संसद के छोटे सत्र पर विपक्ष ने उठाए सवाल, कांग्रेस ने कहा-विपक्ष को नहीं मिला अपनी बात रखने का मौका
सरकार ने भी इस पर जवाब दिया और कहा कि सत्र के बढ़ाए जाने को लेकर उन्हें भी कोई आपत्ति नहीं है।
By Vikas JangraEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 10:05 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 10:05 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अक्सर हंगामे की भेंट चढ़ते रहे संसदीय सत्र में समय की अहमियत का अहसास अब होने लगा है। शुक्रवार को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद की ओर से कम से कम सवा महीने का सत्र रखने की मांग की। सरकार ने भी इस पर जवाब दिया और कहा कि सत्र के बढ़ाए जाने को लेकर उन्हें भी कोई आपत्ति नहीं है।
आजाद ने कहा कि मानसून और शीतकालीन सत्र सवा महीने के होते थे, लेकिन सरकार ने अब इसे 18 दिन तक कर दिया है। इनमें भी सिर्फ 14 दिन ही काम के मिले। सरकार ने उनके इन आरोपों का जवाब भी दिया। केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने याद दिलाया कि संसद काम करने के लिए होती है, किसी पर आरोप लगाने के लिए नहीं है।
रोचक तथ्य यह है कि सत्र छोटा होने का सवाल शून्यकाल में उठाया गया था जो राज्यसभा में सबसे पहले घंटे का काल होता है। और उसके बाद लंबे वक्त तक अलग अलग मुद्दों पर शोर शराबा ही हुआ और दो बार कार्यवाही स्थगित भी हुई।
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