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Budget session: सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष

Budget session कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सीएए एनपीआर और एनआरसी के मुद्दे पर सोमवार को संसद में सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 10:05 PM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 10:32 PM (IST)
Budget session: सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष
Budget session: सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष

नई दिल्ली, प्रेट्र। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर सोमवार को संसद में सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

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तत्काल चर्चा कराने के लिए दिया स्थगन नोटिस

सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वाम दल, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कुछ अन्य दलों ने पहले ही राज्यसभा में इन तीनों मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराने के लिए स्थगन नोटिस दे रखा है। अब कांग्रेस समेत कुछ अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे पर लोकसभा में भी स्थगन नोटिस देने की तैयारी में हैं।

संसद में चर्चा कराने की मांग

सूत्रों के मुताबिक देश भर में विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए विपक्षी दल सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर संसद में चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे है। विपक्ष ने संसद द्वारा पारित सीएए को असंवैधानिक करार दिया है। उनकी तरफ से इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है, जिस पर इस महीने के अंत में सुनवाई होनी है।

सर्वदलीय बैठक में उठा था सीएए-एनआरसी, जम्मूकश्मीर व दिल्ली चुनाव का मुद्दा

पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने दिल्ली चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के भड़काऊ आपत्तिजनक बयानों की बात उठाते हुए पीएम से इसे रोकने के लिए दखल देने को कहा था। इस गरम चर्चा के दौरान ही विपक्षी दलों ने चार मुख्य मुद्दों पर सत्र में बहस की अपनी मांग रख दी।

इसमें सीएए-एनआरसी के खिलाफ चल रहा विरोध प्रदर्शन, रोजगार और अर्थव्यवस्था की स्थिति, जम्मू-कश्मीर के गिरफ्तार पूर्व मुख्यमंत्रियों की रिहाई और संघीय व्यवस्था पर प्रहार का मुद्दा शामिल है। विपक्ष के मुताबिक राज्यों की जीएसटी की राशि केंद्र के रोक कर रखने और राज्यपालों के सूबों में बढ़ते हस्तक्षेप संघीय व्यवस्था पर प्रहार हैं।


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