कटौती से से पता चलता है कि मोदी सरकार आम लोगों के कल्याण के लिए कितनी संवेदनशील है। बताते हैं कि बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने फॉर्मूला तैयार किया, जिस पर गुरुवार को सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा प्रमुख अमित शाह से भी चर्चा हुई क्योंकि भाजपा शासित सभी राज्य भी इस फॉर्मूले का हिस्सा थे। बता दें कि अगस्त मध्य के बाद के छह हफ्तों में पेट्रोल 6.86 रुपए और डीजल 6.73 रुपए लीटर महंगा हो चुका है।


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