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कृषि विधेयक के खिलाफ विपक्षी नेता लामबंद, संसद परिसर में प्रदर्शन, गुलाम नबी आजाद ने राष्‍ट्रपति से की मुलाकात

प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कृषि विधेयकों और राज्‍यसभा के आठ सदस्‍यों के निलंबन के मसले पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) से मुलाकात की। जानें इस मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता ने क्‍या कहा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 04:07 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 07:14 PM (IST)
कृषि विधेयक के खिलाफ विपक्षी नेता लामबंद, संसद परिसर में प्रदर्शन, गुलाम नबी आजाद ने राष्‍ट्रपति से की मुलाकात
गुलाम नबी आजाद ने बुधवार शाम को राष्ट्रपति से मुलाकात की।

नई दिल्ली, एजेंसियां। कृषि‍ विधेयक के विरोध में सियासी सरगर्मी थमने का नाम नहीं ले रही है। इन विधेयकों के विरोध में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने बुधवार शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) से मुलाकात की। राष्‍ट्रपति से मुलाकात के बाद राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने कहा कि हमने राष्ट्रपति जी को प्रेजेंटेशन दी है कि क्योंकि कृषि विधेयक सही तरीके से पास नहीं हुए हैं। यह असंवैधानिक है... राष्ट्रपति जी, आप इस बिल को वापस भेज दें ताकि इस पर चर्चा हो... इसमें बदलाव किया जा सके। रिजोल्युशन पर दोबारा वोटिंग हो, उसके बाद ही इसे स्वीकृति दी जानी चाहिए। 

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हंगामे के लिए विपक्ष जि‍म्मेदार नहीं

आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने आगे कहा कि लगभग 18 राजनीतिक दलों के नेताओं ने निर्णय लिया था कि माननीय राष्ट्रपति जी के सामने ये बात लाई जाए कि किस तरह से राज्यसभा में किसानों से संबंधित बिल पास किया गया। इस बिल को सरकार को राजनीतिक दलों से किसान नेताओं से बात करके लाना चाहिए था। सरकार को ऐसा कानून लाना चाहिए था जिससे किसान खुश होते लेकिन दुर्भाग्य से सरकार ने न इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी को भेजा, न ही सेलेक्ट कमेटी को भेजा...  हंगामे के लिए विपक्ष जि‍म्मेदार नहीं है, हंगामे के लिए सरकार जि‍म्मेदार है। 

देश ने उनका हंगामा देखा 

वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि पूरे देश ने उनका हंगामा देखा है। उपसभापति को चेयर के पास जाकर धमकी दी। ये बिल किसानों के पक्ष में हैं। इन्होंने दुर्व्यवहार किया है। राज्यसभा का, भारतीय संविधान का अपमान किया है। आज मैं माननीय उपराष्ट्रपति जी से मिलकर पत्र देने वाला हूं, उसमें मैंने मांग की है कि यदि कोई इस तरह की गलती करे, तो उसे एक साल के लिए सस्पेंड करना चाहिए। दूसरी बार ऐसी गलती करने पर पूरे कार्यकाल के लिए सस्पेंड करना चाहिए। 

हम किसान को बिचौलियों से आजाद कर रहे 

इस बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी कृषि विधेयकों का समर्थन करते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साल 2019 के चुनावी घोषणा पत्र में कहा था कि वो APMC एक्ट हटा देंगे। भाजपा ने सदन में भी वचन दिया और कहा कि हम APMC एक्ट को हाथ नहीं लगाएंगे। हम प्रदेश की सरकारों के अधिकारों का हनन नहीं कर रहे, हम किसान को बिचौलियों से आजाद कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विधेयक में तीन प्रमुख बातें हैं। किसान देश के किसी भी गांव, शहर में जाकर किसी भी संगठन या व्यक्ति को अपनी फसल बेच सकता है। रेट किसान तय करेगा। करार में आप किसान की जमीन गिरवी भी नहीं रख सकते। व्यापारी को तीन दिन के भीतर किसान को भुगतान करना होगा। 

विपक्ष लामबंद

रिपोर्टों के मुताबिक, विपक्ष की करीब 16 पार्टियों ने कृषि विधेयक के मसले पर लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है। मंगलवार को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि कृषि विधेयक के विरोध में उन्‍होंने राष्‍ट्रपति को चिट्ठी लिखी है।

तख्तियां लेकर मार्च 

समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, मुलाकात से पहले विपक्षी दलों के नेताओं ने कृषि विधेयकों और राज्‍यसभा के आठ सदस्‍यों के निलंबन के विरोध में संसद भवन परिसर में तख्तियां लेकर मार्च भी किया। कृषि विधेयकों के खिलाफ विपक्षी दलों के सांसदों ने बुधवार को संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध मार्च में कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद और डेरेक ओ ब्रायन और समाजवादी पार्टी की जया बच्चन समेत कई अन्य विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने 'किसान बचाओ, मजदूर बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' जैसे नारे लगाए। विपक्षी नेताओं ने संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया।  

हस्ताक्षर नहीं करें

बीते दिनों शिरोमणि अकाली दल के अध्‍यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने बताया था कि प्रतिनिधि मंडल ने राष्‍ट्रपति से गुजारिश की कि 'किसानों के खिलाफ' जो विधेयक जबरदस्ती राज्यसभा में पास किए गए हैं वह उन पर हस्ताक्षर नहीं करें। यही नहीं कांग्रेस, वाम दलों, राकांपा, द्रमुक, सपा, तृणमूल कांग्रेस और राजद समेत विभिन्न दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से अपील की है कि वह इन दोनों विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करें। विपक्षी दलों के नेताओं का आरोप है कि सरकार ने जिस तरीके से अपने एजेंडा को आगे बढ़ाया है वह उचित नहीं है। 


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